Hindi News
›
India News
›
Saw my brother lying in a pool of blood mother shielding him from mob Manipur violence survivor
{"_id":"647b42701640f55ec6035533","slug":"saw-my-brother-lying-in-a-pool-of-blood-mother-shielding-him-from-mob-manipur-violence-survivor-2023-06-03","type":"feature-story","status":"publish","title_hn":"मणिपुर हिंसा की पीड़िता की आपबीती: 'मैं आखिरी बार पीछे मुड़ी..भाई खून से लथपथ था, मां उसे भीड़ से बचा रही थीं'","category":{"title":"India News","title_hn":"देश","slug":"india-news"}}
मणिपुर हिंसा की पीड़िता की आपबीती: 'मैं आखिरी बार पीछे मुड़ी..भाई खून से लथपथ था, मां उसे भीड़ से बचा रही थीं'
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: निर्मल कांत
Updated Sat, 03 Jun 2023 07:09 PM IST
जमंगाईकिम बताती हैं, मैं भागने से पहले आखिरी बार मुड़ी और मैंने अपने भाई को खून से लथपथ और भीड़ से घिरा हुआ देखा, जबकि मेरी मां उसे (भाई को) बचाने की कोशिश कर रही थी। मैंने दौड़ना शुरू किया।
मणिपुर में दो समुदायों के बीच हुए हिंसक संघर्ष के बाद जनजीवन धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगा है। लेकिन, इस हिंसा ने कई लोगों को गहरे जख्म दे दिए हैं। बीस साल की जमंगाईकिम गांगटे उनमें से एक हैं। पिछले महीने जब जातीय हिंसा भड़की तो वह और उनके परिवार के छह सदस्य घर छोड़कर सीआरपीएफ के राहत शिविर के निकले। लेकिन, उनमें से केवल चार ही जानलेवा भीड़ को चकमा देने में सफल हो पाए और घंटों के बाद शिविर में पहुंचे। जमंगाईकिम को खुद को कई घंटों तक कार की डिग्गी में ठूंसना पड़ा।
द्वारका के दो शिविरों में मणिपुर हिंसा के 60 से ज्यादा पीड़ित
जमंगाईकिम के परिवार के दो सदस्यों (जमंगाईकिम की मां और भाई) को भीड़ ने मार डाला था। वहीं, एक सदस्य परिवार से अलग हो गया जो कुछ दिनों के बाद मिला। परिवार किसी तरह नई दिल्ली पहुंचने में कामयाब रहा। मणिपुर हिंसा से प्रभावित लोगों के लिए नई दिल्ली के द्वारका में दो शिविर बनाए गए हैं। इनमें साठ से अधिक पीड़ित रह रहे हैं। जमंगाईकिम उनमें से एक हैं।
हिंसा भड़कने के बाद रिश्तेदार के घर पहुंचा परिवार
तीन मई को मणिपुर में हिंसा भड़कने के बाद जमंगाईकिम और उनका परिवार इंफाल में अपने एक रिश्तेदार के घर चला गया और अगली सुबह घर लौट आया। वह बताती हैं, जब हम घर लौटे तो पता चला कि पास में सीआरपीएफ का एक राहत शिविर है। इसलिए, हमने कुछ जरूरी सामान और महत्वपूर्ण दस्तावेज पैक किए और वहां से जाने का फैसला किया।
भीड़ ने हमें कार से बाहर निकाला और...
वह और उनके परिवार के सदस्य (उनकी मां, भाई, भाभी, चचेरे भाई और चाची) अपने एक साल के बच्चे के साथ एक कार में निकले। उसके कुछ चचेरे भाई दूसरी कार में यात्रा कर रहे थे। वह बताती हैं, 'हम सुबह करीब 10 बजे निकले और कुछ देर के लिए सड़कें खाली थीं। शिविर से लगभग आधा किलोमीटर दूर, हमारी कार को भीड़ ने घेर लिया था। कुछ लोगों ने दरवाजे खोले और हमें कार से बाहर निकाला। उन्होंने कार पर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा दी।'
जातीयता को लेकर हमसे सवाल किया, हमने कहा मिजो हैं..
