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ओडिशा के बालासोर में दो जून को हुए रेल हादसे की भयावह तस्वीरें आज भी लोगों को डरा रही हैं। बचाव अभियान पूरा हो चुका है और अब मरम्मत का काम युद्धस्तर पर चल रहा है। इस बीच रेलवे बोर्ड ने प्रेंस कॉन्फ्रेंस कर हादसे से जुड़ी हर जानकारी साझा की। इस दौरान बताया गया कि घटना की प्रारंभिक जांच में सिग्नलिंग में गड़बड़ी सामने आई है। हालांकि, विस्तृत जानकारी जांच पूरी होने के बाद ही सामने आएगी।
प्रेंस कॉन्फ्रेंस के दौरान ओडिशा के चीफ सेक्रेटरी प्रदीप जेना ने बताया कि हादसे में 275 लोगों की मौत हुई है। इससे पहले तक बताया जा रहा था कि हादसे में 288 लोगों की जान गई हैं। कुछ रिपोर्ट्स में यह आंकड़ा 295 तक बताया गया था। आंकड़ों में कमी पर उन्होंने तर्क दिया कि कुछ शवों की गिनती दो बार कर ली गई थी। उन्होंने यह भी बताया कि हादसे में 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।
इससे पहले हादसे के करीब 39 घंटे बाद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हादसे की वजह बताई थी। उन्होंने कहा था कि यह हादसा इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में बदलाव के कारण हुआ। उन्होंने इसके लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान किए जाने का भी दवा किया था। इस दौरान रेल मंत्री ने इस बात का भी खंडन किया था कि कवच सिस्टम की गैरमौजूदगी की वजह से इतना भीषण हादसा हुआ। आइए जानते हैं रेलवे बोर्ड की प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्या-क्या बताया गया...
कैसे हादसे का शिकार हुई कोरोमांडल एक्सप्रेस?
रेलवे बोर्ड की ओर से जया वर्मा सिन्हा (सदस्य, संचालन व्यवसाय विकास) ने बताया गया कि प्रारंभिक जांच में सिग्नल के साथ कुछ समस्या पाई गई है। इस वजह से कोरोमंडल एक्सप्रेस लूप लाइन पर चली गई और मालगाड़ी से टकरा गई। उस वक्त उसकी 128 किमी/घंटा थी। तेज रफ्तार की वजह से कोरोमंडल एक्सप्रेस मालगाड़ी के ऊपर चढ़ गई। ट्रेन के इजन समेत कई डिब्बे मालगाड़ा के ऊपर चढ़ गए। इस रूट पर कोरोमंडल जैसी ट्रेनों के लिए अधिकतम गतिसीमा 130 किमी/घंटा निर्धारित की गई है। ऐसे में ओवरस्पीडिंग का कोई मामला नहीं बनता।
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यशवंतपुर सुपरफास्ट एक्सप्रेस कैसे चपेट में आई?
रेलवे बोर्ड ने प्रेस कॉन्फेंस में जोर देते हुए कहा कि सिर्फ कोरोमंडल एक्सप्रेस ही हादसे का शिकार हुई है। कई रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि तीन ट्रेनें टकरा गई हैं। ऐसी भ्रामक खबरों पर भरोसा करने की जरूरत नहीं है। बताया गया कि जब कोरोमंडल एक्सप्रेस की मालगाड़ी से टकराई, तब यशवंतपुर एक्सप्रेस भी वहां से गुजर रही थी। टक्कर के बाद कोरोमंडल एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे उस ट्रैक की ओर गिरे, जिस पर से यशवंतपुर एक्सप्रेस गुजर रही थी। यशवंतपुर एक्सप्रेस की रफ्तार भी करीब 126 किमी/घंटे के आसपास थी। ऐसे में ट्रेन लगभग बिना किसी नुकसान के घटनास्थल से निकलने ही वाली थी कि कोरोमंडल एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे ट्रेन के पिछले दो डिब्बों से टकरा गए। इस वजह से यशवंतपुर एक्सप्रेस के दो डिब्बों को भी नुकसान पहुंचा।
क्या मालगाड़ी भी पटरी से उतरी?
रेलवे बोर्ड के मुताबिक, मालगाड़ी पर लोहा लदा हुआ था। इस वजह से मालगाड़ी के डिब्बे अपनी जगह से हिले भी नहीं। यही कारण है कि जब कोरोमंडल एक्सप्रेस मालगाड़ी पर चढ़ती चली गई तो इसका पूरा प्रभाव यात्री ट्रेन पर हुआ। यह ट्रेन एचएलबी कोच से लैस थी। यह कोच हादसे के बाद भी पलटते नहीं हैं। चूकि, मालागड़ी का वजन लोहा लदे होने की वजह से काफी ज्यादा था, तो यात्री ट्रेन को पूरा नुकसान हुआ।
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बहानागा स्टेशन पर ट्रेन को मिला हरा सिग्नल
जया वर्मा ने बताया कि रेलवे ने हादसे के बाद सबसे पहले राहत और बचाव कार्य किया, उसके बाद अब मरम्मत का कार्य किया जा रहा है। घटनास्थल के बारे में उन्होंने बताया कि बहानागा स्टेशन पर चार लाइनें हैं। इसमें दो मेन और दो लाइनें हैं। लूप लाइन पर मालगाड़ी थी। स्टेशन पर कोरोमंडल एक्सप्रेस के ड्राइवर को ग्रीन सिग्नल मिला था। इसके बाद ही ट्रेन निर्धारित गतिसीमा के अंदर अपने गंत्व की ओर बढ़ती रही।
हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया
हादसे में हताहत हुए लोगों के परिजनों के लिए रेलवे ने हेल्पलाइन नंबर जारी किया। जया वर्मा ने बताया कि हमारा हेल्पलाइन नंबर 139 है। यह कॉल सेंटर नंबर नहीं है। हमारे वरिष्ठ अधिकारी हर कॉल का जवाब दे रहे हैं और हम अधिक से अधिक लोगों को सही जानकारी देने की कोशिश कर रहे हैं। घायल या मृतक के परिजन हमें कॉल के जरिए संपर्क कर सकते हैं।
गृह मंत्रालय से मदद ले रहे, NIA से नहीं: रेलवे बोर्ड
जया वर्मा सिन्हा ने बताया कि रात आठ बजे तक दो लाइनों को हम ठीक कर लेंगे। इसके बाद यहां से रेलगाड़ियां धीमी गति से निकलनी शुरू हो जाएंगी। मामले की जांच एनआईए से कराने के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हम गृह मंत्रालय से मदद ले रहे हैं। गृह मंत्रालय हमारी हरसंभाव सहायता कर भी रहा है। रही बात एनएआई की तो ऐसी कोई बात नहीं है।
कवच पर कही यह बात
कवच सिस्टम से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि जिस रफ्तार और जितनी जल्दी यह हादसा हुआ ऐसे में दूनिया में कोई भी तकनीक इसे रोक नहीं पाती। शायद कवच भी इसे रोक नहीं पाता। उन्होंने कहा कि फिर भी कवच ऐ सुरक्षित तकनीक है। ये रेल की सुरक्षा से संबंधित है, इसलिए हमने इसकी कड़ी टेस्टिंग की है। रेल मंत्री ने खुद ट्रेन में बैठ कर इसकी जांच की है। इस यंत्र को सभी लाइनों और ट्रेनों में लगाने में समय और पैसा लगेगा। उन्होंने बताया कि यह भारत में बनाया गया सिस्टम है। आने वाले भविष्य में हम इसका निर्यात भी कर सकेंगे।