न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: स्नेहा बलूनी
Updated Mon, 22 Feb 2021 10:19 PM IST
दक्षिण भारत के इकलौते केंद्र शासित राज्य पुडुचेरी की सत्ता सोमवार को कांग्रेस के हाथ से चली गई। राज्य में कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के बाद नारायणसामी की सरकार अल्पमत में आ गई थी। कांग्रेस-डीएमके के गठबंधन वाली सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर पाई। इसके बाद मुख्यमंत्री ने राज निवास जाकर उपराज्यपाल तमिलसाईं सुंदरराजन को अपना और अपने मंत्रियों का इस्तीफा सौंप दिया। उपराज्यपाल तमिलसाईं सुंदरराजन ने उन्हें शाम पांच बजे तक बहुमत साबित करने के लिए कहा था।
वहीं स्पीकर ने घोषणा की कि विधानसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया जाता है। अब देखना यह है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है या विपक्ष सरकार बनाने का दावा पेश करता है।
उपराज्यपाल ने राष्ट्रपति को भेजा इस्तीफा
उधर, उपराज्यपाल ने नारायणसामी का इस्तीफा राष्ट्रपति के पास भेज दिया है। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि उपराज्यपाल ने राष्ट्रपति को इस्तीफा मेल के जरिए भेजा है।
2016 में कांग्रेस को मिली थीं 15 सीटें
पुडुचेरी में 2016 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 15 सीटें मिली थीं। पार्टी ने डीएमके और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार का गठन किया था। पांच साल बाद कांग्रेस से एक-एक करके विधायकों ने इस्तीफा दे दिया जिससे पार्टी का सियासी समीकरण बिगड़ गया। रविवार को कांग्रेस और डीएमके के एक-एक विधायक ने इस्तीफा दे दिया जिससे सरकार अल्पमत में आ गई थी। बता दें कि राज्य में सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 14 है।
विपक्ष के पास है बहुमत का आंकड़ा
पुडुचेरी की विधानसभा में कुल 33 सदस्य हैं। इसमें 30 सदस्य निर्वाचित जबकि तीन नामित सदस्य होते हैं। कांग्रेस के पांच और डीएमके के एक सदस्य ने इस्तीफा दे दिया था जबकि एक सदस्य को अयोग्य ठहरा दिया गया था। इसके बाद विधानसभा में सदस्यों की संख्या 26 हो गई थी। इसमें से कांग्रेस-डीएमके गठबंधन सरकार के पास 11 और विपक्ष के पास 14 विधायकों का समर्थन है। ऐसे में विपक्ष के पास सरकार बनाने के लिए जरूरी बहुमत है। मगर यह देखना होगा कि विपक्ष सरकार गठन का दावा पेश करती है या नहीं। हालांकि राज्य में अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने हैं। यदि विपक्ष सरकार नहीं बनाती है तो इस स्थिति में उपराज्यपाल तमिलसाईं सुंदरराजन यहां राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला कर सकती हैं।
हम सरकार बनाने का दावा नहीं करेंगे पेश: भाजपा
नारायणसामी सरकार के गिरने पर भाजपा का कहना है कि हम सरकार बनाने का दावा नहीं करेंगे। भाजपा ने पुडुचेरी में सरकार गिरने के बाद कहा, 'केंद्रशासित प्रदेश के इतिहास में सबसे खराब अध्याय का अंत हो गया है।' वहीं भाजपा के राज्य अध्यक्ष वी सामीनाथन ने कहा, 'हम इस स्तर पर सरकार बनाने की कोशिश नहीं करेंगे। आगामी चुनावों में लोगों के आशीर्वाद और (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदीजी के नेतृत्व में, भाजपा एनडीए और उसके गठबंधन सहयोगियों (ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस और एआईएडीएमके) के साथ मिलकर मई में सरकार बनाएगी। हम पुडुचेरी के लोगों के लिए एक नया उज्ज्वल भविष्य बनाएंगे।' भाजपा ने नारायणसामी पर खराब शासन का आरोप लगाया है। सामिनाथन ने कहा कि पिछले पांच सालों में राज्य के पैसों को लूटा गया है।
सिर्फ पांच राज्यों में सत्ता में है कांग्रेस
2014 के लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद से कांग्रेस लगातार सत्ता की लड़ाई में भाजपा से हारती जा रही है। वर्तमान में कांग्रेस पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और झारखंड को छोड़कर पूरे देश की सत्ता से बाहर है। महाराष्ट्र और झारखंड में पार्टी पूरी तरह से सत्ता में नहीं है। यहां पार्टी की भूमिका क्रमशः नंबर तीन और दो की है।
