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Supreme Court: गैरकानूनी संगठन का सदस्य होना भी माना जाएगा अपराध, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: नितिन गौतम Updated Fri, 24 Mar 2023 01:20 PM IST
सार

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि 2011 के फैसले अमेरिकी बिल ऑफ राइट्स के आधार पर दिए गए थे लेकिन इससे आतंकवाद से संबंधित मामलों से निपटने में परेशानी हो रही है।

Supreme court says membership of unlawful organization is uapa offence
सुप्रीम कोर्ट - फोटो : अमर उजाला

विस्तार

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला दिया है। इस फैसले के अनुसार, गैरकानूनी संगठन का सदस्य होना भी अपराध माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गैरकानूनी संगठन का सदस्य होना ही UAPA के तहत कार्रवाई का आधार बन सकता है। खास बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिए फैसले में साल 2011 का दिया अपना ही फैसला पलट दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अरूप भुयन बनाम असम सरकार,  इंदिरा दास बनाम असम सरकार और केरल सरकार बनाम रनीफ मामलों में दिए अपने फैसले में कहा था कि गैरकानूनी संगठन का सदस्य होना ही गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने का आधार नहीं हो सकता, जब तक कि वह किसी हिंसा की घटना में शामिल ना हो।  



कोर्ट ने की ये टिप्पणी
जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने अपने फैसले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 10(ए)(1) को भी सही ठहराया है, जो गैरकानूनी संगठन की सदस्यता को भी अपराध घोषित करती है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि 2011 का फैसला जमानत याचिका पर दिया गया था, जिसमें कानून के प्रावधानों की संवैधानिकता पर सवाल नहीं उठाया गया था।


पीठ ने कहा कि 2011 के फैसले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम और आतंकवाद और विघटनकारी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की संवैधानिकता को भी सही ठहराया गया था। साथ ही ये भी कहा कि अदालत ने केंद्र सरकार का तर्क सुने बिना कानून के प्रावधानों की व्याख्या की थी। 
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