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SC questions Mohd Faisal plea against disqualification as MP Supreme Court News And Updates
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Supreme Court: किस मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है? मोहम्मद फैजल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा सवाल
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शिव शरण शुक्ला
Updated Tue, 28 Mar 2023 11:16 PM IST
सार
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अधिवक्ता केआर शशिप्रभु के माध्यम से शीर्ष अदालत में दायर अपनी याचिका में फैजल ने कहा कि लोकसभा सचिवालय ने इस तथ्य के बावजूद अपनी अधिसूचना वापस नहीं ली है कि हाई कोर्ट ने 25 जनवरी को उसकी दोषसिद्धि पर रोक लगा दी थी। पढ़ें सुप्रीम कोर्ट की अहम खबरें...
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राकांपा नेता मोहम्मद फैजल से पूछा है कि 'कौन से मौलिक अधिकार का हनन होता है?' गौरतलब है कि राकांपा नेता मोहम्मद फैजल ने केरल उच्च न्यायालय द्वारा हत्या के प्रयास के एक मामले में उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाये जाने के बावजूद उन्हें सांसद के रूप में अयोग्य घोषित करने वाली अधिसूचना वापस नहीं लेने के लिए लोकसभा सचिवालय के खिलाफ याचिका दायर की है।
न्यायमूर्ति के एम जोसेफ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने मंगलवार को राकांपा नेता की याचिका पर सुनवाई के लिए विचार किया। इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील वकील से पीठ ने यह सवाल तब किया जब उन्होंने मामले का उल्लेख करते हुए आग्रह किया कि इस पर बुधवार को सुनवाई की जाय। वकील ने कहा कि राकांपा नेता का निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का अधिकार छीना जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई पूरी तरह मनमानी है। इस पर पीठ ने उनसे पूछा कि उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया। वकील ने जवाब दिया कि शीर्ष अदालत पहले ही इस मामले पर विचार कर रही है। इसके बाद पीठ बुधवार को मामले की सुनवाई के लिए राजी हो गई।
अधिवक्ता केआर शशिप्रभु के माध्यम से शीर्ष अदालत में दायर अपनी याचिका में फैजल ने कहा कि लोकसभा सचिवालय ने इस तथ्य के बावजूद अपनी अधिसूचना वापस नहीं ली है कि हाई कोर्ट ने 25 जनवरी को उसकी दोषसिद्धि पर रोक लगा दी थी।
इससे पहले, लक्षद्वीप के पूर्व सांसद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने कहा था कि उच्च न्यायालय द्वारा दोषी ठहराए जाने और सजा पर रोक लगाए जाने के बावजूद व्यक्ति को सांसद के रूप में बहाल नहीं किया गया है। गौरतलब है कि लोकसभा सचिवालय द्वारा 13 जनवरी को जारी एक अधिसूचना के अनुसार, कवारत्ती में एक सत्र अदालत द्वारा हत्या के प्रयास के मामले में दोषी ठहराए जाने की तारीख 11 जनवरी से फैजल लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य हो गया था।
सुप्रीम कोर्ट
- फोटो : अमर उजाला
बॉम्बे लॉयर्स बॉडी ने न्यायपालिका पर टिप्पणी को लेकर धनखड़ और रिजिजू के खिलाफ की कार्रवाई की मांग
बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन ने बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दरअसल, न्यायपालिका और न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम प्रणाली पर टिप्पणी को लेकर केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू और उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ के खिलाफ दाखिल याचिका बॉम्बे हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ अब लॉयर्स एसोसिएशन ने यह कदम उठाया है।
बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन ने बॉम्बे हाईकोर्ट के 9 फरवरी के आदेश को इस आधार पर खारिज करने के लिए चुनौती दी है कि यह संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत रिट अधिकार क्षेत्र को लागू करने के लिए उपयुक्त मामला नहीं था। वकील अहमद आब्दी जानकारी दी कि आज हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका मंगलवार को दायर की गई है।
बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन ने दावा किया था कि रिजिजू और धनखड़ ने अपनी टिप्पणियों और आचरण से संविधान में विश्वास की कमी दिखाई है। इसने धनखड़ को उपाध्यक्ष के रूप में कर्तव्य का निर्वहन करने और रिजिजू को केंद्र सरकार के कैबिनेट मंत्री के रूप में अपने कर्तव्य का निर्वहन करने से रोकने के आदेश मांगे थे।
दोषियों के राजनीतिक दल बनाने-चलाने पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर मई में होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट मई में उस याचिका पर सुनवाई करेगा जिसमें सजायाफ्ता व्यक्तियों को राजनीतिक दल बनाने और चुनाव कानूनों के तहत अयोग्य ठहराए जाने की अवधि के लिए उनका पदाधिकारी बनने से रोकने की मांग की गई है। शीर्ष कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वह इस जनहित याचिका पर मई के पहले सप्ताह में सुनवाई करेगा।
मंगलवार को वकील अश्विनी उपाध्याय ने न्यायमूर्ति केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ से मांग की थी कि इस पर 5 या 6 अप्रैल को सुनवाई की जाए। इस पर पीठ ने पूछा कि इसकी तात्कालिकता का क्या कारण है?
बता दें कि वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने 2017 में यह जनहित याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया था कि सजायाफ्ता राजनेता, जिन्हें चुनाव लड़ने से रोक दिया गया है, वे अभी भी राजनीतिक दल चला सकते हैं और उनमें पद संभाल सकते हैं, इसके अलावा यह भी तय कर सकते हैं कि कौन विधायक बनेगा। याचिका में दोषी व्यक्तियों पर चुनाव कानूनों के तहत अयोग्य ठहराए जाने की अवधि के लिए राजनीतिक दल बनाने और पदाधिकारी बनने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी।
शीर्ष कोर्ट ने खारिज की सीमा शुल्क विभाग की याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने अदाणी फर्मों द्वारा पूंजीगत वस्तुओं के आयात में कथित ओवरवैल्यूएशन पर कस्टम की याचिका को खारिज कर दिया है। सीमा शुल्क विभाग ने अदाणी पावर महाराष्ट्र लिमिटेड (एपीएमएल), अदाणी पावर राजस्थान लिमिटेड (एपीआरएल) और अन्य के खिलाफ याचिका दाखिल की थी।
जस्टिस कृष्ण मुरारी और संजय करोल की पीठ ने सुनवाई के दौरान वादी और प्रतिवादी पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि हमने अपीलकर्ताओं की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल बलबीर सिंह और प्रतिवादियों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी को विस्तार से सुना। अधीनस्थ अधिकारियों और विवादित आदेश में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। ऐसे में यह याचिका खारिज की जाती है।
सीमा शुल्क विभाग और अदाणी फर्मों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों की विस्तृत दलीलें सुनने के बाद सोमवार को पीठ ने यह आदेश पारित किया। मामले से जुड़े एक वकील ने बताया कि एपीएमएल और एपीआरएल की परियोजना लागत या तो समान थी या उनके प्रतिस्पर्धियों की कीमत से कम थी।
इससे पहले, राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने मई 2014 में पूंजीगत वस्तुओं के आयात में अधिक मूल्यांकन का आरोप लगाते हुए फर्मों और अन्य को कारण बताओ नोटिस जारी किया। हालांकि बाद में डीआरआई ने 2017 में कहा कि आयात की गई सभी वस्तुएं वास्तविक थीं। उसने निष्कर्ष निकाला कि आयात किए गए सामान का घोषित मूल्य सही था। ऐसे में इसे फिर से निर्धारित करने की आवश्यकता नहीं थी। इसके बाद उसने नोटिस खारिज कर दिए थे।
