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विस्तार
तारीख 27 सितंबर 2013, अजय माकन दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे। बीच प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी आ जाते हैं। तब कांग्रेस उपाध्यक्ष रहे राहुल कहते हैं, ''मैं यहां अपनी राय रखने आया हूं। इसके बाद मैं वापस अपने काम पर चला जाऊंगा।'' इसके बाद राहुल कहते हैं, ''मैंने माकन जी (अजय माकन) को फोन किया। उनसे पूछा क्या चल रहा है। उन्होंने कहा- मैं यहां प्रेस से बातचीत करने जा रहा हूं। मैंने पूछा- क्या बात चल रही है। उन्होंने कहा- ऑर्डिनेंस के बारे में बात हो रही है। मैंने पूछा क्या? इसके बाद वे सफाई देने लगे। मैं आपको इस अध्यादेश के बारे में अपनी राय देना चाहता हूं। मेरी राय में इसे फाड़कर फेंक देना चाहिए।''
तारीख 27 सितंबर 2013, अजय माकन दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे। बीच प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी आ जाते हैं। तब कांग्रेस उपाध्यक्ष रहे राहुल कहते हैं, ''मैं यहां अपनी राय रखने आया हूं। इसके बाद मैं वापस अपने काम पर चला जाऊंगा।'' इसके बाद राहुल कहते हैं, ''मैंने माकन जी (अजय माकन) को फोन किया। उनसे पूछा क्या चल रहा है। उन्होंने कहा- मैं यहां प्रेस से बातचीत करने जा रहा हूं। मैंने पूछा- क्या बात चल रही है। उन्होंने कहा- ऑर्डिनेंस के बारे में बात हो रही है। मैंने पूछा क्या? इसके बाद वे सफाई देने लगे। मैं आपको इस अध्यादेश के बारे में अपनी राय देना चाहता हूं। मेरी राय में इसे फाड़कर फेंक देना चाहिए।''
10 साल पुराना यह वाकया आज क्यों प्रासंगिक है, इसकी वजह हम आपको बता रहे हैं। दरसअल, राहुल गांधी को मानहानि मामले में सूरत की अदालत ने दो साल की सजा सुनाई है। हालांकि, कोर्ट से तुरंत उन्हें जमानत मिल गई और सजा को 30 दिन के लिए निलंबित कर दिया गया। कोर्ट के आदेश के 24 घंटे बाद ही राहुल की लोकसभा सदस्यता को रद्द कर दिया गया। यह सब 2013 के सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले की वजह से हुआ है, जिससे बचने के लिए यूपीए सरकार के समय एक अध्यादेश आया था, जो अमल में आते-आते रह गया। इसी अध्यादेश की कॉपी को राहुल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में फाड़ने के लिए कहा था और विपक्षी आज भी अक्सर इनके इस कदम की आलोचना करते हैं।