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Supreme Court commutes death penalty of Tamil Nadu man to 20 years imprisonment
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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के दोषी की फांसी की सजा को 20 साल के कारावास में बदला, 2009 का मामला
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: निर्मल कांत
Updated Tue, 21 Mar 2023 04:38 PM IST
सार
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मामला 2009 का है। दोषी ने बच्चे का स्कूल जाते वक्त अपहरण कर लिया था। इसके बाद उसने बच्चे को बताया कि उसकी मां और दादी की तबियत ठीक नहीं है और उसे उसके साथ अस्पताल जाना है। गवाहों के मुताबिक, बच्चे को आखिरी बार दोषी की मोटरसाइकिल पर जिंदा देखा गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने सात साल के एक बच्चे के अपहरण और हत्या के मामले में तमिलनाडु के एक व्यक्ति की मौत की सजा को मंगलवार को बदल दिया। घटना साल 2009 में हुई थी। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने दोषसिद्धि को बरकरार रखा है। बेंच ने उसकी मौत की सजा को बीस साल के कारावास में बदल दिया।
फरवरी 2013 में सुनाई गई थी मौत की सजा
मौत की सजा को कम करते हुए बेंच ने कहा कि आवेदक मौत की सजा पाने वाला दोषी है। उसकी दोषसिद्धी पर फिर से विचार करने की याचिका मोहम्मद आरिफ के फैसले के आधार पर खुली अदालत में होनी चाहिए। बेंच ने कहा, हमें याचिकाकर्ता के अपराध पर संदेह करने का कोई कारण नहीं दिखता है। दोषसिद्धि में हस्तक्षेप करने के लिए समीक्षाधीन शक्तियों का इस्तेमाल करना जरूरी नहीं है। हम मौत की सजा को बीस साल के कारावास में बदल रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2013 में सुंदर उर्फ सुंदरराजन (दोषी) को फांसी की सजा सुनाई थी। हालांकि, पांच साल बाद नवंबर 2018 में शीर्ष फांसी की सजा के अपने फैसले की समीक्षा करने पर सहमत हो गई थी।
गलत हलफनामा दायर करने पर पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई
कोर्ट ने गलत हलफनामा दायर करने के लिए कुड्डालोर के एक पुलिस अधिकारी के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही शुरू करने का भी निर्देश दिया। बेंच ने कहा, कुड्डालोर के पुलिस अधिकारी को नोटिस जारी कर पूछा कि कोर्ट में दायर हलफनामे के आधार पर उनके खिलाफ क्यों न कार्रवाई की जाए। सुंदरराज ने साल 2013 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की थी। अदालत ने उसके लिए सजा को बरकरार रखा है। सजा को फांसी की सजा से आजीवन कारावास में बदल दिया गया है।
क्या था पूरा मामला
मामला 2009 का है। दोषी ने बच्चे को स्कूल जाते वक्त पकड़ लिया था। अभियोजन पक्ष के मुताबिक, दोषी ने बच्चे को बताया कि उसकी मां और दादी की तबियत ठीक नहीं है और उसे उसके साथ अस्पताल जाना है। गवाहों के मुताबिक, बच्चे को आखिरी बार दोषी की मोटरसाइकिल पर जिंदा देखा गया था। बच्चा अपने माता-पिता का इकलौता था। उसके माता-पिता बच्चों को छुड़ाने के लिए पांच रुपये की फिरौती देने में असमर्थ थे। दोषी ने स्वीकार किया था कि जब लड़के को छोड़ने के लिए फिरौती नहीं दी गई तो उसने उसका गला घोंटा और शव को बोरे में बांधकर पानी की टंकी में फेंक दिया
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