सीबीआई, ईडी के दुरुपयोग के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट आगामी पांच अप्रैल को सुनवाई करेगा। बता दें कि 14 राजनीतिक पार्टियों ने इसे लेकर याचिका दायर की थी। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी की प्रवष्टियों को नोटिस करते हुए याचिका पर सुनवाई के लिए पांच अप्रैल की तारीख तय की है। बता दें कि याचिका दाखिल करने वाली राजनीतिक पार्टियों में डीएमके, भारत राष्ट्र समिति, तृणमूल कांग्रेस भी शामिल हैं।
याचिका में मांग की गई है कि केंद्रीय जांच एजेंसियों जैसे सीबीआई और ईडी द्वारा गिरफ्तारी के लिए गाइडलाइंस जारी करने की मांग की है। सिंघवी ने कहा कि 95 प्रतिशत मामले विपक्षी नेताओं के खिलाफ हैं। हम चाहते हैं कि गिरफ्तारी से पहले और गिरफ्तारी के बाद के लिए गाइडलाइंस जारी की जाएं। पीठ में जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला भी शामिल थे।
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यूपी निकाय चुनाव मामले पर सुनवाई टली
यूपी निकाय चुनाव मामले में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई टल गई है। अब सुप्रीम कोर्ट 27 मार्च को इस मामले पर सुनवाई करेगा। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ट्रिपल टेस्ट के आधार पर मेयर और अध्यक्ष की सीटों का आरक्षण किया जाना है। हाईकोर्ट के आदेश पर उत्तर प्रदेश के पिछड़ा वर्ग आयोग ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है, जिसमें पिछड़ों को आरक्षण देने का फार्मूला दिया है। राज्य सरकार ने इसी रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत कर चुनाव कराने की अनुमति मांगी है।
कोरोना महामारी के दौरान रिहा किए गए कैदियों को 15 दिन में आत्मसमर्पण करने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को निर्देश दिया है कि सभी दोषी और विचाराधीन कैदियों, जिन्हें कोरोना महामारी के दौरान जेलों से रिहा किया गया था, उन्हें 15 दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करना होगा। जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने ये भी कहा कि विचाराधीन कैदी, जिन्हें महामारी के दौरान इमरजेंसी की हालत में रिहा किया गया था, अब संबंधित अदालत में जमानत पर रिहा करने की याचिका दाखिल कर सकते हैं। वहीं दोषी कैदी आत्मसमर्पण करने के बाद संबंधित अदालत में उनकी सजा माफी की मांग को लेकर याचिका दायर कर सकते हैं। बता दें कि कोरोना महामारी के दौरान सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित उच्च स्तरीय कमेटी की सलाह पर विभिन्न राज्य सरकारों ने गैर जघन्य अपराधों में बंद कैदियों को रिहा करने का फैसला किया था।
धर्म परिवर्तन : सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से 4 हफ्ते में मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने ब्रॉडवेल क्रिश्चियन हॉस्पिटल सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ सैम्यूल मैथ्यू और ईसाई समुदाय के अन्य सदस्यों को कथित सामूहिक धर्म परिवर्तन के आरोप में गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करते हुए चार हफ्ते में जवाब भी मांगा है।
पीठ ने अपने आदेश में कहा, अगले आदेश तक याचिकाकर्ताओं के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के आधार पर कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाएगी। याचिकाकर्ताओं के वकील दुष्यंत दवे ने पीठ को बताया कि इसी घटना के संबंध में दो अन्य प्राथमिकी भी दर्ज की गई हैं। मैथ्यू व अन्य के खिलाफ 23 जनवरी को फतेहपुर जिले के कोतवाली थाने में फर्जी धर्मांतरण का आरोप लगाते हुए विहिप व बजरंग दल से जुड़े लोगों ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
औरंगाबाद का नाम बदलने पर सुनवाई से किया इन्कार
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को औरंगाबाद शहर का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर करने के खिलाफ दाखिल याचिका पर विचार करने से इन्कार कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा, इस मामले पर बॉम्बे हाईकोर्ट विचार कर रहा है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने मोहम्मद मुस्ताक अहमद की याचिका पर विचार करने से इन्कार कर दिया।