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SC awards 6-month jail term to US-based man for 'contumacious conduct', imposes Rs 25 lakh fine
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Supreme Court: अमेरिका में रह रहे भारतीय को अवमानना के आरोप में छह महीने की सजा, जानें पूरा मामला
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: कुमार विवेक
Updated Sat, 03 Jun 2023 02:07 PM IST
Supreme Court: शीर्ष अदालत ने 2007 में आरोपित व्यक्ति से शादी करने वाली एक महिला की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया है। महिला ने आरोप लगाया था कि उसने अदालत की ओर से पारित मई 2022 के आदेश में दर्ज वचन का उल्लंघन किया था।
उच्चतम न्यायालय ने 2004 से अमेरिका में रह रहे एक व्यक्ति को उसके ''मनमाने आचरण'' के लिए छह महीने जेल की सजा सुनाई। इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र तथा सीबीआई को निर्देश दिया कि वह जेल की सजा काटने के लिए भारत में उसकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाए।
शीर्ष अदालत ने जनवरी में व्यक्ति को अदालत के आदेश के अनुसार अपने बेटे को भारत वापस लाने में विफल रहने के लिए अवमानना का दोषी ठहराया था और निर्देश दिया था कि वह छह महीने के भीतर 25 लाख रुपये का जुर्माना भरे। न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति ए एस ओका की पीठ ने कहा कि अवमाननाकर्ता ने पश्चाताप का कोई संकेत नहीं दिखाया है और इसके विपरीत, उनकी ओर से दी गई दलीलों से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि उनके मन में शीर्ष अदालत के आदेशों के लिए "बहुत कम सम्मान" है।
पीठ ने 16 मई को सुनाए गए अपने फैसले में कहा, 'उनके क्रूर आचरण पर विचार करते हुए, हम अवमाननाकर्ता को 25 लाख रुपये का जुर्माना भरने और दीवानी और आपराधिक अवमानना करने के लिए छह महीने की साधारण कारावास की सजा काटने का निर्देश देते हैं।' इसमें कहा गया है कि जुर्माने की राशि का भुगतान नहीं करने पर उसे दो महीने के साधारण कारावास की और सजा काटनी होगी।
शीर्ष अदालत ने 2007 में आरोपित व्यक्ति से शादी करने वाली एक महिला की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया है। महिला ने आरोप लगाया था कि उसने अदालत की ओर से पारित मई 2022 के आदेश में दर्ज वचन का उल्लंघन किया था।
इस मामले में अदालत ने कहा कि महिला की आर से दायर अवमानना याचिका एक दुर्भाग्यपूर्ण वैवाहिक विवाद का परिणाम है और जैसा कि इस तरह के हर विवाद में होता है, बच्चा सबसे ज्यादा पीड़ित है। अदालत ने कहा था कि व्यक्ति की ओर से किए गए उल्लंघनों के परिणामस्वरूप महिला को उसके 12 वर्षीय बेटे की कस्टडी से वंचित कर दिया गया, जिसकी वह मई 2022 के आदेश के संदर्भ में हकदार थी।
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