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SC seeks UP govt reply on bail plea of octogenarian jailed for selling adulterated milk in 1981 update news
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सुप्रीम कोर्ट: मिलावटी दूध बेचने के 38 साल पुराने केस में UP सरकार को नोटिस; दुष्कर्म के आरोपी डॉक्टर को जमानत
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शिव शरण शुक्ला
Updated Thu, 08 Jun 2023 10:52 PM IST
जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस राजेश बिंदल की अवकाशकालीन पीठ ने सिंह के वकील अजेश कुमार चावला को अपील दायर करने में देरी का कारण स्पष्ट करने को कहा। चावला ने स्वीकार किया कि हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील दायर करने में 10 साल की देरी हुई, लेकिन यह जानबूझकर नहीं किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने मिलावटी दूध बेचने के 38 साल पुराने मामले में दोषसिद्धि और सजा के खिलाफ बुलंदशहर के विजेंदर सिंह (85) की याचिका पर यूपी सरकार से जवाब मांगा है। इससे पहले, छह जून को सुप्रीम कोर्ट ने विजेंदर सिंह की याचिका पर सहमति जताई थी।
जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस राजेश बिंदल की अवकाशकालीन पीठ ने सिंह के वकील अजेश कुमार चावला को अपील दायर करने में देरी का कारण स्पष्ट करने को कहा। चावला ने स्वीकार किया कि हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील दायर करने में 10 साल की देरी हुई, लेकिन यह जानबूझकर नहीं किया गया था। उन्होंने कहा, चूंकि विजेंद्र सिंह अदालत के रिकॉर्ड में दर्ज पते से अलग पते पर रह रहे थे, इसलिए उन्हें हाईकोर्ट के आदेश की जानकारी नहीं थी।
हाईकोर्ट ने 30 जनवरी 2013 को उसकी दोषसिद्धी को बरकरार रखा था और कैद की सजा को घटाकर छह महीने कर दिया था। करीब चार दशक तक जमानत पर रिहा रहे विजेंदर ने 20 अप्रैल 2023 को सरेंडर किया और 2000 रुपये का जुर्माना जमा किया। विजेंदर ने इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में दोषसिद्धी व सजा रद्द करने की मांग की है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश के रहने वाले वीरेंद्र सिंह को 7 अक्टूबर, 1981 को मिलावटी दूध बेचते हुए पकड़ा गया था। बाद में 29 सितंबर, 1984 को एक ट्रायल कोर्ट द्वारा दोषी ठहराया गया था। ट्रॉयल कोर्ट द्वारा उन्हें एक साल के कठोर कारावास और खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम, 1954 के प्रावधानों के तहत 2,000 रुपये का जुर्माना लगाया था।
इसके बाद वीरेंद्र सिंह ने बुलंदशहर सत्र अदालत में ट्रॉयल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी। तीन सालों तक चली सुनवाई के बाद सत्र अदालत ने 14 जुलाई, 1987 को निचली अदालत के आदेश की पुष्टि की और उनकी दोषसिद्धि और सजा को बरकरार रखा। जब सत्र अदालत से वीरेंद्र सिंह को राहत नहीं मिली तो उसने 28 जुलाई, 1987 को इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया। कई सुनवाइयों के बाद अदालत ने 30 जनवरी, 2013 को एक आदेश पारित कर उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा, लेकिन सजा को घटाकर छह महीने के कठोर कारावास और 2,000 रुपये के जुर्माने में कर दिया। इसके बाद वीरेंद्र सिंह ने जो अभी तक जमानत पर थे, उन्होंने 20 अप्रैल, 2023 को ट्रायल कोर्ट के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। साथ ही हाई कोर्ट के आदेश के एक दशक से अधिक समय बाद 2,000 रुपये का जुर्माना जमा किया। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
लव जिहाद के आरोपी डॉक्टर को सुप्रीम कोर्ट से राहत
सुप्रीम कोर्ट
- फोटो : अमर उजाला
सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को शादी का झांसा देकर एक हिंदू महिला से दुष्कर्म के आरोपी डॉ अब्दुल कादिर को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान की। मुरादाबाद की रहने वाली पीड़िता ने आरोपी डॉक्टर के खिलाफ ‘लव जिहाद’ का आरोप लगाया और अपनी जान को खतरा बताया था।
जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस राजेश बिंदल की अवकाशकालीन पीठ ने डॉ अब्दुल कादिर की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद होगी। साथ ही पीठ ने निर्देश दिया कि सुनवाई की अगली तारीख तक आरोपी मुरादाबाद में प्रवेश नहीं करेगा। शिकायतकर्ता से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कोई संपर्क भी नहीं करेगा। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा, यह सहमति से बने रिश्ते का मामला है।
कथित पीड़िता और याचिकाकर्ता कई स्थानों पर गए लेकिन उसने पैसे ऐंठने के लिए मामला दर्ज कराया। याचिकाकर्ता के पास होटल में ठहरने के लिए किए गए भुगतान समेत कई बिल हैं। याचिकाकर्ता ने 10 मई के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया है। हाईकोर्ट ने आरोपी डॉक्टर को अग्रिम जमानत देने से मना कर दिया था।
मुरादाबाद के कॉलेज में पढ़ाई के दौरान नर्स के संपर्क में आया
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि वह मुरादाबाद के एक निजी कॉलेज में मास्टर ऑफ सर्जरी की पढ़ाई के दौरान नर्स के रूप में काम करने वाली महिला के संपर्क में आया था। दोनों ने एक-दूसरे को पसंद करना शुरू कर दिया और 2019 में साथ रहने लगे। उन्होंने यह दावा किया है कि शिकायतकर्ता को उसके धर्म के बारे में जानकारी थी। साथ ही यह भी दावा किया गया है कि शिकायतकर्ता को उसकी वैवाहिक स्थिति के बारे में पता था। इतना ही नहीं शिकायतकर्ता उसकी पत्नी और बेटी सहित परिवार के सदस्यों से मिल चुकी है।
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