निरंतर एक्सेस के लिए सब्सक्राइब करें
आगे पढ़ने के लिए लॉगिन या रजिस्टर करें
अमर उजाला प्रीमियम लेख सिर्फ रजिस्टर्ड पाठकों के लिए ही उपलब्ध हैं
विस्तार
भारतीय रेल इतिहास की सबसे भीषण दुर्घटनाओं में से ओडिशा रेल दुर्घटना में कम से कम 288 यात्रियों की मौत हो गई और 1,100 से अधिक यात्री घायल हो गए। इस घटना के बाद रेल मंत्रालय पर सवाल खड़े हो रहे है। इसी बीच भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक यानी कैग की छह महीने पहले की रिपोर्ट सामने आई है, जिसने ट्रेनों के पटरी से उतरने के मामलों को लेकर रेलवे की लापरवाहियों की पोल खोलकर रख दी है। इधर कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता पवन खेडा ने भी इस मामले पर मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा है। खेडा ने कहा कि, मोदी सरकार में मरम्मत और नवीनीकरण का बजट हर साल कम होता जा रहा हैं। यहीं नहीं जो आवंटित किया गया है उकस इस्तेमाल नहीं हो रहा हैं हम लोग हाईस्पीड ट्रेन के खिलाफ नहीं है। लेकिन 10 से 15 चमकती ट्रेन दिखाकर आप पूरा ढांचा खोखला कर देंगे ये हमें मंजूर नहीं है।
सीएजी की इस ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल 2017 से लेकर मार्च 2021 के बीच देश में 217 ऐसे रेल हादसे हुए, इनमें जानमाल का नुकसान हुआ। इनमें हर 4 में से लगभग 3 रेल हादसे यानी लगभग 75 फीसदी हादसे ट्रेन के पटरी से उतरने की वजह से हुए। सीएजी की ये रिपोर्ट पिछले साल दिसंबर में यानी दिसंबर 2022 में संसद में पेश की गई थी। इस रिपोर्ट में ट्रेन के पटरी से उतरने की मुख्य वजह 'पटरियों के रखरखाव' से जुड़ी बताई गई थी।
नए ट्रैक के लिए मिले पैसों का नहीं हुआ इस्तेमाल
इस रिपोर्ट में बताया गया कि, पटरियों को नवीनीकरण यानी उन्हें बदलने के लिए उपलब्ध कराए जाने पर फंड में हाल के वर्षों में कमी की गई है और जो पैसा दिया भी गया है उसे पूरी तरह इस्तेमाल नहीं किया गया है। साल 2018-19 में ट्रैक की मरम्मत और नए ट्रैक बिछाने के लिए 9607.65 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे। लेकिन 2019-20 में इसे घटाकर 7417 करोड़ रुपये कर दिया गया। साथ ही, आवंटित राशि का भी पूरा इस्तेमाल नहीं किया गया।
पटरी से उतरने के अलावा इन वजहों से भी हुई घटना
इस रिपोर्ट में 217 रेल दुर्घटनाओं की जांच का जिक्र किया गया है। इसमें से 163 दुर्घटनाओं का कारण रेल का पटरियों से उतरना है, यानी करीब 75 फीसदी दुर्घटनाएं इसी कारण से हुई है। मतलब 4 में से लगभग 3 रेल हादसे ट्रेनों के पटरी से उतरने के कारण हुए। इसके अलावा अन्य दुर्घटनाओं में 20 हादसे आग लगने, 13 हादसे मानवरहित लेवल क्रॉसिंग पर, 11 दुर्घटनाएं टक्कर से और 2 अन्य कारणों से हुईं।
यह रिपोर्ट बताती है कि, रेलवे बोर्ड ने दुर्घटनाओं को दो श्रेणियों में बांटा है। परिणामगत रेल दुर्घटनाएं और अन्य रेल दुर्घटनाएं। परिणागत रेल दुर्घटनाओं में ऐसी दुर्घटनाएं शामिल हैं जिनमें या तो एक या अधिक व्यक्तियों की जान गई, लोगों को चोट लगी है या फिर रेलवे संपत्ति का नुकसान हुआ और रेलवे ट्रैफिक पर असर पड़ा है। बाकी दुर्घटनाओं को परिणागत दुर्घटनाओं की श्रेणी में नहीं रखा गया है। अन्य दुर्घटनाओं की श्रेणी में आने वाले हादसों की संख्या कहीं अधिक है। इसके तहत 1800 दुर्घटनाएं हुई। यानी 2017-18 से 2020-21 के बीच कुल 1,392 दुर्घटनाएं दर्ज हुईं। रिपोर्ट में बताया गया कि अधिकतम दुर्घटनाएं पटरी से उतरने की श्रेणी में हुई हैं, ऐसे में ऑडिट का मुख्य फोकस इसी बिंदु पर रहा।
दुर्घटनाओं से रेलवे को 33.67 करोड़ का हुआ नुकसान
कैग की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कुल 1392 दुर्घटनाओं में से रेलवे द्वारा की गई 1129 घटनाओं की जांच में बताया गया है कि इन दुर्घटनाओं में करीब 33.67 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। पटरी से उतरने की घटनाओं का मुख्य कारण पटरियों का रखरखाव न होना है। साथ ही कई मामलों में पटरियों को तय मानकों से इतर बदला गया है। इसके अलावा ओवर स्पीडिंग के कारण भी दुर्घटनाएं हुई हैं।
इसी रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि रेलवे पटरियों के नवीनीकरण या नई पटरियां बिछाए जाने के लिए दिए जाने वाले फंड में 2018-19 के 9,607.65 करोड़ के मुकाबले 2019-20 में कमी आई और यह कम होकर 7,417 करोड़ रुपए रहा। इसी दौरान रेलवे पटरियों के लिए दिए गए पैसे का पूरी तरह इस्तेमाल भी नहीं हुआ।