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Scorched patients not be disabled due to lack of treatment, Health Ministry handed over command to Delhi AIIMS
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राहत: झुलसे मरीज इलाज के अभाव में नहीं होंगे दिव्यांग, स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिल्ली एम्स को सौंपी कमान
परीक्षित निर्भय, नई दिल्ली।
Published by: देव कश्यप
Updated Wed, 08 Feb 2023 06:40 AM IST
सार
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देश के अधिकांश सरकारी अस्पतालों में इस तरह की विशेषज्ञता नहीं होने के कारण अक्सर मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता है, जिसके चलते रोगी दिव्यांगता का शिकार होता है या फिर उसकी मौत का जोखिम भी बढ़ जाता है।
आग या तेजाब पीड़ित को समय पर इलाज दिलाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने मिलकर स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देने का फैसला लिया है। इसके लिए नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स को जिम्मेदारी दी गई है। राज्य सरकारों की तरफ से भेजे गए डॉक्टरों व नर्सों को एम्स में प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पतालों तक में जले के शिकार पीड़ितों को प्राथमिक उपचार मिल सके।
देश के अधिकांश सरकारी अस्पतालों में इस तरह की विशेषज्ञता नहीं होने के कारण अक्सर मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता है, जिसके चलते रोगी दिव्यांगता का शिकार होता है या फिर उसकी मौत का जोखिम भी बढ़ जाता है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जिला से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में भी आग या तेजाब पीड़ितों को प्राथमिक उपचार उपलब्ध कराने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। राज्य सरकारों से सूची मिलने के बाद इन कर्मचारियों की जानकारी एम्स के साथ साझा की जा रही है।
70 लाख लोग भारत में हर साल जलने से होते हैं घायल।
2019 में आग से 23,000 की मौत
द लैसेंट पब्लिक हेल्थ मेडिकल जर्नल के मुताबिक साल 2019 में देश में 23 हजार से अधिक लोगों की मौत आग में झुलसने की वजह से हुई हैं जो वैश्विक मृत्यु दर का लगभग 20% है। एम्स के ही डॉक्टरों का कहना है कि इन घटनाओं में पीड़ितों के आगे काफी चुनौतियां रहती हैं।
ये लोग आर्थिक रूप से परेशान होते ही हैं। साथ ही व्यावसायिक रूप से अक्षम और सामाजिक रूप से बाहर भी रखे जाते हैं। एम्स के डॉक्टरों ने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान उनके यहां अलग अलग राज्यों से डॉक्टर व नर्स आ रहे हैं जिन्हें सबसे पहले वे थ्रीडी मॉडल के सहारे आग पीड़ितों की मरहम पट्टी करना सिखा रहे हैं।
1.4 लाख लोगों की मौत, हर साल देश में जलने से होती है
अब तक करीब दो बैच यहां प्रशिक्षण ले चुके हैं। तीसरा बैच आठ फरवरी से प्रशिक्षण लेने जा रहा है। मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं, भारत में हर साल करीब 70 लाख लोग जलने से घायल होते हैं जिनमें से 1.4 लाख लोगों की मौत हो जाती है। साथ ही 2.4 लाख लोग दिव्यांगता के शिकार हो रहे हैं। इसके पीछे मुख्य वजह समय पर प्राथमिक उपचार न मिलना है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर साल लगभग 2,65,000 मौतें अकेले आग से होती हैं। इनमें से अधिकांश मौतें दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र के देशों में होती है जिनमें भारत का स्थान प्रमुख है।
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