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अंबेडकर और बाला साहब देवरस की शरण में संघ

एम संजय/ अमर उजाला, नई दिल्ली Updated Sat, 12 Mar 2016 02:33 AM IST
सार

  • आरक्षण का अपना स्थान
  • साल भर में बढ़ी संघ की 5500 शाखाएं
  • महापुरुषों के समरसता के विचार को समाज में फैलाने के अभियान में लाएंगे तेजी

rashtriya swayamsevak sangh
- फोटो : Rashtriya Swayamsevak Sangh FB Page

विस्तार

देश में बढ़ रहे जातिगत संघर्षों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक  संघ बेहद चिंतित है। हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमुला की खुदकुशी और हरियाणा में उठी आरक्षण की आग ने संघ को बाबा साहब अंबेडकर और बाला साहब देवरस की शरण में जाने को मजबूर कर दिया है। दोनों महान व्यक्तियों  के समरसता के विचार को संघ ने वर्तमान परिस्थितियों से निपटने का औजार बनाया है। संघ ने अपने वार्षिक बैठक के आयोजन स्थल का नाम भी डॉ. भीम राव अंबेडकर मंडप रखा है।


 

शुक्रवार से शुरू हुई प्रतिनिधि सभा की बैठक में समरसता पर बेहद जोर है। बैठक के विषयों की जानकारी देते हुए संघ के सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल ने कहा कि समाज से भेदभाव समाप्त होना चाहिए। समाज में समरसता का भाव पैदा करने के लिए देशभर में प्रयास चल रहे हैं, इन्हें और तेज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि देश इस वर्ष भीमराव अंबेडकर की 125वीं जन्मशती मना रहा है। बाबा साहब के समाज से छूआछूत मिटाने और सबको बराबरी का हक देने के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है।



संघ के तृतीय सर संघचालक बाला साहब देवरस की 100वीं जन्मशती है। उन्होंने भी समाज से छूआछूत  को दूर करने का आह्वान किया था। इसके अलावा दक्षिण के महान संत रामानुजाचार्य के जन्म का यह 1000वां वर्ष है। उन्होंने भी समाज से छूआछूत हटाने के लिए अभियान चलाया। कृष्ण गोपाल ने कहा कि यह वर्ष संघ विचारक दीनदयाल की जन्मशती वर्ष है। उन्होंने समाज से भेदभाव दूर करने के लिए ही अंत्योदय की कल्पना की थी। सह सरकार्यवाह के अनुसार संघ इन महापुरुषों के विचार को आगे रखकर समाज में समरसता भाव बढ़ाने का आह्वान करेगा।
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