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ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार (2 जून) को हुए ट्रेन हादसे में अब तक 275 लोगों की मौत हो चुकी है। इस दुर्घटना में 1100 से ज्यादा लोग घायल हैं। इसी बीच रेल हादसे को लेकर केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बड़ा बयान दिया। उन्होंने इस ट्रेन त्रासदी के पीछे 'इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में बदलाव' को जिम्मेदार ठहराया। जबकि दूसरी तरफ इसी मामले को लेकर दक्षिण पश्चिम रेलवे जोन के मुख्य परिचालन प्रबंधक का एक पुराना पत्र भी सामने आया है। इस पत्र में उन्होंने तीन माह पहले ही 'सिस्टम में गंभीर खामियों' के बारे में चेतावनी दी थी और इंटरलॉकिंग सिस्टम की विफलता के बारे में चिंता जताई थी। इस पत्र के सामने आने के बाद बालासोर रेल दुर्घटना को लेकर रेलवे पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी ने भी इस पत्र के जरिए केंद्र सरकार और रेल मंत्रालय पर सवाल उठाए है। इसके अलावा पार्टी के सांसद शक्ति सिंह गोहिल का कहना है कि, ट्रांसपोर्ट टूरिज्म एंड कल्चर डिपार्टमेंट से संबंधित स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट है जो राज्यसभा में पेश हुई थी। इस रिपोर्ट में भी सरकार की आलोचना की गई थीं क्योंकि रेलवे बोर्ड,रेलवे सुरक्षा आयोग की सिफारिशों पर ध्यान नहीं दे रहा था।
हाल ही में दक्षिण पश्चिम रेलवे जोन के प्रमुख मुख्य परिचालन प्रबंधक ने 9 फरवरी को एक एक्सप्रेस ट्रेन के सिग्नल फेल होने की चिंता जताई थी, जो एक लोको पायलट की सतर्कता के कारण टल गई थी। उन्होंने 8 फरवरी 2023 को हुई बहुत ही गंभीर असामान्य घटना का जिक्र किया है। अपने पत्र में उन्होंने लिखा था कि इस घटना से संकेत मिलता है कि 'सिस्टम में गंभीर खामियां हैं जहां एसएमएस पैनल पर रूट के सही दिखने के साथ सिग्नल पर ट्रेन शुरू होने के बाद डिस्पैच का मार्ग बदल जाता है। यह इंटरलॉकिंग के सार और बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ है। इसलिए, यह सलाह दी जाती है कि दोषियों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई शुरू की जाए और दक्षिण पश्चिम रेलवे क्षेत्र में रेलवे स्टेशनों की सिग्नलिंग प्रणाली में मौजूद खामियों को ठीक करने के लिए तुरंत कदम उठाए जाएं। अधिकारी ने यह भी चेतावनी दी कि, यदि सिग्नल रखरखाव प्रणाली की निगरानी नहीं की गई और उसे तुरंत ठीक नहीं किया गया, तो इससे और गंभीर दुर्घटनाएं हो सकती हैं।
संसद की स्थायी समिति भी सुरक्षा मानकों खड़े कर चुकी है सवाल
कांग्रेस सांसद शक्ति सिंह गोहिल का कहना है कि, परिवहन, पर्यटन और संस्कृति पर संसदीय स्थायी समिति भी रेलवे बोर्ड की आलोचना कर चुका है। बार्ड रेलवे सुरक्षा आयोग सीआरएस की सिफारिशों को लगातार अनदेखा कर रहा है। रेलवे सुरक्षा आयोग का मुख्य कार्य निरीक्षण करना, जांच करना, सलाह या निर्देश देने के साथ साथ सावधान करना भी है। आयोग रेलवे बोर्ड को समय समय पर यात्री सुविधा और सुरक्षा के मानकों का पालन करने के लिए आगाह करता है। आयोग कई बार रेलवे बोर्ड की लापरवाही की ओर इशारा कर चुका है।
कांग्रेस पार्टी का आरोप है कि, इस घटना के कुछ घंटे पहले हुई रेलवे सुरक्षा को लेकर बैठक में रेल मंत्री ने रेलवे सुरक्षा पर विभिन्न प्रेजेंटेशन को दरकिनार कर दिया। जबकि वंदे भारत ट्रेनों और राजस्व बढ़ाने की चर्चा बैठक में गई। हाल के महीनों में मालगाड़ियों के पटरी से उतरने की कई घटनाएं हुई। इसमें लोको पायलटों की मौत भी हुई और वैगन भी पूरी तरह से नष्ट हो गई।