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Supreme Court Verdict On Demonetisation, Justice B V Nagarathna, Justice B R Gavai
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SC: 'नोटबंदी गैरकानूनी थी, RBI ने लांघी सीमा', जानें पांच जजों की बेंच में किसने उठाए सरकार के फैसले पर सवाल
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: संजीव कुमार झा
Updated Mon, 02 Jan 2023 01:01 PM IST
सार
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Justice Nagrathna: सुप्रीम कोर्ट के पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ में एक जज न्यायमूर्ति नागरत्ना ने नोटबंदी के फैसले को गैरकानूनी ठहराया। उन्होंने आरबीआई को सीमा लांघने तक की बात कह डाली।
सुप्रीम कोर्ट के पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने केंद्र सरकार के 2016 में 500 रुपए और 1000 रुपए के नोटों को बंद करने के फैसले को बरकरार रखा है। जस्टिस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने 4:1 के बहुमत से नोटबंदी के पक्ष में फैसला सुनाया। फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी से पहले केंद्र और आरबीआई के बीच सलाह-मशविरा हुआ था। इस तरह के उपाय को लाने के लिए दोनों पक्षों में बातचीत हुई थी इसलिए हम मानते हैं कि नोटबंदी आनुपातिकता के सिद्धांत से प्रभावित नहीं हुई थी। हालांकि, पांच जजों में एक जज न्यायमूर्ति नागरत्ना ने नोटबंदी के फैसले को गैरकानूनी ठहराया। उन्होंने आरबीआई को सीमा लांघने तक की बात कह डाली। विस्तार से जानें न्यायमूर्ति नागरत्ना ने RBI को की शक्ति पर कैसे उठाए सवाल...
नोटबंदी की कार्रवाई गैरकानूनी: न्यायमूर्ति नागरत्ना
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि 8 नवंबर, 2016 की अधिसूचना के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई नोटबंदी की कार्रवाई गैरकानूनी है। लेकिन इस समय यथास्थिति बहाल नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार को अध्यादेश के बजाय इसे कानून बनाकर लाना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने उठाए RBI की शक्ति पर सवाल
वहीं नोटबंदी के फैसले को लेकर न्यायमूर्ति नागरत्ना ने आरबीआई अधिनियम की धारा 26 (2) के तहत अलग राय रखी। जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि मैं साथी जजों से सहमत हूं लेकिन मेरे तर्क अलग हैं। मैंने सभी छह सवालों के अलग जवाब दिए हैं। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव केंद्र सरकार की तरफ से आया था और आरबीआई की राय मांगी गई थी। आरबीआई द्वारा दी गई ऐसी राय को आरबीआई अधिनियम की धारा 26(2) के तहत "सिफारिश" के रूप में नहीं माना जा सकता है। यह मान भी लिया जाए कि आरबीआई के पास ऐसी शक्ति थी लेकिन ऐसी सिफारिश आप नहीं कर सकते क्योंकि धारा 26 (2) के तहत शक्ति केवल करेंसी नोटों की एक विशेष श्रृंखला के लिए हो सकती है और किसी मूल्यवर्ग के करेंसी नोटों की पूरी श्रृंखला के लिए नहीं। उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा 26(2) के अंतर्गत कोई भी श्रृंखला" का अर्थ "सभी श्रृंखला" नहीं हो सकता है।
नोटबंदी प्रभावी नहीं हो सकी: न्यायमूर्ति नागरत्ना
नोटबंदी से जुड़ी समस्याओं से एक आश्चर्य होता है कि क्या सेंट्रल बैंक ने इनकी कल्पना की थी? यह रिकॉर्ड पर लाया गया है कि 98% बैंक नोटों की अदला-बदली की गई। इससे पता चलता है कि उपाय स्वयं प्रभावी नहीं था जैसा कि होने की मांग की गई थी। लेकिन अदालत इस तरह के विचार के आधार पर अपने फैसले को आधार नहीं बना सकती है। उन्होंने कहा कि 500 रुपये और 1000 रुपये के सभी नोटों का विमुद्रीकरण गैरकानूनी और गलत है। हालांकि, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि अधिसूचना पर कार्रवाई की गई है, कानून की यह घोषणा केवल भावी प्रभाव से कार्य करेगी और पहले से की गई कार्रवाइयों को प्रभावित नहीं करेगी।
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