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Train accident Odisha consults neighbours as 82 bodies remain unidentified news in hindi
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Odisha Train Accident: 82 शवों की अभी तक नहीं हुई शिनाख्त, ओडिशा सरकार ने पड़ोसी राज्यों के साथ की चर्चा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भुवनेश्वर
Published by: वीरेंद्र शर्मा
Updated Fri, 09 Jun 2023 04:39 AM IST
ओडिशा के बालासोर जिले में 2 जून यानी शुक्रवार को एक भीषण ट्रेन हादसा हुआ था। बहनागा रेलवे स्टेशन के पास तीन ट्रेनों की आपस में टक्कर हो गई थी। इस हादसे में 288 लोगों की मौत हो गई। हादसे में मारने वालों में से 82 शवों की पहचान नहीं हो सकी है। इस बीच, पश्चिम बंगाल, झारखंड और बिहार जैसे राज्यों के बहुत सारे लोग एम्स भुवनेश्वर में अपने परिवार के सदस्यों के पार्थिव शरीर का इंतजार कर रहे हैं। ओडिशा सरकार ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड के अधिकारियों से चर्चा की और शीघ्र ही शवों की पहचान कराने में मदद मांगी।
भुवनेश्वर नगर निगम (बीएमसी) के आयुक्त विजय अमृता कुलंगे ने कहा कि 82 शवों की शिनाख्त की जा रही है। हम दावेदारों के सत्यापन के लिए संबंधित राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहे हैं। विवाद के बीच शव नहीं सौंपे नहीं जा रहे हैं। पश्चिम बंगाल, झारखंड और बिहार के सरकारी अधिकारी यहां हैं। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ के अधिकारियों से शव की पहचान में तेजी लाने में मदद करने का अनुरोध किया गया है। अधिकारियों के साथ क्रॉस वेरिफिकेशन के बाद ही शव दिए जाएंगे।
नियंत्रण कक्ष किया गया स्थापित
उन्होंने कहा, पीड़ितों के रिश्तेदारों की सहायता के लिए एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है। शव लेने के लिए आने वाले लोगों को भोजन और रहने की सुविधा भी प्रदान की जा रही है। एम्स भुवनेश्वर ने कहा कि संस्थान में रखे गए 162 शवों में से 80 शवों को मृत व्यक्तियों के परिवारों को सौंप दिया गया है जबकि 82 अन्य अज्ञात हैं।
वैज्ञानिक प्रक्रिया अपनाई जा रही
कुछ शवों पर कई परिवारों की तरफ से अपना-अपना दावा किया जा रहा है, इसलिए डीएनए नमूनाकरण ही एकमात्र वैज्ञानिक प्रक्रिया है जो शवों की असली पहचान कराएगी। उन्होंने कहा कि हमने लगभग 50 डीएनए नमूने एकत्र किए हैं। पहले बैच में 29 नमूने एम्स दिल्ली भेजे गए थे और इसकी परीक्षण रिपोर्ट दो दिनों के भीतर आने की उम्मीद है। एक बार डीएनए रिपोर्ट उसके पास पहुंच जाए, तो हम इनमें से कुछ शवों को उनके सही परिवार को दे सकते हैं।
अपनों की तलाश में भी आ रहे परिजन
यहां आने वाले लोगों में वे लोग भी हैं जिनके अपने इस हादसे का शिकार हो गए। लापता लोगों के परिजन बालासोर, भुवनेश्वर और कटक के अस्पतालों और मुर्दाघरों में जाने से पहले अपनों की तलाश में इस स्टेशन से गुजरते रहते हैं। ऐसे ही पश्चिम बंगाल के पश्चिम मेदिनीपुर के निवासी कृष्ण दास ने अपनी आपबीती बताई। उन्होंने बताया कि वे अपने भाई के साथ ट्रेन से यात्रा कर रहे थे। दुर्घटना के बाद वे ट्रेन से बाहर निकलने में कामयाब रहे, हालांकि वे हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। कृष्ण दास ने बताया कि ट्रेन से बाहर आने के बाद उन्होंने अपने भाई को कई बार फोन लगाया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इस दौरान वे खुद भी बेहोश हो गए। उन्होंने आगे बताया कि अब तक भाई का कोई पता नहीं चला है। उन्होंने कहा, 'मैंने पिछले तीन दिनों में बालासोर, भुवनेश्वर और कटक के लगभग सभी अस्पतालों की जांच की है, लेकिन वह नहीं मिला है।' इसी तरह पश्चिम बंगाल के बांकुरा जिले की सोनाली बिस्वास, जो ट्रेन में थी और बाल-बाल बच गई, वह भी अपनी चाची की तलाश कर रही है जो ट्रेन में थी।
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