कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को पहले गुजरात की एक कोर्ट से दो साल की सजा मिलती है। उसके अगले ही दिन उनकी लोकसभा सदस्यता खत्म करने की खबर आ जाती है। इन दो घटनाक्रमों से देश की राजनीति में भी हलचल होने लगी। अभी तक जो विपक्षी दल, आपस में किन्हीं कारणों से दूरी बना कर चल रहे थे, वे अब पास-पास आने लगे हैं। उनके नेताओं के बयान भी बदले-बदले से हैं।
शनिवार को प्रेसवार्ता में राहुल गांधी ने भी इस घटनाक्रम पर बयान दे दिया। वे बोले, मैं विपक्ष का आभार करता हूं कि उन्होंने हमारी मदद की। अब हम सब मिलकर काम करेंगे। खुद की सदस्यता खत्म करने के सवाल राहुल ने कहा, इन्होंने (मोदी जी) हमें हथियार पकड़ा दिया है। इससे पहले कांग्रेस से थोड़ी दूरी बनाकर चलने वाले अखिलेश यादव और अरविंद केजरीवाल, भी राहुल के पक्ष में बोलते नजर आए। अखिलेश ने कहा, कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है। मुझे यह लगता है कि अब कांग्रेस की जिम्मेदारी बनती है कि वह क्षेत्रीय पार्टियों को आगे करे। तभी भाजपा का मुकाबला किया जा सकता है।
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विपक्ष को साथ लेकर चलने की कवायद
भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता के लिए लंबे समय से प्रयास किए जा रहे हैं। हालांकि अभी तक विपक्षी दलों को इस मुहिम में कोई ठोस कामयाबी नहीं मिल सकी है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के समापन पर कांग्रेस पार्टी ने कई दलों को श्रीनगर आने का न्योता दिया था, मगर दर्जनभर पार्टियां भी वहां नहीं पहुंच सकीं। इससे पहले ज्यादातर विपक्षी दलों ने यात्रा से दूरी बना रखी थी। ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, केसीआर और शरद पवार जैसे कई नेता, तीसरे मोर्चे की संभावना तलाशते रहे। इस बीच बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने नए सिरे से विपक्ष को साथ लेकर चलने की कवायद शुरु की। उन्होंने भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने का प्रयास किया। इस मुहिम में वे अपने साथ डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को भी साथ रखे हुए हैं। तेजस्वी यादव ने भी झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उसके बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की। ममता बनर्जी भी विपक्षी एकता को लेकर आगे बढ़ती नजर आईं।
कहीं देर न हो जाए, कांग्रेस जल्द फैसला ले
सीएम नीतीश कुमार ने कांग्रेस पार्टी को यह सलाह दे दी, वे मिशन 2024 के लिए साथ मिलकर चुनाव लड़ने को लेकर जल्द ही कोई निर्णय करें। देखें, कहीं देर न हो जाए। कांग्रेस को जल्द फैसला लेना चाहिए। अगर कांग्रेस मेरा सुझाव मानकर साथ में लोकसभा चुनाव लड़ती है तो भाजपा का ग्राफ, सौ सीटों से भी नीचे आ सकता है। अब जैसे ही राहुल गांधी को मानहानि मामले में सजा हुई और उसके बाद उनकी सांसदी चले जाना, इस घटनाक्रम ने विपक्षी दलों को सकते में ला दिया है। इससे पहले इतने विपक्षी नेता, किसी एक मुद्दे पर साथ खड़े नजर नहीं आए थे। यहां तक कि कांग्रेस के पूर्व नेता कपिल सिब्बल भी राहुल के समर्थन में दिखाई पड़े। दूसरे विपक्षी दल भी कांग्रेस के साथ दिखे।
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'बड़े भाई' की भूमिका छोड़नी होगी
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, अब कांग्रेस पार्टी की जिम्मेदारी बनती है कि वह क्षेत्रीय पार्टियों को आगे करे। अगर सब मिलकर साथ चलें तो भाजपा, देश से भी बाहर हो जाएगी। राहुल बाबत अखिलेश ने कहा, मैं इतना भी बड़ा नेता नहीं हूं कि उन्हें बातचीत कर सुझाव दूं। कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है। कांग्रेस पार्टी को खुद ही सोचना होगा। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, अखिलेश यादव का बयान साफ तौर पर यह इशारा कर रहा है कि कांग्रेस पार्टी को कुछ जगहों पर 'बड़े भाई' की भूमिका छोड़नी होगी। दोनों ही दलों ने भाजपा के खिलाफ अलग-अलग चुनाव लड़ कर कुछ हासिल नहीं किया है। दिल्ली, उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में कांग्रेस पार्टी अकेले विधानसभा चुनाव लड़ने का नतीजा देख चुकी है।
राहुल बोले, हम सब मिलकर चलेंगे
आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा में जमकर भड़ास निकाली। वे बोले, पूरे देश में लोगों को डरा कर रखा जा रहा है। राहुल गांधी की सदस्यता समाप्त कर दी गई। केजरीवाल ने प्रधानमंत्री मोदी को लेकर तीखी टिप्पणियां कीं। सवेरे से शाम तक यही चलता रहता है कि आज किसे जेल भेजना है। मोदी के नेतृत्व में देश को तबाह करने की कोशिश हो रही है। इससे पहले केजरीवाल ने कहा था, गैर-भाजपा नेताओं और पार्टियों पर मुकदमे कर उन्हें खत्म करने की साजिश हो रही है। हमारे कांग्रेस से मतभेद हैं, लेकिन राहुल गांधी को इस तरह मानहानि केस में फंसाना ठीक नहीं। जनता और विपक्ष का काम है सवाल पूछना। हम अदालत का सम्मान करते हैं, पर इस निर्णय से असहमत हैं। अब राहुल गांधी ने अपनी लोकसभा सदस्यता खोने के बाद कहा, हम मिल कर चलेंगे। प्रेसवार्ता में विपक्ष की एकता को लेकर उनसे सवाल पूछा गया था। राहुल बोले, मैं विपक्षी दलों का आभार व्यक्त करता हूं।