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Supreme Court: शादी-तलाक पर लिंग और धर्म-तटस्थ कानून बनाने की मांग, कोर्ट ने किया याचिका पर विचार से इनकार

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिषेक दीक्षित Updated Wed, 29 Mar 2023 05:52 PM IST
सार

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 21 साल करने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था।

Supreme Court refuses to entertain pleas gender religion neutral laws on marriage divorce inheritance alimony
सुप्रीम कोर्ट (फाइल) - फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उन याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिनमें शादी, तलाक, विरासत और गुजारा भत्ता पर लिंग और धर्म-तटस्थ कानूनों की मांग की मांग की गई थी। कोर्ट ने कहा कि कानूनों को बनाया जाना विशिष्ट रूप से विधायिका के क्षेत्राधिकार के तहत आता है। हम संसद को कानून बनाने का निर्देश नहीं दे सकते।



प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल की इस दलील पर संज्ञान लिया कि यह मुद्दा विधायिका के अधिकार क्षेत्र में आता है। इसलिए याचिकाओं पर सुनवाई नहीं की जा सकती। वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर याचिकाओं समेत इससे संबंधित अन्य याचिकाओं का निपटारा करते हुए पीठ ने कहा कि यह मुद्दा विशेष रूप से विधायिका के अधिकार क्षेत्र में आता है। कानून बनाने के लिए संसद को इसके लिए आदेश जारी नहीं किया जा सकता।


अश्विनी उपाध्याय ने केंद्र को तलाक, गोद लेना, संरक्षण, उत्तराधिकार, विरासत, भरण-पोषण, विवाह की उम्र और गुजारे भत्ता के लिए लैंगिक और धार्मिक रूप से तटस्थ एक समान कानून बनाने के संबंध में केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध करते हुए पांच अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं।
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