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RBI to begin first phase of retail e-rupee pilot from Thursday
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E-Rupee: ई-रूपी आज लेगा आकार, आम लोगों के लिए चार शहरों में लेनदेन, भारत की डिजिटल यात्रा का अगला कदम
अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली।
Published by: देव कश्यप
Updated Thu, 01 Dec 2022 04:43 AM IST
सार
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आरबीआई ने कहा कि एक दिसंबर को बंद उपयोगकर्ता समूह (सीयूजी) में चुनिंदा जगहों पर यह परीक्षण किया जाएगा। यह भौतिक मुद्रा की तरह ही भरोसे, सुरक्षा और अंतिम समाधान (सेटलमेंट) जैसी खूबियों से लैस है।
कारोबारियों की तरह अब आम लोग भी ई-रूपी में लेनदेन कर सकेंगे। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) इसके लिए देश के चार शहरों में एक दिसंबर से डिजिटल रुपये के खुदरा इस्तेमाल से जुड़ा पहला पायलट परीक्षण करेगा। परीक्षण में सरकारी और निजी क्षेत्र के चार बैंक एसबीआई, आईसीआईसीआई, यस बैंक एवं आईडीएफसी फर्स्ट शामिल होंगे। सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) एक डिजिटल टोकन के रूप में होगी। यह लीगल टेंडर होगा यानी इसे कानूनी मुद्रा माना जाएगा। ई-रूपी को उसी मूल्य पर जारी किया जाएगा, जिस पर वर्तमान में करेंसी नोट और सिक्के जारी होते हैं।
आरबीआई ने मंगलवार को कहा था कि एक दिसंबर को बंद उपयोगकर्ता समूह (सीयूजी) में चुनिंदा जगहों पर यह परीक्षण किया जाएगा। यह भौतिक मुद्रा की तरह ही भरोसे, सुरक्षा और अंतिम समाधान (सेटलमेंट) जैसी खूबियों से लैस है। पायलट प्रोजेक्ट वास्तविक समय में डिजिटल रुपये के निर्माण, वितरण और खुदरा उपयोग की पूरी प्रक्रिया की मजबूती का परीक्षण करेगा। इससे पहले एक नवंबर से इसके थोक इस्तेमाल का पायलट परीक्षण शुरू हो चुका है। डिजिटल रूपी में करेंसी नोट वाले सभी फीचर होंगे। लोग डिजिटल रूपी को नकदी में बदल सकेंगे। खास बात है कि क्रिप्टोकरेंसी के उलट इसके मूल्य में कोई उतार-चढ़ाव नहीं आएगा।
परीक्षण में एसबीआई समेत चार बैंक
डिजिटल वॉलेट से लेनदेन: डिजिटल रुपये को मोबाइल फोन और दूसरे उपकरणों में रखा जा सकेगा। इसे बैंकों के जरिये वितरित किया जाएगा। उपयोगकर्ता पायलट परीक्षण में शामिल होने वाले बैंकों की ओर से मिलने वाले डिजिटल वॉलेट के जरिये ई-रूपी में लेनदेन कर सकेंगे।
क्यूआर कोड से भुगतान: आरबीआई ने कहा, ई-रूपी के जरिये व्यक्ति से व्यक्ति (पी2पी) और व्यक्ति से मर्चेंट (पी2एम) दोनों के रूप में लेनदेन कर सकेंगे। मर्चेंट यानी व्यापारियों के यहां लगे क्यूआर कोड के माध्यम से भुगतान किया जा सकेगा।
नहीं मिलेगा कोई ब्याज...नकदी की तरह ही धारक को डिजिटल मुद्रा पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा। इसे बैंकों के पास जमा के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।
यह होगा फायदा : बैंकों को पैसा हस्तांतरित करने में आसानी, मुद्रा छापने का खर्च घटेगा, अवैध मुद्रा की रोकथाम, आसान टैक्स वसूली, काले धन व मनी लॉन्ड्रिंग पर लगाम लगेगी।
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भरोसा, सुरक्षा, अंतिम समाधान जैसी खूबियों से लैस है ई-रूपी।
ई-रूपी उसी मूल्य पर जारी होगा, जिस पर वर्तमान में जारी होते हैं करेंसी नोट और सिक्के।
इन चार शहरों में परीक्षण
दिल्ली, मुंबई, बंगलूरू और भुवनेश्वर में सीबीडीसी के खुदरा इस्तेमाल से जुड़ा पहला पायलट परीक्षण किया जाएगा।
अहमदाबाद, गंगटोक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोच्चि, लखनऊ, पटना और शिमला में बाद में शुरू होगी सेवा।
आरबीआई ने 8 बैंकों का चयन किया है। इसमें पहले चरण में चार बैंक हैं। बाद में अन्य बैंकों को जरूरत के आधार पर इसमें शामिल किया जा सकता है।
डिजिटल रूपी में करेंसी नोट वाले सभी फीचर होंगे। लोग डिजिटल रूपी को नकदी में बदल सकेंगे।
11 देशों में लागू, 112 में तैयारी
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) यानी किसी देश के केंद्रीय बैंक की ओर से जारी वर्चुअल या डिजिटल करेंसी। लोकप्रिय क्रिप्टो करेंसी या स्टेबल कॉइन के हजारों प्रकार बाजार में उतर चुके हैं। उनके जैसे सीबीडीसी बनाने की तैयारी में 112 देशों के केंद्रीय बैंक जुटे हैं। सरकारी प्रामाणिकता की वजह से यह क्रिप्टो से ज्यादा विश्वसनीय है।
बाहमास से शुरुआत : बाहमास ने अक्तूबर 2020 में सबसे पहले ‘सैंड डॉलर’ नाम से सीबीडीसी शुरू की। जमैका, नाइजीरिया समेत 8 पूर्वी कैरेबियाई देशों में भी लॉन्च।
15 देश अभी परख रहे हैं : रूस, चीन, सऊदी अरब, यूएई, स्वीडन, दक्षिण कोरिया, हांगकांग, थाईलैंड, सिंगापुर, मलयेशिया, यूक्रेन, कजाखस्तान, द. अफ्रीका, घाना शामिल। भारत सहित 26 देश अभी तक विकास के चरण में थे।
डिजिटल रुपया: भारत की डिजिटल यात्रा का अगला कदम
डिजिटल रुपया भारत की डिजिटल यात्रा का अगला कदम साबित होने जा रहा है। जहां दुनिया के तमाम देश डिजिटल करेंसी की संरचना,जोखिम और क्रियान्वयन से जुड़ी रणनीतियों पर सिर खपा रहे हैं, ऐसे में भारत इस क्षेत्र में वैश्विक मानदंड स्थापित करने में निर्णायक भूमिका निभा सकता है। दरअसल, भारत वैश्विक रूप से सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और डिजिटल समाधानों (खासतौर से डिजिटल भुगतानों और वित्तीय समावेश) के विकास में अगुवा की भूमिका पहले से निभाता आ रहा है।
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