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Supreme Court refers to speeches of former PMs Jawaharlal Nehru Atal Bihari Vajpayee in Hate Speeches Case
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Supreme Court: नफरती भाषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, पं. नेहरू और अटल बिहारी वाजपेई का जिक्र कर कही यह बड़ी बात
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अभिषेक दीक्षित
Updated Wed, 29 Mar 2023 04:02 PM IST
सार
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सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि भारत के लोग अन्य नागरिकों या समुदायों को अपमानित नहीं करने का संकल्प क्यों नहीं ले सकते? दूसरों को बदनाम करने के लिए हर रोज ऐसे तत्व टीवी और सार्वजनिक मंचों पर बयान दे रहे हैं। जिस क्षण राजनीति और धर्म अलग हो जाएंगे और नेता राजनीति में धर्म का उपयोग बंद कर देंगे, नफरत फैलाने वाले भाषण समाप्त हो जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने नफरती भाषण (हेट स्पीच) देने वाले अराजक तत्वों (फ्रिंज एलिमेंट) पर सख्त आपत्ति जताई है। कोर्ट ने सवाल किया कि लोग क्यों खुद को काबू में नहीं रखते। कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और अटल बिहारी वाजपेयी के भाषणों का भी जिक्र किया। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि उनके भाषणों को सुनने के लिए दूर-दराज के इलाकों से लोग इकट्ठा होते थे।
सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि भारत के लोग अन्य नागरिकों या समुदायों को अपमानित नहीं करने का संकल्प क्यों नहीं ले सकते? दूसरों को बदनाम करने के लिए हर रोज ऐसे तत्व टीवी और सार्वजनिक मंचों पर बयान दे रहे हैं। जिस क्षण राजनीति और धर्म अलग हो जाएंगे और नेता राजनीति में धर्म का उपयोग बंद कर देंगे, नफरत फैलाने वाले भाषण समाप्त हो जाएंगे।
जस्टिस केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने इस बात पर हैरानी जताते हुए कहा कि अदालतें कितने लोगों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू कर सकती हैं। पीठ ने नफरत भरे भाषण देने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने में विफल रहने के लिए विभिन्न राज्य प्राधिकरणों के खिलाफ एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि हर दिन अराजक तत्व टीवी और सार्वजनिक मंचों पर दूसरों को बदनाम करने के लिए भाषण दे रहे हैं।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एक व्यक्ति की ओर से एक विशेष समुदाय के खिलाफ केरल में दिए गए अपमानजनक भाषण की ओर भी कोर्ट का ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता शाहीन अब्दुल्ला ने देश में नफरत भरे भाषणों की घटनाओं को चुनिंदा रूप से इंगित किया है।
एक अन्य मामले में महाराष्ट्र सरकार से मांगा जवाब
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से शीर्ष अदालत के आदेशों के बावजूद हिंदू संगठनों द्वारा नफरत भरे भाषणों को नियंत्रित करने में विफल रहने के लिए उसके खिलाफ दायर एक अवमानना याचिका का जवाब देने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 28 अप्रैल की तारीख तय की है।
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