कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को अमेरिका के कॉर्नेल विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और अर्थशास्त्री कौशिक बसु से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बात की। इस दौरान राहुल गांधी ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासन के दौरान लगाए गए आपातकाल का गलत होना स्वीकार किया। उन्होंने कहा, आपातकाल के दौरान जो हुआ, वह गलत हुआ और आज जो हो रहा है उसमें बुनियादी अंतर है।
राहुल गांधी ने कहा, कांग्रेस पार्टी ने कभी भी भारत के संवैधानिक ढांचे के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश नहीं की। उन्होंने कहा कि हम जिस तरह से बने हैं उसने हमें इसकी अनुमति नहीं दी। अगर हम यह करना चाहते तो भी नहीं कर पाते। राहुल गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर निशाना साधते हुए कहा कि आरएसएस बुनियादी तौर पर कुछ अलग कर रहा है।
कांग्रेस नेता ने कहा, वह संस्थानों में अपने लोग भर रहे हैं। यहां तक कि अगर हम चुनाव में भाजपा को हरा भी दें, हमें आंतरिक ढांचे में उनके लोगों से छुटकारा नहीं मिलने वाला है। राहुल के साथ चर्चा में भाग लेने वाले कौशिक बसु प्रख्यात अर्थशास्त्री हैं। वह साल 2012 से 2016 तक विश्व बैंक के प्रमुख अर्थशास्त्री रहे हैं। वह भारत सरकार के लिए भी मुख्य आर्थिक सलाहकार के तौर पर सेवाएं दे चुके हैं।
इससे पहले राहुल गांधी ने मंगलवार को दिन में कहा था कि 2018 में मणिपुर के 12 भाजपा विधायकों को अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि अब भारतीय चुनाव आयोग ने बताया है मणिपुर के राज्यपाल को पहले ही इसके निर्देश दे दिए गए थे लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। गांधी ने कहा कि भाजपा को बचाने के लिए राज्यपाल का इस्तेमाल करना पूरी तरह से असंवैधानिक है।
बता दें कि 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल घोषित कर दिया था। यह मार्च 21 मार्च 1977 तक यानी 21 महीने चला था। आपातकाल की घोषणा के साथ ही सभी नागरिकों के मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए थे। 25 जून की रात से ही देश में विपक्ष के नेताओं की गिरफ्तारियों का दौर शुरू हो गया था। जयप्रकाश नारायण, लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी, जॉर्ज फर्नांडिस आदि बड़े नेताओं को जेल में डाल दिया गया था।
आपातकाल लागू के बाद प्रशासन और पुलिस द्वारा किए गए उत्पीड़न की कई खबरें सामने आई थीं। इस दौरान मीडिया पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था। सरकार ने हर समाचार पत्र के कार्यालय में सेंसर अधिकारी बैठा दिए थे। स्पष्ट आदेश था कि अधिकारी की अनुमति के बिना कोई समाचार प्रकाशित नहीं हो सकता था। सरकार विरोधी समाचार प्रकाशित करने पर गिरफ्तारी हो सकती थी। यह सब तब रुका, जब 23 जनवरी 1977 को मार्च में चुनाव की घोषणा कर दी गई।
1971 के चुनाव में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने जबरदस्त जीत हासिल की थी। लेकिन, इंदिरा की जीत पर सवाल उठाते हुए उनके प्रतिद्वंद्वी राजनारायण अदालत पहुंच गए थे। इंदिरा गांधी के खिलाफ रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी राजनारायण ने उन पर चुनाव जीतने के लिए गलत तरीकों का प्रयोग करने का आरोप लगाया था। मामले में चुनाव को निरस्त कर दिया गया और इसी के चलते उन्होंने आपातकाल लगा दिया था।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को अमेरिका के कॉर्नेल विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और अर्थशास्त्री कौशिक बसु से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बात की। इस दौरान राहुल गांधी ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासन के दौरान लगाए गए आपातकाल का गलत होना स्वीकार किया। उन्होंने कहा, आपातकाल के दौरान जो हुआ, वह गलत हुआ और आज जो हो रहा है उसमें बुनियादी अंतर है।
राहुल गांधी ने कहा, कांग्रेस पार्टी ने कभी भी भारत के संवैधानिक ढांचे के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश नहीं की। उन्होंने कहा कि हम जिस तरह से बने हैं उसने हमें इसकी अनुमति नहीं दी। अगर हम यह करना चाहते तो भी नहीं कर पाते। राहुल गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर निशाना साधते हुए कहा कि आरएसएस बुनियादी तौर पर कुछ अलग कर रहा है।
कांग्रेस नेता ने कहा, वह संस्थानों में अपने लोग भर रहे हैं। यहां तक कि अगर हम चुनाव में भाजपा को हरा भी दें, हमें आंतरिक ढांचे में उनके लोगों से छुटकारा नहीं मिलने वाला है। राहुल के साथ चर्चा में भाग लेने वाले कौशिक बसु प्रख्यात अर्थशास्त्री हैं। वह साल 2012 से 2016 तक विश्व बैंक के प्रमुख अर्थशास्त्री रहे हैं। वह भारत सरकार के लिए भी मुख्य आर्थिक सलाहकार के तौर पर सेवाएं दे चुके हैं।
इससे पहले राहुल गांधी ने मंगलवार को दिन में कहा था कि 2018 में मणिपुर के 12 भाजपा विधायकों को अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि अब भारतीय चुनाव आयोग ने बताया है मणिपुर के राज्यपाल को पहले ही इसके निर्देश दे दिए गए थे लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। गांधी ने कहा कि भाजपा को बचाने के लिए राज्यपाल का इस्तेमाल करना पूरी तरह से असंवैधानिक है।
25 जून 1975 को लगाया था आपातकाल
बता दें कि 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल घोषित कर दिया था। यह मार्च 21 मार्च 1977 तक यानी 21 महीने चला था। आपातकाल की घोषणा के साथ ही सभी नागरिकों के मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए थे। 25 जून की रात से ही देश में विपक्ष के नेताओं की गिरफ्तारियों का दौर शुरू हो गया था। जयप्रकाश नारायण, लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी, जॉर्ज फर्नांडिस आदि बड़े नेताओं को जेल में डाल दिया गया था।
आपातकाल लागू के बाद प्रशासन और पुलिस द्वारा किए गए उत्पीड़न की कई खबरें सामने आई थीं। इस दौरान मीडिया पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था। सरकार ने हर समाचार पत्र के कार्यालय में सेंसर अधिकारी बैठा दिए थे। स्पष्ट आदेश था कि अधिकारी की अनुमति के बिना कोई समाचार प्रकाशित नहीं हो सकता था। सरकार विरोधी समाचार प्रकाशित करने पर गिरफ्तारी हो सकती थी। यह सब तब रुका, जब 23 जनवरी 1977 को मार्च में चुनाव की घोषणा कर दी गई।
इंदिरा गांधी ने क्यों लगाया था आपातकाल
1971 के चुनाव में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने जबरदस्त जीत हासिल की थी। लेकिन, इंदिरा की जीत पर सवाल उठाते हुए उनके प्रतिद्वंद्वी राजनारायण अदालत पहुंच गए थे। इंदिरा गांधी के खिलाफ रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी राजनारायण ने उन पर चुनाव जीतने के लिए गलत तरीकों का प्रयोग करने का आरोप लगाया था। मामले में चुनाव को निरस्त कर दिया गया और इसी के चलते उन्होंने आपातकाल लगा दिया था।