जमंगाईकिम आगे बताती हैं, भीड़ ने मेरे भाई को पीटना शुरू कर दिया और हम उसे बचाने की कोशिश कर रहे थे। फिर एक आदमी ने हमें एक बेंच पर बैठिया और हमारी जातीयता के बारे में हमसे सवाल करना शुरू कर दिया। हमने उन्हें बताया कि हम मिजो हैं और वह हमें छोड़ने के लिए लगभग तैयार हो गए थे, लेकिन उनमें से कुछ ने हम पर संदेह किया और हमें रोक दिया।
अगर जिंदा रहना चाहती हो तो भाग जाओ...
दूसरी कार में सवार जमंगाईकिम के रिश्तेदार भागने में सफल रहे। बाद में जमंगाईकिम और उनकी मां भी भागने में सफल रहे और पास की एक इमारत में छिप गए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। जमंगाईकिम बताती हैं, भीड़ ने हमें दस मिनट के भीतर ढूंढ लिया। उन्होंने लोहे की छड़ों और डंडों से लैस लोगों ने हमें खींचकर बाहर निकाला। बाहर आने के बाद पुरुषों की भीड़ के हिस्सा रहे एक व्यक्ति ने फुसफुसाकर कहा कि अगर जिंदा रहना चाहती हो तो वह भाग जाओ।
मैंने अपने भाई को खून से लथपथ देखा..
वह याद करते हुए बताती हैं, मैं भागने से पहले आखिरी बार मुड़ी और मैंने अपने भाई को खून से लथपथ और भीड़ से घिरा हुआ देखा, जबकि मेरी मां उसे (भाई को) बचाने की कोशिश कर रही थी। मैंने दौड़ना शुरू किया और अपनी चचेरी बहन और चाची को अपने बच्चे के साथ देखा। दो अनजान लोगों ने परिवार को एक सरकारी इमारत में छिपने में मदद की। इमारत में छिपने के दौरान मैंने सभी हेल्पलाइन नंबरों पर संपर्क करना शुरू किया, लेकिन कहीं से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। थोड़ी देर बाद एक पुलिस अधिकारी ने मेरे कॉल का जवाब दिया और कहा कि उन्होंने उस स्थान से एक पुरुष और एक बुजुर्ग महिला के शव उठाए हैं, जहां पर भीड़ ने हम पर हमला किया था। मैं समझ गई कि यह मेरी मां और मेरा भाई है।
कार की डिग्गी के अंदर दम घुट रहा था...
सरकारी इमारत में पांछ घंटे तक छिपे रहने के बाद एक आदमी ने परिवार को निकटतम राहत शिविर तक पहुंचने में मदद की। जमंगाईकिम बताती हैं, मैं, मेरा चचेरा भाई, मेरी चाची और उसका बच्चा उस आदमी की कार की डिग्गी में छिप गए। जिस आदमी ने हमारी मदद की, उसने कहा कि अगर हम सड़क पर पकड़े गए तो हम सभी मारे जाएंगे लेकिन हमारे पास कोई और विकल्प नहीं था। कार की डिग्गी के अंदर बहुत अंधेरा था और दम घुट रहा था, इसलिए मेरी चाची का बच्चा रो रहा था। उस व्यक्ति ने बच्चे के शोर को दबाने के लिए अपनी कार में तेज संगीत बजाया।
परिवार छह मई को हवाई अड्डे पहुंचा लेकिन..
कुछ दिन बाद जमंगाईकिम की भाभी, जिसे सीआरपीएफ कर्मियों ने ढूंढ निकाला था, परिवार से मिली। परिवार 6 मई को हवाई अड्डे के अंदर पहुंच गया, लेकिन दिल्ली के लिए उनकी उड़ान 10 मई को निर्धारित थी। जमंगाईकिम की भाभी का यहां एम्स ट्रॉमा सेंटर में इलाज चल रहा है।
कैसे शुरु हुई हिंसक झड़पें...
मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में तीन मई को पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किए गए थे। जिसके बाद राज्यभर में झड़पें शुरू हो गई थीं। हिंसा से पहले कुकी समुदाय के ग्रामीणों को आरक्षित वन भूमि से बेदखल करने को लेकर तनाव पैदा हो गया था, जिसके कारण लगातार कई छोटे आंदोलन हुए थे। मणिपुर की आबादी में मैतई समुदाय की हिस्सेदारी करीब 53 फीसदी है। ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। आदिवासी - नागा और कुकी - आबादी का 40 फीसदी हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में रहते हैं।
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.
विज्ञापन
विज्ञापन
एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें
अतिरिक्त ₹50 छूट सालाना सब्सक्रिप्शन पर
Next Article
Disclaimer
हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।