कूनो नेशनल पार्क में एशियाई शेरों के स्थानांतरण पर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दिया जवाब
केंद्र ने मंगलवार को शीर्ष अदालत को बताया कि मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में अफ्रीकी चीतों के आने के बाद से सरकार और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने इसकी फिर से जांच करने का फैसला किया है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ के समक्ष अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी द्वारा दायर हलफनामे में केंद्र द्वारा बताया गया था कि इस संबंध में विशेषज्ञों की सलाह के आधार पर अदालत के समक्ष छह महीने के भीतर एक स्थिति रिपोर्ट दायर की जाएगी।
हलफनामे में कहा गया है कि कूनो राष्ट्रीय उद्यान में हाल ही में अफ्रीकी चीतों के आने और गुजरात में गिर राष्ट्रीय उद्यान से परे भविष्य के एशियाई शेरों को सुरक्षित करने के लिए उठाए गए कदमों के मद्देनजर केंद्रीय मंत्रालय और एनटीसीए ने एशियाई चीतों के स्थानांतरण की फिर से जांच करने का फैसला किया है।
नामीबियाई चीता
- फोटो : सोशल मीडिया
नामीबियाई चीता के मरने के बाद शीर्ष कोर्ट ने टास्क फोर्स विशेषज्ञों से मांगी जानकारी
मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में नामीबियाई मादा चीते की मौत के एक दिन बाद शीर्ष अदालत ने मंगलवार को चीता कार्यबल के विशेषज्ञों से उनकी योग्यता और अनुभव के बारे में जानकारी मांगी है। गौरतलब है कि नामीबिया से कूनो नेशनल पार्क (केएनपी) में सात अन्य चीतों के साथ स्थानांतरित किए जाने के छह महीने से अधिक समय बाद साशा नाम की साढ़े चार वर्षीय मादा चीता की गुर्दे की बीमारी के कारण सोमवार को मृत्यु हो गई।
इसके बाद, मंगलवार को जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने केंद्र से टास्क फोर्स के उन विशेषज्ञों का विवरण प्रस्तुत करने को कहा जो चीता प्रबंधन के विशेषज्ञ हैं। कोर्ट ने इसके लिए दो सप्ताह का समय दिया है।
शीर्ष अदालत ने यह निर्देश केंद्र द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया है। इस याचिका में अदालत से निर्देश मांगा गया था कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के लिए इस अदालत द्वारा 28 जनवरी, 2020 के एक आदेश के माध्यम से नियुक्त विशेषज्ञ समिति के मार्गदर्शन और सलाह को जारी रखना अब आवश्यक और अनिवार्य नहीं है।
एनजीओ सेंटर फॉर एनवायरनमेंट लॉ डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांतो चंद्र सेन ने कहा कि चीता टास्क फोर्स के पैनल में कोई चीता विशेषज्ञ नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को दिल्ली में बिना अनुमति के बेघरों के लिए अस्थायी आश्रयों को ध्वस्त करने से रोका
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (DUSIB), दिल्ली पुलिस और दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) सहित संबंधित अधिकारियों को राष्ट्रीय राजधानी में बेघरों के लिए उनकी अनुमति के बिना अस्थायी आश्रयों को गिराने से रोक दिया।
जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस दीपांकर दाता की पीठ ने गीता घाट पर तीन अस्थायी आश्रयों से संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए आदेश पारित किया, जो बेघरों की विशेष श्रेणी जैसे कि टीबी, आर्थोपेडिक विकलांग और मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों से पीड़ित व्यक्तियों के लिए बनाया गया था।
पीठ ने आदेश दिया कि इन परिस्थितियों के मद्देनजर, डीयूएसआईबी, दिल्ली पुलिस और डीडीए और एनसीटीडी में काम कर रहे अन्य सभी प्राधिकरणों को निर्देश दिया जाता है कि गीता घाट पर वर्तमान में चल रहे तीन आश्रयों और किसी भी अन्य अस्थायी आश्रय को इस अदालत में आए बिना ध्वस्त न करें।
