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Supreme Court to hear petitions against grant of bail to three student activists today in North East Delhi riots case
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उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगा मामला: तीन छात्र कार्यकर्ताओं को जमानत देने के खिलाफ याचिकाओं पर आज सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
पीटीआई, नई दिल्ली
Published by: Kuldeep Singh
Updated Thu, 22 Jul 2021 01:15 AM IST
सार
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सुप्रीम कोर्ट ने तीनों छात्र कार्यकर्ताओं से नोटिस जारी करके मांगे थे जवाब
उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के एक मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
तीन छात्र कार्यकर्ताओं को जमानत देने के हाईकोर्ट के फैसले का नहीं होगा इस्तेमाल
उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के एक मामले में तीन छात्र कार्यकर्ताओं को जमानत देने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए दिल्ली पुलिस की ओर से दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा आज सुनवाई किया जाना निर्धारित है।
सुप्रीम कोर्ट ने 18 जून को दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा जमानत के एक मामले में समूचे आतंकवाद निरोधी कानून यूएपीए पर चर्चा किए जाने को लेकर नाखुशी जाहिर की थी और यह स्पष्ट किया था कि उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगा मामले में तीन छात्र कार्यकर्ताओं को जमानत देने के हाईकोर्ट के फैसले का इस्तेमाल किसी सुनवाई में किसी भी पक्षकार द्वारा मिसाल के तौर पर नहीं किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था लेकिन पुलिस द्वारा दायर अपीलों पर सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की थी और जेएनयू छात्राओं नताशा नरवाल और देवांगना कलिता और जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा को नोटिस जारी करके उनसे जवाब मांगे थे।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने 18 जून के आदेश में स्पष्ट किया था कि जमानत पर इन छात्रों की रिहाई में इस स्तर पर हस्तक्षेप नहीं किया जा रहा है। याचिकाओं पर सुनवाई न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ द्वारा आज की जाएगी।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यह दलील दी थी कि दिल्ली हाईकोर्ट ने तीन छात्र कार्यकर्ताओं को जमानत देते हुए पूरे यूएपीए को पलट दिया है। इस पर गौर करते हुए पीठ ने कहा था, यह मुद्दा महत्वपूर्ण है और इसके पूरे भारत में असर हो सकते हैं।
मेहता ने कहा था कि उस समय हुए दंगों के दौरान 53 लोगों की मौत हो गई थी और 700 से अधिक घायल हो गए थे, जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति और अन्य गणमान्य व्यक्ति यहां थे।
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हाईकोर्ट ने कहा था कि यूएपीए की धारा 15 में आतंकवादी कृत्य की परिभाषा यद्यपि व्यापक और कुछ अस्पष्ट है लेकिन इसमें आतंकवाद के आवश्यक लक्षण होने चाहिए और आतंकवादी कृत्य वाक्यांश के बेरोकटोक इस्तेमाल की उन आपराधिक कृत्यों के लिये इजाजत नहीं दी जा सकती जो स्पष्ट रूप से भारतीय दंड विधान के दायरे में आते हैं।
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