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Union Home Minister Amit Shah interacted with students selected for Atul Maheshwari Scholarship
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शाह सर की क्लास: परीक्षा के लिए अंक अहम, पर उससे भी अधिक महत्वपूर्ण लक्ष्य और व्यक्तित्व विकास
अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली।
Published by: देव कश्यप
Updated Tue, 31 Jan 2023 06:48 AM IST
सार
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि एक बहुत बड़ा गुलामी का कालखंड रहा, जिसने हमारे देश की जनता के आत्मविश्वास को शून्य के स्तर पर पहुंचा दिया। हम हीनभावना के शिकार हो गए। आजादी के 75 साल बाद अब स्थिति को बदलने का काम हो रहा है।
केंद्रीय गृह मंत्री ने नई दिल्ली में अतुल माहेश्वरी छात्रवृत्ति के लिए चयनित विद्यार्थियों से किया संवाद।
- फोटो : अमर उजाला
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि परीक्षा में अंक सफलता का एक हिस्सा है। उसका अपना अहम स्थान है। लेकिन सफलता के लिए आत्मविश्वास और व्यक्तित्व विकास सबसे अहम है। आत्मविश्वास बढ़ाने का काम व व्यक्तित्व विकास लगातार करना चाहिए।
गृह मंत्री शाह ने अटल अक्षय ऊर्जा भवन, सहकारिता मंत्रालय में अतुल माहेश्वरी छात्रवृत्ति के लिए चयनित विद्यार्थियों से कहा, अपने संस्कृति व इतिहास से गौरव प्राप्त कर महान भारतीय बनने की दिशा में आगे बढ़ना है। देश के बच्चों के भीतर ही भारत का भविष्य छिपा हुआ है। शाह ने छात्रवृत्ति के लिए चयनित विद्यार्थियों को बधाई और शुभकामनाएं दीं। उन्होंने बच्चों को सहयोग करने और उनसे मुलाकात कराने के लिए अमर उजाला का धन्यवाद किया। उन्होंने बच्चों से मुलाकात पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा, देश का भविष्य बहुत ओजस्वी, तेजस्वी और दिव्य है।
भारत की शक्ति और गौरव से कराई पहचान
शाह ने बच्चों को बताया, किस तरह देश हर दृष्टि से समृद्ध रहा है। उन्होंने कई उदाहरणों के जरिये अतीत से वर्तमान तक की ताकत से बच्चों का परिचय कराया।
गृह मंत्री शाह ने कहा, इतिहास को किताबों के दायरे से बाहर जाकर पढ़ेंगे, तो मालूम पड़ेगा कि हमारा देश हर क्षेत्र में दुनिया में सर्वोच्च स्थान पर था। नवोन्मेष, शोध-विकास, ज्ञान, यहां तक कि चिकित्सा के क्षेत्र में देश दुनिया में सबसे ऊपर था।
कहा, आज के बच्चों के मन में होता है कि वह दुनिया के प्रसिद्ध विश्वविद्यालय में जाकर पढ़ाई करें। तो जानना चाहिए कि ईस्वी पूर्व 500 से लेकर सन 500 तक दुनिया के सबसे प्रसिद्ध विश्वविद्यालय भारत में हुआ करते थे। नालंदा व तक्षशिला विश्वविद्यालय ने पूरी दुनिया में ज्ञान के क्षेत्र में लोहा मनवाया। शून्य की खोज आर्यभट्ट ने की। अगर किसी भारतीय ने दशमलव ढूंढा न होता, तो आज भौतिक विज्ञान, गणित और अंतरिक्ष की गणना करने में दिक्कत होती।
शाह बोले-रोग को आने से रोकना और रोग हो जाए तो उसका निदान सबसे पहले चरक संहिता ने बताया। सुश्रुत ने भी शरीर के विज्ञान की अनेक बारीकियों को दुनिया के सामने रखा।
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केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, योग का विज्ञान 5000 साल पुराना बताया जाता है। लेकिन, सूर्य और पृथ्वी का अंतर भी सबसे पहले भारत ने ढूंढा था।
शाह बोले-हुनमान चालीसा में ‘युग सहस्र योजन पर भानू, लील्यो ताहि मधुर फल जानू’ है। ये गणित से जुड़े हैं। तीनों का गुणा करते हैं, तो नासा ने जो अंतर ढूंढा है, वह तुलसीदास द्वारा बताए अंतर के बराबर है। यह जानकारी तुलसीदास के पहले की हो सकती है। इसी परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए आज पूरा देश पीएम मोदी के नेतृत्व में प्रयत्न कर रहा है।
अपनी भाषा को बचाने व संभालने की जरूरत
शाह बोले, महान भारत की रचना में बहुत देरी हो गई है, लेकिन हम इस संकल्प से पिछड़े नहीं हैं। आठ साल पहले देश 11 नंबर की अर्थव्यवस्था था। आज पांचवें नंबर पर है। विश्व मानता है कि दो वर्ष में तीसरे नंबर की अर्थव्यवस्था होंगे। यह बताता है कि भारत कितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा, नई शिक्षा नीति में अनुसंधान पर काफी जोर दिया गया है। मातृभाषा को शक्ति देने की पहल की है। अपनी भाषा को बचाकर और संभालकर रखने की जरूरत है। यह काम हमारी नई पीढ़ी ही कर सकती है। विदेशी भाषा पढ़िए। यह व्यक्तित्व विकास के लिए जरूरी है। पर, अपनी भाषा कम है या पिछड़ी हुई है, इस मानसिकता से बाहर आना है।
बच्चों को बताए दृढ़ संकल्प से भारत को महान बनाने के रास्ते
शाह ने कहा, पीएम मोदी ने आजादी के अमृत महोत्सव से लेकर आजादी के शताब्दी के बीच के 25 साल को अमृत काल कहा है। इन 25 वर्षों में देश को सर्वप्रथम बनाना है। संकल्प यह कि भोजन की थाली में जूठा अन्न नहीं छोड़ूंगा। सोच समझकर ही अन्न परोसेंगे। ऐसा हो तो कितना अन्न बचेगा, सोचिए।
इसी तरह कमरे से बाहर निकलने पर स्विच बंद कर निकलेंगे तो सोचिए कितनी बिजली की बचत होगी?
तय कर लें कि कानून के नियमों का उल्लंघन नहीं करूंगा, तो व्यवस्था कितनी अच्छी हो सकती है?
घर से निकलने से पहले माता-पिता के पैर छूकर निकलें। देश के एक-एक व्यक्ति ने भी संकल्प ले लिया, तो 130 करोड़ संकल्पों का योग ही देश को महान बना देगा। ऐसा एक संकल्प जीवनपर्यंत निभाएं। मैंने भी संकल्प लिया है, आप सभी लीजिए।
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