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Obesity is a new threat in Indian children overcoming malnutrition, improvement in stunting
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Malnutrition: कुपोषण से पार पा रहे भारतीय बच्चों में मोटापा नया खतरा, नाटेपन की स्थिति में सुधार
परीक्षित निर्भय, नई दिल्ली।
Published by: देव कश्यप
Updated Tue, 30 May 2023 06:32 AM IST
यूनिसेफ, डब्ल्यूएचओ और विश्व बैंक की रिपोर्ट संयुक्त कुपोषण अनुमान (जेएमई) के मुताबिक, 2012 से 2022 के बीच भारत में पांच साल के कम उम्र के बच्चों में नाटेपन की व्यापकता दर 41.6 फीसदी से 31.7 फीसदी पर आई है। इन बच्चों की संख्या 5.20 करोड़ से घटकर 3.60 करोड़ रह गई है।
प्रतीकात्मक तस्वीर
- फोटो : iStock
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भारत में बीते 10 साल में कुपोषण ग्रस्त बच्चों में गिरावट का ट्रेंड दिखाई दिया है, लेकिन इसी अवधि में मोटापा ग्रस्त बच्चों की संख्या बढ़ी है। हालांकि, एक तथ्य यह भी है कि बीमारी, खराब स्वास्थ्य और कुपोषण को इंगित करने वाले स्टंटिंग की व्यापकता दर में कमी आने के बाद भी दुनिया का हर चौथा अल्पपोषित बच्चा भारत में है।
यूनिसेफ, डब्ल्यूएचओ और विश्व बैंक की रिपोर्ट संयुक्त कुपोषण अनुमान (जेएमई) के मुताबिक, 2012 से 2022 के बीच भारत में पांच साल के कम उम्र के बच्चों में नाटेपन की व्यापकता दर 41.6 फीसदी से 31.7 फीसदी पर आई है। इन बच्चों की संख्या 5.20 करोड़ से घटकर 3.60 करोड़ रह गई है। नाटेपन को बचपन के कुपोषण का आकलन करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। नई दिल्ली स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल की वरिष्ठ डॉ. रेणुका मलिक का कहना है, देश के बच्चों में अब मोटापा भी चुनौती बन रहा है। इन सभी स्थितियों से एक साथ निपटने की आवश्यकता है।
2.35 करोड़ की कमी कुपोषितों में
2022 में जारी यूएन एजेंसियों खाद्य-कृषि संगठन, अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष, यूनिसेफ, विश्व खाद्य कार्यक्रम व विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट बताती है कि 2004-06 में 24.78 करोड़ के मुकाबले 2019-21 में 22.43 करोड़ भारतीयों में कुपोषण की गिरावट आई है। यानी 2.35 करोड़ की कमी।
देश के 97.33 करोड़ लोगों को पौष्टिक भोजन नहीं मिल पा रहा है, जो कुल आबादी के करीब 70 फीसदी हैं। 2019 में यह संख्या 94.6 करोड़, 2017 में 100 करोड़ और 2018 में 96.6 करोड़ थी।
मोटापा : 2.2 से बढ़कर 2.8 फीसदी तक पहुंचा
देश में पांच साल तक के बच्चों में मोटापा 2012 में 2.2 से बढ़कर 2022 में 2.8 फीसदी तक पहुंचा है।
इन बच्चों की संख्या 27.52 लाख से बढ़कर 31.80 लाख तक पहुंच गई है। अगर वैश्विक बोझ की बात करें तो 2012 में दुनिया में 7.7 फीसदी मोटापा ग्रस्त बच्चे भारत में थे। अब यह दर 8.80 फीसदी तक पहुंच गई है।
नाटेपन की स्थिति में सुधार
यदि किसी बच्चे का कद उसकी आयु के अनुपात में कम रह जाता है तो उसे नाटेपन यानी स्टंटिंग कहते हैं। देश में ऐसे बच्चों की संख्या 2012 से 2022 के बीच 5.20 करोड़ से घटकर 3.60 करोड़ रह गई है। पिछले एक दशक में स्टंटिंग के वैश्विक बोझ में भारत की हिस्सेदारी 30 फीसदी से घटकर 25 फीसदी हो गई।
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निर्बलता ग्रस्त बच्चों की स्थिति
यदि किसी बच्चे का वजन उसके कद के अनुपात में कम होता है तो उसे निर्बलता यानी वेस्टिंग कहते हैं। 2020 में 18.70% बच्चे निर्बलता ग्रस्त पाए गए जो वैश्विक स्तर पर काफी गंभीर स्थिति है। इन बच्चों की अनुमानित संख्या 2.18 करोड़ है।
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