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राष्ट्रीय राजधानी में रेल पटरियों के किनारे बसी लगभग 48,000 झुग्गी-बस्तियों को अभी नहीं हटाया जाएगा। केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस मामले में उसे अंतिम निर्णय लेने के लिए और समय चाहिए। कोर्ट अब इस पर चार हफ्ते बाद सुनवाई करेगा। केंद्र सरकार ने पीठ को भरोसा दिलाया कि इस दौरान अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई नहीं की जाएगी।
चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले को लेकर विचार-विमर्श जारी है। इस पर फैसला लेने के लिए सरकार को और वक्त चाहिए। पीठ ने उनके आग्रह को स्वीकार करते हुए सुनवाई चार हफ्ते के लिए टाल दी। गत सितंबर में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि शहरी विकास मंत्रालय, दिल्ली सरकार और रेलवे के बीच बैठक कर चार हफ्ते के भीतर इसका समाधान निकालने का प्रयास किया जाएगा। शीर्ष अदालत कांग्रेस नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन की उस याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें 31 अगस्त के फैसले को चुनौती दी गई है।
दरअसल, 31 अगस्त को जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्ली में रेल पटरियों के किनारे बसी झुग्गियों को हटाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि इन अतिक्रमणों को हटाने से रोकने के लिए किसी राजनीतिक हस्तक्षेप की अनुमति नहीं दी जाएगी। कोर्ट ने तीन महीने में अतिक्रमण हटाने को कहा था। पिछली सुनवाई पर माकन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से इस मामले में यथास्थिति बरकरार रखने की गुहार लगाई थी, लेकिन कोर्ट ने इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि जब केंद्र सरकार की ओर से यह आश्वासन दिया जा रहा है कि झुग्गियों पर कार्रवाई नहीं होगी तो यथास्थिति का आदेश पारित करने का कोई औचित्य नहीं है।
राष्ट्रीय राजधानी में रेल पटरियों के किनारे बसी लगभग 48,000 झुग्गी-बस्तियों को अभी नहीं हटाया जाएगा। केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस मामले में उसे अंतिम निर्णय लेने के लिए और समय चाहिए। कोर्ट अब इस पर चार हफ्ते बाद सुनवाई करेगा। केंद्र सरकार ने पीठ को भरोसा दिलाया कि इस दौरान अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई नहीं की जाएगी।
चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले को लेकर विचार-विमर्श जारी है। इस पर फैसला लेने के लिए सरकार को और वक्त चाहिए। पीठ ने उनके आग्रह को स्वीकार करते हुए सुनवाई चार हफ्ते के लिए टाल दी। गत सितंबर में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि शहरी विकास मंत्रालय, दिल्ली सरकार और रेलवे के बीच बैठक कर चार हफ्ते के भीतर इसका समाधान निकालने का प्रयास किया जाएगा। शीर्ष अदालत कांग्रेस नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन की उस याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें 31 अगस्त के फैसले को चुनौती दी गई है।
दरअसल, 31 अगस्त को जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्ली में रेल पटरियों के किनारे बसी झुग्गियों को हटाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि इन अतिक्रमणों को हटाने से रोकने के लिए किसी राजनीतिक हस्तक्षेप की अनुमति नहीं दी जाएगी। कोर्ट ने तीन महीने में अतिक्रमण हटाने को कहा था। पिछली सुनवाई पर माकन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से इस मामले में यथास्थिति बरकरार रखने की गुहार लगाई थी, लेकिन कोर्ट ने इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि जब केंद्र सरकार की ओर से यह आश्वासन दिया जा रहा है कि झुग्गियों पर कार्रवाई नहीं होगी तो यथास्थिति का आदेश पारित करने का कोई औचित्य नहीं है।