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SC fixes May 9 for detailed hearing on batch of petitions pertaining to criminalisation of marital rape
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मैरिटल रेप पर नौ मई को 'सुप्रीम' सुनवाई: बिना मंजूरी पत्नी से संबंध बनाने को अपराध घोषित करने की मांग, जानें
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु मिश्रा
Updated Wed, 22 Mar 2023 11:44 AM IST
सार
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कोर्ट में सुनवाई के बाद तय होगा कि मैरिटल रेप यानी शादी के बाद बिना पत्नी की मंजूरी के शारीरिक संबंध बनाना अपराध है या नहीं। कई मामलों में महिलाओं ने अपने पतियों के खिलाफ मैरिटल रेप की शिकायतें दर्ज करवाईं हैं। वहीं, बड़ी संख्या में लोगों की दलील होती है कि शादीशुदा दंपति के बीच बने शारीरिक संबंध को रेप नहीं माना जा सकता है।
पत्नी से बिना मंजूरी लिए शारीरिक संबंध बनाने को रेप के दायरे में लाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुई है। इससे संबंधित कई और याचिकाएं कोर्ट में दायर हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अब इन सभी मामलों में सुनवाई के लिए नौ मई की तारीख तय की है।
कोर्ट में सुनवाई के बाद तय होगा कि मैरिटल रेप यानी शादी के बाद बिना पत्नी की मंजूरी के शारीरिक संबंध बनाना अपराध है या नहीं। कई मामलों में महिलाओं ने अपने पतियों के खिलाफ मैरिटल रेप की शिकायतें दर्ज करवाईं हैं। वहीं, बड़ी संख्या में लोगों की दलील होती है कि शादीशुदा दंपति के बीच बने शारीरिक संबंध को रेप नहीं माना जा सकता है।
इसको लेकर हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में कई याचिकाएं दायर हुईं हैं। इसमें मांग की गई है कि बिना पत्नी की सहमति के बनने वाले शारीरिक संबंध को अपराध की श्रेणी में शामिल किया जाए।
कई रिपोर्ट में अलग-अलग दावे हुए
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NHFS-5) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 32 प्रतिशत महिलाओं ने अपनी शादी के बाद शारीरिक, यौन या भावनात्मक हिंसा का अनुभव किया है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, 18 से 49 साल की आयुवर्ग में विवाहित महिलाएं, जिन्होंने वैवाहिक शारीरिक या यौन हिंसा का अनुभव किया है, उन्हें शारीरिक चोटें आईं हैं।
भारत में क्या है इसको लेकर कानून?
भारत में अभी आईपीसी की धारा 375 के तहत ही ऐसे मामले दर्ज किए जाते हैं। ये रेप से जुड़े मामले होते हैं। इसमें महिला के साथ बिना सहमति वाले सभी तरह के यौन उत्पीड़न शामिल हैं। हालांकि, धारा 375 के अपवाद 2 के तहत अगर पत्नी या पति की उम्र 15 साल से ज्यादा है तो उनके बीच अनिच्छा से संभोग 'बलात्कार' नहीं होता है। यही अपवाद मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में आने से रोकता है।
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