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Odisha train crash: Rlys using AI-powered portal and SIM card triangulation to identify unclaimed bodies
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ओडिशा: शवों की पहचान बनी रेलवे के लिए चुनौती; शिनाख्त के लिए संचार साथी-सिम कार्ड ट्राइंगुलेशन की ले रहे मदद
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भुवनेश्वर
Published by: शिव शरण शुक्ला
Updated Wed, 07 Jun 2023 10:11 PM IST
अधिकारियों ने कहा कि संचार साथी वेब पोर्टल का इस्तेमाल 64 शवों की पहचान करने के लिए किया गया था, 45 मामलों में हम सफल रहे। ट्रेन दुर्घटना पीड़ितों के शवों की पहचान करने के लिए संचार साथी ने उनकी तस्वीरों का उपयोग करके पीड़ितों के फोन नंबरों और आधार विवरण का पता लगाया।
ओडिशा के बालासोर में हुए दर्दनाक ट्रेन हादसे के हादसे में 288 लोगों की मौत हुई है। वहीं 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। इस हादसे में मौत का शिकार हुए लोगों में बहुत सारे ऐसे लोग भी हैं जिनके शव की पहचान नहीं हो सकी है। ऐसे में रेलवे ओडिशा सरकार के सहयोग से इन शवों की पहचान करने में लगी है। इसके लिए रेलवे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से चलने वाली वेबसाइट और सिम कार्ड ट्राइएंगुलेशन का इस्तेमाल कर रहा है।
यूआईडीएआई से नहीं हुआ काम
अधिकारियों ने हादसे में मारे गए लोगों के बारे में जानकारी दी है। उन्होंने बताया है कि दो जून को हुए हादसे में 288 लोग मारे गए थे। बुधवार तक इनमें से 83 शवों की पहचान नहीं हो सकी है। रेलवे ने शुरू में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) की एक टीम को मृतकों की पहचान सुनिश्चित करने के लिए उनके अंगूठे के निशान लेने के लिए साइट पर बुलाया था। हालांकि इससे काम नहीं बना, क्योंकि ज्यादातर मामलों में अंगूठे की त्वचा क्षतिग्रस्त हो गई थी और प्रिंट लेना मुश्किल हो गया था। इसके बाद हमने संचार साथी का उपयोग करके शवों की पहचान करने का प्लान बनाया। संचार साथी एक एआई-आधारित पोर्टल है।
अधिकारियों ने कहा कि संचार साथी वेब पोर्टल का इस्तेमाल 64 शवों की पहचान करने के लिए किया गया था। यह 45 मामलों में हम सफल रहे। ट्रेन दुर्घटना पीड़ितों के शवों की पहचान करने के लिए संचार साथी ने पीड़ितों के फोन नंबरों और आधार विवरणों को उनकी तस्वीरों का उपयोग करके पता लगाया। इसके बाद, उनके परिवार के सदस्यों से संपर्क किया गया।
ऐसे काम करता है AI आधारित संचार साथी
संचार साथी ग्राहकों को उनके नाम पर जारी किए गए मोबाइल कनेक्शनों को जानने की अनुमति देता है और उनके खोए हुए स्मार्टफोन को ट्रैक और ब्लॉक भी करता है। यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-आधारित पोर्टल हाल ही में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा लॉन्च किया गया था।
सिम कार्ड ट्राइंगुलेशन की ले रहे मदद
इस दौरान अधिकारियों ने यह भी बताया कि कुछ शवों की पहचान नहीं हो पा रही है। उनकी स्थिति बेहद खराब हो गई है। उन्हें उनके कपड़ों से भी पहचानना मुश्किल है क्योंकि वे खून से सने हुए हैं। रेलवे अधिकारी दुर्घटनास्थल के समय आसपास सक्रिय सेल फोन की हिस्ट्री खंगाल कर कुछ शवों की पहचान करने में लगे हैं। वे दुर्घटना के समय हुई कॉल्स का पता लगाकर और दुर्घटना के समय तुरंत बंद होने वाले नंबरों की हिस्ट्री खंगाल कर यह पता लगाने की कोशिश कर रहे है कि क्या वे अज्ञात पीड़ितों के हैं।
शालीमार से रवाना हुई अप कोरोमंडल एक्सप्रेस
ओडिशा के बालासोर जिले में भीषण हादसे का शिकार होने के पांच दिन बाद शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस की अप ट्रेन बुधवार को अपने तय समय से पांच मिनट की देरी से शालीमार स्टेशन से रवाना हुई। ट्रेन में सवार कई लोगों में से एक रंजीत मंडल दो जून को हुए हादसे के बाद से लापता अपने बेटे की तलाश में इससे भुवनेश्वर जा रहे हैं। संदेशखली के रहने वाले मंडल ने बताया कि उनका 18 साल का बेटा दीपांकर चेन्नई में काम की तलाश के लिए अपने दोस्तों के साथ दुर्घटनाग्रस्त हुई ट्रेन में सवार हुआ था।
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#WATCH | Coromandel Express, one of the trains involved in a triple collision in Odisha's Balasore, crosses the accident site at Bahanaga Bazar station in Balasore pic.twitter.com/Cgi3tgNCCV
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