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Supreme Court issues notice to wife father in law of Dalit man charged with abducting his spouse
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Supreme Court: अनुसूचित जाति के शख्स की सवर्ण पत्नी, ससुर को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस, जानें क्या है मामला
एजेंसी, नई दिल्ली।
Published by: Jeet Kumar
Updated Sun, 31 Jul 2022 12:33 AM IST
सार
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झारखंड पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल कर इस व्यक्ति की याचिका खारिज करने की गुजारिश की है। सुप्रीम कोर्ट के सामने अनुसूचित जाति के शख्स ने झारखंड हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें हाईकोर्ट ने इसके खिलाफ गैर जमानती वारंट रद्द करने से इनकार कर दिया था।
पत्नी के अपहरण के आरोपी एक अनुसूचित जाति के शख्स की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court) ने उसकी पत्नी और ससुर को नोटिस जारी किया है। इस व्यक्ति पर आरोप है कि इसने ऊंची जाति की युवती का अपहरण कर उसे शादी के लिए मजबूर किया। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने इस मामले में पत्नी और ससुर को पक्ष बनाने पर रजामंदी दे दी।
पीठ ने कहा, नए जोड़े गए प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया जाए और 22 अगस्त तक जवाब मांगा जाए। कोर्ट ने 11 अप्रैल को अपहरण के आरोप में इस व्यक्ति को गिरफ्तारी से राहत दी थी। पीठ ने कहा कि अगली सुनवाई तक गिरफ्तारी से राहत जारी रहेगी।
इस बीच, झारखंड पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल कर इस व्यक्ति की याचिका खारिज करने की गुजारिश की है। सुप्रीम कोर्ट के सामने अनुसूचित जाति समाज के शख्स ने झारखंड हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें हाईकोर्ट ने इसके खिलाफ गैर जमानती वारंट रद्द करने से इनकार कर दिया था।
सवर्ण समाज अभी तक दलित दामाद को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं
याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता उत्कर्ष सिंह, शिवम राजपूत और सुरेशन पी ने अदालत के सामने पक्ष रखा। याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि वह जातिगत पूर्वाग्रहों और सामाजिक-प्रशासनिक भेदभाव का शिकार रहा है। याचिका में कहा गया है कि मामला स्पष्ट करता है कि सवर्ण समाज अभी तक अनुसूचित समाज के दामाद को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है और अंतरजातीय विवाह को विफल करने के लिए कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने के लिए किसी भी हद तक जाएगा।
हाथापाई मारपीट की गई
याचिकाकर्ता के वकील उत्कर्ष सिंह के अनुसार याचिकाकर्ता के साथ हाथापाई मारपीट की गई। इसके बाद वह बेहोश हो गया और आधी रात को उसकी पत्नी को जबरन ले जाया गया। याचिका के मुताबिक, याचिकाकर्ता की पत्नी को हिमाचल और यूपी पुलिस के अधिकारियों की मौजूदगी में ले जाया गया।
इसके बाद उस शख्स ने हिमाचल प्रदेश पुलिस के समक्ष घटना के बारे में शिकायत दर्ज कराई बाद में अपनी पत्नी को पेश करने के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के साथ हिमाचल प्रदेश के उच्च न्यायालय में चले गए। बाद में हिमाचल प्रदेश की अदालत को अवगत कराया गया कि झारखंड में उस व्यक्ति (लड़की का पति) उसके पिता और अन्य के खिलाफ अपहरण से संबंधित आरोपों के तहत मामला दर्ज किया गया है।
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23 नवंबर, 2021 को झारखंड की एक स्थानीय अदालत ने उस व्यक्ति के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया। इसके बाद उस व्यक्ति ने झारखंड की एक जिला अदालत में अपनी अग्रिम जमानत याचिका दायर की, जिसे खारिज कर दिया गया। बाद में उन्होंने इसे झारखंड उच्च न्यायालय में चुनौती दी लेकिन उनकी अग्रिम जमानत याचिका भी खारिज कर दी गई।
मामले में हुई अनदेखी
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि झारखंड उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता के ससुराल वालों द्वारा कानून के दुरुपयोग पर विचार किए बिना याचिका को खारिज कर दिया था, इस बात की अनदेखी की गई कि याचिकाकर्ता ने कोई अपराध किया है या नहीं। उसे इस मामले में गलत तरीके से फंसाया गया है।
अब याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा है कि ससुराल वालों की मनमानी और असंवैधानिक कार्रवाइयों के कारण याचिकाकर्ता घोर रूप से व्यथित है, जिन्होंने अपने लाभ के लिए पूरी प्रणाली का घोर दुरुपयोग किया है और उसे कानूनों, जीवन और व्यक्तिगत के समान संरक्षण के अधिकार से वंचित किया है।
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