पीठ ने डीयूएसआईबी को दिल्ली पुलिस, डीडीए या किसी अन्य एजेंसी के आदेश पर ध्वस्त किए गए आश्रयों के बजाय वैकल्पिक आश्रयों के निर्माण के बारे में अगले छह सप्ताह के भीतर एक योजना तैयार करने और प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से जेलों में अव्यवस्था दूर करने के लिए कदम उठाने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र और राज्यों से जेलों की अव्यवस्था दूर करने के लिए प्रभावी कदम उठाने को कहा क्योंकि यह अंततः आपराधिक न्याय प्रणाली को सफाई की ओर ले जाएगा। जस्टिस संजय किशन कौल, अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और अरविंद कुमार की खंडपीठ ने कहा कि हर कोई देश में जेलों की अव्यवस्था के बारे में बात करता है और सामाजिक रूप से कमजोर वर्ग के लोग जेल में सड़ रहे हैं। हम चाहते हैं कि इसे लेकर सरकार कुछ विचार करे ... और कदम उठाए। कदम नहीं उठाकर, आप न केवल जेलों को अव्यवस्थित करते हैं बल्कि आप देश में आपराधिक न्याय प्रणाली को भी अव्यवस्थित करेंगे।
बेंच "जमानत देने के लिए नीतिगत रणनीति" पर 2021 के स्वत: संज्ञान (स्वयं के) मामले की सुनवाई कर रही थी। एमिकस क्यूरी (अदालत के मित्र) गौरव अग्रवाल ने अंडरट्रायल कैदियों (यूटीपी) और दोषियों को जमानत दिए जाने के बावजूद उनकी रिहाई न होने, उनकी समय से पहले रिहाई और देश में प्ली बार्गेनिंग की स्थिति जैसे मुद्दों पर डाटा का उल्लेख करने के बाद यह टिप्पणी की।
एमिकस क्यूरी ने एक लिखित नोट का हवाला दिया और कहा कि पिछले साल 31 दिसंबर तक 5,000 से अधिक अभियुक्तों और दोषियों की पहचान की गई थी, जिन्हें जमानत दिए जाने के बावजूद रिहा नहीं किया गया था।
अभियुक्तों के प्रति अनुचित उदारता कानूनी व्यवस्था में जनता के विश्वास पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी: सुप्रीम कोर्ट
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि दुष्कर्म और हत्या जैसे जघन्य अपराधों के मामलों में इस आधार पर ‘‘अनुचित नरमी’’ दिखाना कि दोषी सुधार कर सकता है, कानूनी व्यवस्था में जनता के विश्वास पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा और अदालतों को पीड़ितों के अधिकारों पर भी विचार करना चाहिए।
अदालत ने 2005 में बेंगलुरु में 28 वर्षीय बीपीओ कर्मचारी से दुष्कर्म और हत्या के लिए दोषी कैब चालक शिव कुमार द्वारा दायर अपील पर आदेश पारित किया। इसमें कहा गया, तथ्य ऐसे हैं, जो किसी भी अदालत की अंतरात्मा को झकझोर कर रख देंगे। निचली अदालत ने कुमार को आईपीसी की धारा 366,376 और 302 के तहत अपहरण, दुष्कर्म और हत्या के अपराध का दोषी ठहराया था, जिसने उन्हें जीवन भर सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई थी। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा।
कानून के अनुसार, आजीवन कारावास की सजा काट रहा एक अपराधी समय से पहले रिहाई के लिए योग्य हो जाता है यदि उसने वास्तविक सजा के 14 या उससे अधिक वर्षों की सजा काटी हो। मंगलवार को जस्टिस अभय एस ओका और राजेश बिंदल की एससी बेंच ने कुमार को दी गई उम्रकैद की सजा को संशोधित किया ताकि उसे कोई छूट न मिले और वास्तविक सजा के 30 साल पूरे होने के बाद ही रिहा किया जा सके।
नशीले पदार्थों के मामले में अभियुक्त को जमानत नहीं दी जानी चाहिए, जब तक कि दोषी नहीं होने का ठोस आधार न हो: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ठ ने कहा है कि वाणिज्यिक मात्रा में व्यापार से जुड़े नशीले पदार्थों के मामले में एक आरोपी को तब तक जमानत पर रिहा नहीं किया जाना चाहिए जब तक कि अदालत इस बात से संतुष्ट न हो जाए कि इस बात के उचित आधार हैं कि वह व्यक्ति दोषी नहीं है और उसके जमानत पर रहते हुए अपराध करने की संभावना नहीं है।
जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन और पंकज मिथल की पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक आदेश को रद्द करते हुए यह अवलोकन किया, जिसने नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस एक्ट के तहत एक आरोपी व्यक्ति को जमानत पर रिहा कर दिया गया था।
आंध्र कैपिटल केस मामले में जगन रेड्डी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका
आंध्र प्रदेश के जगन मोहन रेड्डी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल मार्च में दिए गए उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने के राज्य के अनुरोध को स्वीकार नहीं किया। उच्च न्यायालय के आदेश में वाईएसआरसीपी सरकार को छह महीने के भीतर अमरावती को राज्य की राजधानी के रूप में विकसित करने के लिए कहा गया था।
न्यायमूर्ति केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्न ने कहा कि अदालत 11 जुलाई को इस मुद्दे से जुड़ी अन्य याचिकाओं के साथ सरकार के अनुरोध पर सुनवाई करेगी। मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने राज्य विधानसभा में घोषणा की थी कि वह जुलाई से विशाखापत्तनम में शिफ्ट होंगे और तटीय शहर से काम करेंगे।
न्यायमूर्ति जोसेफ 16 जून को सेवानिवृत्त हो रहे हैं और इस मुद्दे के जुलाई में नई पीठ के समक्ष आने की उम्मीद है। 2014 में पूर्ववर्ती आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद तेलंगाना और खण्डित आंध्र प्रदेश को हैदराबाद को 10 साल के लिए राजधानी के रूप में साझा करना था। चंद्रबाबू नायडू, जो खण्डित आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चुने गए थे, ने घोषणा की कि वह अमरावती में एक विश्व स्तरीय ग्रीनफील्ड राजधानी का निर्माण करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिलान्यास समारोह में गए थे।
हजारों एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया और नई राजधानी के निर्माण के साथ बड़ी योजनाएं तैयार की गईं, लेकिन राशि एक बड़ी चुनौती साबित हुई। इसके बाद मई 2019 में जब रेड्डी मुख्यमंत्री बने, तो उनकी सरकार ने भूमि अधिग्रहण में बड़े रियल एस्टेट घोटाले का आरोप लगाया और अमरावती में नई राजधानी की योजना भी बनाई और एपी कैपिटल रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी को खत्म कर दिया। रेड्डी ने विकेंद्रीकरण की घोषणा करते हुए एक नया कानून पारित किया और कहा कि राज्य की तीन राजधानियां होंगी - कुरनूल में एक न्यायिक राजधानी, अमरावती में एक विधायी राजधानी और विशाखापत्तनम में एक कार्यकारी राजधानी।
सुप्रीम कोर्ट
- फोटो : सोशल मीडिया
एमपी कांग्रेस नेता की याचिका पर केंद्र से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता गोविंद सिंह को धन शोधन के एक मामले में ईडी द्वारा जारी समन पर रोक लगाने से मंगलवार को इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और अरविंद कुमार की पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जारी समन को चुनौती देने वाली सिंह की याचिका पर नोटिस जारी किया और मामले को छह सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया।
सुनवाई के दौरान गोविंद सिंह का पक्ष रखने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अधिवक्ता सुमीर सोढ़ी ने कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत उनके खिलाफ 13 जनवरी को जारी समन पर अदालत को रोक लगानी चाहिए। इस पर पीठ ने कहा कि वह गोविंद सिंह की याचिका के साथ-साथ समन पर रोक लगाने की अंतरिम राहत के सवाल पर नोटिस जारी करेगी लेकिन फिलहाल ईडी के समन पर रोक नहीं लगायेगी।
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