Hindi News
›
India News
›
Nitish trying to strengthen himself on the pretext of opposition unity
{"_id":"6483d018d4370ff3bf0da874","slug":"nitish-trying-to-strengthen-himself-on-the-pretext-of-opposition-unity-2023-06-10","type":"story","status":"publish","title_hn":"सियासत: विपक्षी एकता के बहाने खुद को मजबूत बनाने में जुटे नीतीश, कांग्रेस विरोधी दलों को भी साधने की है रणनीति","category":{"title":"India News","title_hn":"देश","slug":"india-news"}}
सियासत: विपक्षी एकता के बहाने खुद को मजबूत बनाने में जुटे नीतीश, कांग्रेस विरोधी दलों को भी साधने की है रणनीति
हिमांशु मिश्र, नई दिल्ली।
Published by: देव कश्यप
Updated Sat, 10 Jun 2023 06:51 AM IST
पटना में 23 जून को होने वाली विपक्षी दलों की बैठक में नीतीश ने आम आदमी पार्टी और वाम दलों को भी आमंत्रित किया है। वह भी तब जब कांग्रेस साफ कर चुकी है कि वह तेलंगाना में बीआरएस, पंजाब-दिल्ली में आप और केरल में वाम दलों से किनारा करेगी।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो)।
- फोटो : अमर उजाला
‘प्रधानमंत्री बनना नहीं विपक्ष को एकजुट करने का है लक्ष्य।’ गैरभाजपा दलों के नेताओं से हर मुलाकात के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यह बयान देने से नहीं चूकते। हालांकि हकीकत इसके उलट है। नीतीश उन दलों को भी साध कर चल रहे हैं जिनका कांग्रेस के कारण विपक्ष के जमावड़े में शामिल होना मुश्किल दिख रहा है।
दरअसल, पटना में 23 जून को होने वाली विपक्षी दलों की बैठक में नीतीश ने आम आदमी पार्टी और वाम दलों को भी आमंत्रित किया है। वह भी तब जब कांग्रेस साफ कर चुकी है कि वह तेलंगाना में बीआरएस, पंजाब-दिल्ली में आप और केरल में वाम दलों से किनारा करेगी। कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद के शपथ ग्रहण समारोह में इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित न कर कांग्रेस ने इस आशय का साफ संदेश दे दिया था।
कांग्रेस ने दिए दिल बड़ा करने के संकेत
कांग्रेस में पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी विपक्षी एकता के प्रति सबसे अधिक गंभीर हैं। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पटना की बैठक में केरल, तेलंगाना, पंजाब, दिल्ली को छोड़ कर अन्य राज्यों में राजग के मुकाबले हर सीट पर एक ही उम्मीदवार उतारने के फाॅर्मूले पर सहमति बन सकती है। हालांकि बैठक में कांग्रेस क्षत्रपों से पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश में अपने लिए भी दिल बड़ा करने का अनुरोध करेगी।
चुनाव बाद की स्थिति पर नजर
यह तय है कि विपक्षी एकता के बावजूद लोकसभा चुनाव में विपक्ष का कोई नेता नहीं होगा। ऐसे में सरकार बनाने का मौका मिलने पर नेता का चयन चुनाव के बाद ही होगा। नीतीश की निगाहें चुनाव बाद की स्थिति पर टिकी हैं। वह नहीं चाहते कि तब नेता बनने की राह में कोई दल उनकी राह का रोड़ा बने। विपक्ष के फार्मूले के मुताबिक राजग के खिलाफ 474 सीटों पर इकलौता उम्मीदवार उतारने की है और कांग्रेस के हिस्से 244 सीटें आनी हैं।
गैरराजग दलों को भाजपा से दूर रखने की रणनीति
कांग्रेस के उलट नीतीश की रणनीति सभी गैरराजग दलों को साधने की है। जदयू सूत्रों का कहना है कि नीतीश चाहते हैं कि भले ही कांग्रेस की शर्तों के कारण बीआरएस, आप, माकपा, भाकपा विपक्षी एकता के खांचे में फिट नहीं बैठ रहे, मगर इन्हें भाजपा से दूर करने के लिए साधे रखने की जरूरत है। नीतीश को पता है कि बीजद भी विपक्षी एकता की मुहिम में शामिल नहीं होगी, बावजूद इसके नीतीश बीजद को भविष्य में भाजपा से दूर रखने के लिए लगातार ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक के संपर्क में हैं।
विज्ञापन
विज्ञापन
रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.
विज्ञापन
विज्ञापन
एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें
अतिरिक्त ₹50 छूट सालाना सब्सक्रिप्शन पर
Next Article
Disclaimer
हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।