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Collegium System: 'कॉलेजियम की सिफारिश पर सरकार के जवाब देने की तय हो समय सीमा', पूर्व जज ने उठाई मांग

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: नितिन गौतम Updated Sat, 28 Jan 2023 11:33 AM IST
सार

पूर्व जज रोहिंटन एफ नरीमन ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 144 के तहत एक 'अथॉरिटी' होने के नाते यह आपका कर्तव्य है कि आप संविधान पीठ के फैसले का सम्मान करें। 

पूर्व जज रोहिंटन फाली नरीमन
पूर्व जज रोहिंटन फाली नरीमन - फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार

कॉलेजियम सिस्टम को लेकर केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच खींचतान चल रही है। अब सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व जज ने कहा है कि कॉलेजियम सिस्टम की सिफारिशों पर सरकार द्वारा जवाब देने की समय-सीमा तय होनी चाहिए। बता दें कि अभी कॉलेजियम के प्रस्ताव पर सरकार के जवाब देने की कोई समय सीमा तय नहीं है, जिसके चलते सरकार कई जजों के प्रस्तावित नामों पर कोई जवाब नहीं देती और जजों की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति अटकी रहती है। 





सातवें चीफ जस्टिस एमसी चागला मेमोरियल लेक्चर में अपने भाषण के दौरान सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज रोहिंटन एफ नरीमन ने कहा कि जब एक बार पांच या उससे ज्यादा जजों की पीठ संविधान की व्याख्या कर देती है तो संविधान के अनुच्छेद 144 के तहत एक 'अथॉरिटी' होने के नाते यह आपका कर्तव्य है कि आप संविधान पीठ के फैसले का सम्मान करें। आप और मैं बतौर देश के नागरिक इसकी आलोचना कर सकते हैं लेकिन एक 'अथॉरिटी' होने के नाते आप उस फैसले को मानने के लिए बाध्य हैं, फिर चाहे वो फैसला सही हो या गलत।
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