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supreme court says One cannot malign judicial officers by using social media
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Supreme Court: न्यायिक अधिकारी की छवि की थी खराब, अब सजा कम करने की मांग, सुप्रीम कोर्ट बोला- ये पहले सोचना था
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: काव्या मिश्रा
Updated Tue, 30 May 2023 03:21 PM IST
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक जिला न्यायाधीश के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के लिए एक व्यक्ति को 10 दिन की जेल की सजा सुनाई थी। इस आदेश को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
सोशल मीडिया आजकल लोगों को नीचा दिखाने का प्लेटफॉर्म बन गया है। लोग इसका गलत इस्तेमाल कर न्यायिक अधिकारियों को भी बदनाम करने की कोशिश करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के एक आदेश का समर्थन करते हुए स्पष्ट कहा कि सोशल मीडिया का उपयोग करके न्यायिक अधिकारियों को बदनाम नहीं किया जा सकता है।
बता दें, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक जिला न्यायाधीश के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के लिए एक व्यक्ति को 10 दिन की जेल की सजा सुनाई थी। इस आदेश को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इसी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को सुनवाई कर रहा था।
न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की अवकाश पीठ ने कहा कि वह इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते हैं। ये दूसरों के लिए सीख होनी चाहिए। पीठ ने कहा कि अगर आपको आपके मनमर्जी का आदेश नहीं मिलता है। इसका मतलब यह नहीं कि आप न्यायिक अधिकारी को बदनाम करें। न्यायमूर्ति ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता का अर्थ केवल कार्यपालिका से ही नहीं बल्कि बाहरी ताकतों से भी है।
न्यायमूर्ति त्रिवेदी ने कहा कि किसी न्यायिक अधिकारी पर कोई आरोप लगाने से पहले दो बार सोचना चाहिए था। उन्होंने न्यायिक अधिकारी को बदनाम किया। पीठ ने कहा कि जरा न्यायिक अधिकारी की छवि को हुए नुकसान के बारे में सोचें।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने सुप्रीम कोर्ट से सजा में नरमी बरतने की मांग की। उन्होंने कहा कि यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़ा मामला है और आवेदक 27 मई से पहले ही जेल में है। इस पर पीठ ने कहा कि हम यहां दया के लिए नहीं, सही फैसला करने के लिए हैं।
यह है मामला
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक जिला न्यायाधीश के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाने को लेकर कृष्ण कुमार रघुवंशी के खिलाफ शुरू किए गए आपराधिक अवमानना मामले में 10 दिन की जेल की सजा सुनाई थी। इस आदेश को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इसी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को सुनवाई कर रहा था।
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रघुवंशी के खिलाफ कार्यवाही अदालत की अवमानना अधिनियम की धारा 15(2) के तहत अतिरिक्त जिला न्यायाधीश एसपीएस बंदेला द्वारा किए गए एक संदर्भ के जवाब में शुरू की गई थी। यह संदर्भ रघुवंशी द्वारा मंदिर से जुड़े एक विवाद में अदालत के आदेशों की अवहेलना और व्हाट्सएप के माध्यम से अदालत की छवि और प्रतिष्ठा को बदनाम करने वाले एक पत्र के प्रसार पर आधारित था।
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