किसान आंदोलन के 55वें दिन और 10वें दौर की बातचीत के बाद केंद्र की मोदी सरकार ने कृषि कानूनों पर नरम रुख अपना लिया है। केंद्र सरकार ने किसानों से बातचीत के दौरान प्रस्ताव दिया कि जब तक इस मसले पर बीच का कोई रास्ता नहीं निकलता, तब तक कृषि कानूनों को स्थगित कर सकते हैं। फिलहाल, किसानों ने इस मसले पर एक दिन बाद जवाब देने के लिए कहा है। माना जा रहा है कि सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह के प्रकाश पर्व पर हुई 10वें दौर की बातचीत में केंद्र सरकार ने मसला सुलझाने के लिए अहम कदम बढ़ा दिया है। साथ ही, यह भी कहा जा रहा है कि सरकार ने बाबा लक्खा सिंह की सलाह मान ली है।
जानकारी के मुताबिक, 10वें दौर की बातचीत के दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक साल तक कृषि कानूनों को स्थगित करने का प्रस्ताव दिया, जिसे किसानों ने नामंजूर कर दिया। इसके बाद सरकार ने कानून को स्थगित करने के साथ एक समिति बनाने का भी प्रस्ताव दिया, जिसमें किसान और सरकार दोनों के प्रतिनिधि होंगे। किसानों ने इसे भी अस्वीकार कर दिया। ऐसे में सरकार समाधान निकलने तक कृषि कानून स्थगित करने को राजी हो गई, जिस पर किसानों ने विचार शुरू कर दिया है।
बता दें कि बैठक के दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री ने गुरु गोविंद सिंह के प्रकाश पर्व का जिक्र किया, जिससे बात बनती नजर आई। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आज प्रकाश पर्व का शुभ दिन है। हमें इस मुद्दे पर मिलकर कोई बीच का रास्ता निकालना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि आखिर कब तक किसान इस आंदोलन के कारण सड़कों पर बैठे रहेंगे? इसके लिए हम सभी को मिलकर समाधान निकालना पड़ेगा।
जानकारी के मुताबिक, सरकार के प्रस्ताव को लेकर किसान नेताओं की आपस में चल रही बैठक समाप्त हो गई है। किसान नेताओं ने तय किया कि वे गुरुवार को अन्य किसानों से बातचीत करने के बाद सरकार के प्रस्ताव पर फैसला सुनाएंगे।
सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने कृषि कानूनों को स्थगित करने का फैसला लेकर बाबा लक्खा सिंह के सुझाव पर अमल किया है। बताया जा रहा है कि बाबा लक्खा सिंह ने सबसे पहले कहा था कि जब तक समाधान नहीं निकल रहा, तब तक कानून स्थगित किया जा सकता है। बता दें कि नानकसर गुरुद्वारे के प्रमुख बाबा लक्खा सिंह का नाम 7 जनवरी को पहली बार सामने आया था। उस वक्त कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने उनसे मुलाकात की थी। उसके बाद से ही अटकलें लगने लगी थीं कि सरकार बाबा के जरिये किसानों को मनाने की कोशिश कर सकती है।
किसान आंदोलन के 55वें दिन और 10वें दौर की बातचीत के बाद केंद्र की मोदी सरकार ने कृषि कानूनों पर नरम रुख अपना लिया है। केंद्र सरकार ने किसानों से बातचीत के दौरान प्रस्ताव दिया कि जब तक इस मसले पर बीच का कोई रास्ता नहीं निकलता, तब तक कृषि कानूनों को स्थगित कर सकते हैं। फिलहाल, किसानों ने इस मसले पर एक दिन बाद जवाब देने के लिए कहा है। माना जा रहा है कि सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह के प्रकाश पर्व पर हुई 10वें दौर की बातचीत में केंद्र सरकार ने मसला सुलझाने के लिए अहम कदम बढ़ा दिया है। साथ ही, यह भी कहा जा रहा है कि सरकार ने बाबा लक्खा सिंह की सलाह मान ली है।
सरकार ने दिया यह प्रस्ताव
जानकारी के मुताबिक, 10वें दौर की बातचीत के दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक साल तक कृषि कानूनों को स्थगित करने का प्रस्ताव दिया, जिसे किसानों ने नामंजूर कर दिया। इसके बाद सरकार ने कानून को स्थगित करने के साथ एक समिति बनाने का भी प्रस्ताव दिया, जिसमें किसान और सरकार दोनों के प्रतिनिधि होंगे। किसानों ने इसे भी अस्वीकार कर दिया। ऐसे में सरकार समाधान निकलने तक कृषि कानून स्थगित करने को राजी हो गई, जिस पर किसानों ने विचार शुरू कर दिया है।
ऐसे हुआ प्रकाश पर्व का जिक्र
बता दें कि बैठक के दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री ने गुरु गोविंद सिंह के प्रकाश पर्व का जिक्र किया, जिससे बात बनती नजर आई। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आज प्रकाश पर्व का शुभ दिन है। हमें इस मुद्दे पर मिलकर कोई बीच का रास्ता निकालना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि आखिर कब तक किसान इस आंदोलन के कारण सड़कों पर बैठे रहेंगे? इसके लिए हम सभी को मिलकर समाधान निकालना पड़ेगा।
किसानों ने लिया एक दिन का वक्त
जानकारी के मुताबिक, सरकार के प्रस्ताव को लेकर किसान नेताओं की आपस में चल रही बैठक समाप्त हो गई है। किसान नेताओं ने तय किया कि वे गुरुवार को अन्य किसानों से बातचीत करने के बाद सरकार के प्रस्ताव पर फैसला सुनाएंगे।
फिर सामने आया बाबा लक्खा सिंह का नाम
सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने कृषि कानूनों को स्थगित करने का फैसला लेकर बाबा लक्खा सिंह के सुझाव पर अमल किया है। बताया जा रहा है कि बाबा लक्खा सिंह ने सबसे पहले कहा था कि जब तक समाधान नहीं निकल रहा, तब तक कानून स्थगित किया जा सकता है। बता दें कि नानकसर गुरुद्वारे के प्रमुख बाबा लक्खा सिंह का नाम 7 जनवरी को पहली बार सामने आया था। उस वक्त कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने उनसे मुलाकात की थी। उसके बाद से ही अटकलें लगने लगी थीं कि सरकार बाबा के जरिये किसानों को मनाने की कोशिश कर सकती है।