दक्षिण भारत के इकलौते केंद्र शासित राज्य पुडुचेरी की सत्ता सोमवार को कांग्रेस के हाथ से चली गई। राज्य में कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के बाद नारायणसामी की सरकार अल्पमत में आ गई थी। कांग्रेस-डीएमके के गठबंधन वाली सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर पाई। इसके बाद मुख्यमंत्री ने राज निवास जाकर उपराज्यपाल तमिलसाईं सुंदरराजन को अपना और अपने मंत्रियों का इस्तीफा सौंप दिया। उपराज्यपाल तमिलसाईं सुंदरराजन ने उन्हें शाम पांच बजे तक बहुमत साबित करने के लिए कहा था।
वहीं स्पीकर ने घोषणा की कि विधानसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया जाता है। अब देखना यह है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है या विपक्ष सरकार बनाने का दावा पेश करता है।
उपराज्यपाल ने राष्ट्रपति को भेजा इस्तीफा
उधर, उपराज्यपाल ने नारायणसामी का इस्तीफा राष्ट्रपति के पास भेज दिया है। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि उपराज्यपाल ने राष्ट्रपति को इस्तीफा मेल के जरिए भेजा है।
2016 में कांग्रेस को मिली थीं 15 सीटें
पुडुचेरी में 2016 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 15 सीटें मिली थीं। पार्टी ने डीएमके और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार का गठन किया था। पांच साल बाद कांग्रेस से एक-एक करके विधायकों ने इस्तीफा दे दिया जिससे पार्टी का सियासी समीकरण बिगड़ गया। रविवार को कांग्रेस और डीएमके के एक-एक विधायक ने इस्तीफा दे दिया जिससे सरकार अल्पमत में आ गई थी। बता दें कि राज्य में सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 14 है।
विपक्ष के पास है बहुमत का आंकड़ा
पुडुचेरी की विधानसभा में कुल 33 सदस्य हैं। इसमें 30 सदस्य निर्वाचित जबकि तीन नामित सदस्य होते हैं। कांग्रेस के पांच और डीएमके के एक सदस्य ने इस्तीफा दे दिया था जबकि एक सदस्य को अयोग्य ठहरा दिया गया था। इसके बाद विधानसभा में सदस्यों की संख्या 26 हो गई थी। इसमें से कांग्रेस-डीएमके गठबंधन सरकार के पास 11 और विपक्ष के पास 14 विधायकों का समर्थन है। ऐसे में विपक्ष के पास सरकार बनाने के लिए जरूरी बहुमत है। मगर यह देखना होगा कि विपक्ष सरकार गठन का दावा पेश करती है या नहीं। हालांकि राज्य में अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने हैं। यदि विपक्ष सरकार नहीं बनाती है तो इस स्थिति में उपराज्यपाल तमिलसाईं सुंदरराजन यहां राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला कर सकती हैं।
हम सरकार बनाने का दावा नहीं करेंगे पेश: भाजपा
नारायणसामी सरकार के गिरने पर भाजपा का कहना है कि हम सरकार बनाने का दावा नहीं करेंगे। भाजपा ने पुडुचेरी में सरकार गिरने के बाद कहा, 'केंद्रशासित प्रदेश के इतिहास में सबसे खराब अध्याय का अंत हो गया है।' वहीं भाजपा के राज्य अध्यक्ष वी सामीनाथन ने कहा, 'हम इस स्तर पर सरकार बनाने की कोशिश नहीं करेंगे। आगामी चुनावों में लोगों के आशीर्वाद और (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदीजी के नेतृत्व में, भाजपा एनडीए और उसके गठबंधन सहयोगियों (ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस और एआईएडीएमके) के साथ मिलकर मई में सरकार बनाएगी। हम पुडुचेरी के लोगों के लिए एक नया उज्ज्वल भविष्य बनाएंगे।' भाजपा ने नारायणसामी पर खराब शासन का आरोप लगाया है। सामिनाथन ने कहा कि पिछले पांच सालों में राज्य के पैसों को लूटा गया है।
सिर्फ पांच राज्यों में सत्ता में है कांग्रेस
2014 के लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद से कांग्रेस लगातार सत्ता की लड़ाई में भाजपा से हारती जा रही है। वर्तमान में कांग्रेस पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और झारखंड को छोड़कर पूरे देश की सत्ता से बाहर है। महाराष्ट्र और झारखंड में पार्टी पूरी तरह से सत्ता में नहीं है। यहां पार्टी की भूमिका क्रमशः नंबर तीन और दो की है।