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विस्तार
किसानों के मसीहा के रूप में पहचाने जाने वाले दिवंगत कांग्रेस नेता राजेश पायलट की 11 जून को पुण्यतिथि है। इसी दिन हर साल दौसा के भडाणा गांव में एक भव्य श्रद्धांजलि सभा का आयोजन होता है। लेकिन रविवार यानी कल होने वाली इस सभा पर हर किसी निगाहें टिकी हुई हैं। क्योंकि हर कोई यह जानना चाहता है कि सचिन पायलट अपनी पिता की पुण्यतिथि वाले दिन क्या अहम एलान करने जा रहे हैं। क्योंकि पिछले कई दिनों से प्रदेश की सियासत में सचिन पायलट के भविष्य को लेकर चर्चाओं का बाज़ार गर्म है। उनकी नई पार्टी बनाने की संभावित घोषणा को लेकर राजनीतिक गलियारों से लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तक में बहस छिड़ी हुई है। हालांकि इन सभी पर पायलट ने चुप्पी साध रखी है। उधर, राजधानी दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान आश्वस्त है कि पायलट उनका साथ छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे। ऐसे में राजस्थान के लोगों यह जानने के लिए बेताब है कि आखिर 11 जून को सचिन क्या करने जा रहे हैं।
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कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता रहे राजेश पायलट के बेटे और राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट पिछले साढ़े चार से कांग्रेस पार्टी और अशोक गहलोत सरकार से नाराज चल रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी और अहम वजह एक है कि प्रदेश में भाजपा शासन के दौरान विपक्षी दल के प्रदेशाध्यक्ष रहते हुए सचिन ने जी-जान लगाकर मेहनत की। कांग्रेस राज्य की सत्ता तक पहुंचने में कामयाब रही, लेकिन उन्हें प्रदेश का सीएम नहीं बनाते हुए डिप्टी सीएम बना दिया गया है। खुद पायलट और उनके समर्थकों को पूरा विश्वास था कि मुख्यमंत्री की कुर्सी उन्हें ही मिलेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
इसके बाद से लगातार पायलट प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की मांग को लेकर कई बार हाईकमान को अपने बगावती तेवर दिखा चुके हैं। लेकिन हाईकमान ने कोई कदम नहीं उठाया। यहीं नहीं सीएम गहलोत और पायलट के बीच आए दिन जुबानी जंग भी देखने को मिलती है। हाल ही में विधानसभा चुनाव को नजदीक देखते हुए दिल्ली दरबार ने एक बार फिर दोनों के बीच सुलह होने का दावा किया है। लेकिन आज तक सचिन की उठाई मांगों पर न तो कांग्रेस हाईकमान ने कोई फैसला लिया है न ही प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार ने। यही कारण है कि पिता की पुण्यतिथि वाले दिन पायलट क्या फैसला लेते हैं, इस पर सबकी नजर टिकी हुई हैं।
अमर उजाला से बातचीत में राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार संदीप दहिया कहते हैं कि पायलट के पिता राजेश पायलट कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे हैं। राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर 11 जून को दौसा में हर साल कार्यक्रम होता है। इस कार्यक्रम में हर साल करीब 3000 लोग शामिल होते हैं। लेकिन इस बार का कार्यक्रम सचिन पायलट के पार्टी के खिलाफ बगावती तेवरों के चलते चर्चा में है। संभावना है कि इस कार्यक्रम में 5 से 7 हजार लोग शामिल हों। क्योंकि पायलट के समर्थक जो इस विधानसभा चुनाव में टिकट चाहते हैं, वह भी चुनावी साल में अपने नेता के सामने अपनी ताकत का अहसास कराने से नहीं चुकेंगे। यहीं नहीं 11 तारीख पायलट के लिए काफी अहम है। बीते दिनों के कई कार्यक्रमों पर अगर नजर डालें, तो सामने आएगा कि हर बड़ा आंदोलन पायलट ने 11 तारीख से ही शुरू किया है। 11 जून के कार्यक्रम की रूपरेखा वे 11 अप्रैल से ही तैयार कर रहे थे। यही वजह है कि 11 मई को उन्होंने यात्रा निकाली। लेकिन अगर रविवार को कोई वे कोई फैसला नहीं लेते हैं, तो फिर यह बात साफ हो जाएगी कि पायलट कांग्रेस में रहकर ही चुनाव लड़ेंगे। हालांकि उनकी मांगों को लेकर उनका क्या रुख रहेगा यह फिर देखने लायक होगा।
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इसलिए महत्वपूर्ण है 11 का आंकड़ा
- तीन साल पहले 11 जून 2020 को सचिन पायलट और उनके समर्थकों ने गहलोत सरकार के खिलाफ बगावत का निर्णय लिया था। इसी दिन बगावत करना तय था, लेकिन इसकी भनक गहलोत गुट को लग गई थी। ऐसे में ठीक एक महीने बाद 11 जुलाई सचिन पायलट और उनके समर्थित विधायक राजस्थान की सीमा से बाहर गुमनाम स्थान पर चले गए। अगले दिन पता चला कि सचिन पायलट गुट के नेता राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन की मांग करते हुए मानेसर होटल में पहुंच गए। गहलोत सरकार गिरने की कगार पर आ गई थी। इधर, सीएम गहलोत को भी सरकार बचाने के लिए विधायकों की बाड़ेबंदी करनी पड़ी। 34 दिन बाद केंद्रीय नेतृत्व और गांधी परिवार के सदस्य पायलट को मनाने में कामयाब हो सके।
- बगावत के बाद हाईकमान के आश्वासन मिलते ही सचिन और उनका गुट शांत हो गया था। लेकिन उनकी जो मांगें थीं वह पूरी नहीं हुई। ऐसे में एक बार फिर सचिन ने तेवर दिखाना शुरू कर दिए। इसलिए उन्होंने पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में हुए घोटालों की जांच नहीं करने से नाराज होकर अपनी ही पार्टी के खिलाफ अनशन का एलान किया थ। 11 अप्रैल 2023 को पायलट ने जयपुर के शहीद स्मारक पर एक दिन का अनशन किया और सरकार को जनता से किए वादे याद दिलाए।
- अनशन के बाद जब हाईकमान नहीं माना, तो सचिन जन संघर्ष यात्रा पर निकल पड़े। 11 मई से 15 मई तक अजमेर से लेकर जयपुर तक जन संघर्ष यात्रा निकाली। इस पैदल मार्च में हजारों की तादाद में लोग पायलट के साथ रहे। यात्रा के समापन पर पायलट ने कहा कि वे अपनी मांगों से पीछे हटने वाले नहीं हैं। सचिन ने 31 मई तक सरकार को मांगें पूरी करने की मियाद दी थी। लेकिन ठीक एक दिन पहले कांग्रेस हाईकमान ने गहलोत और पायलट के बीच सुलह करवा दी।