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Manipur Violence: Amit Shah meetings in Manipur, efforts to bring back for recovery of looted weapons
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Manipur Violence: अमित शाह का ऑपरेशन मणिपुर, लूटे हथियारों की बरामदगी के लिए सुरक्षा बलों का सीक्रेट मिशन जारी
Manipur Violence: मणिपुर को लेकर इंटेलिजेंस ब्यूरो की रिपोर्ट चौंकाने वाली है, इसलिए शाह के साथ केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, गृह सचिव अजय भल्ला, आईबी निदेशक तपन डेका और दूसरे कई वरिष्ठ अधिकारी मणिपुर पहुंचे हैं। असम राइफल और सीआरपीएफ के भी कई बड़े अधिकारी मणिपुर में हैं...
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Amit Shah taking meeting on Manipur violence
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चार सप्ताह से हिंसा की लपटों में घिरे 'मणिपुर' में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, बैठकें कर रहे हैं। अमित शाह के ऑपरेशन 'मणिपुर' का पहला चरण खत्म होने वाला है। इसके बाद दूसरा और तीसरा चरण शुरू होगा। ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है कि केंद्रीय गृह मंत्री एक साथ किसी राज्य में तीन-चार दिन तक रहें हों। चूंकि मणिपुर को लेकर इंटेलिजेंस ब्यूरो की रिपोर्ट चौंकाने वाली है, इसलिए शाह के साथ केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, गृह सचिव अजय भल्ला, आईबी निदेशक तपन डेका और दूसरे कई वरिष्ठ अधिकारी मणिपुर पहुंचे हैं। असम राइफल और सीआरपीएफ के भी कई बड़े अधिकारी मणिपुर में हैं। सूत्रों का कहना है कि मणिपुर में मैदान और पहाड़ी क्षेत्रों में हिंसा करने वाले उपद्रवी एक साथ नपेंगे। इस बाबत एक 'सीक्रेट एक्शन' शुरू किया गया है। इसमें उपद्रवियों की गिरफ्तारी के अलावा उनके द्वारा लूटे गए हथियारों की बरामदगी करना, सुरक्षा बलों का पहला काम होगा।
सोमवार को मणिपुर में पहुंचने के बाद शाह ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह, मंत्रिमंडल में उनके सहयोगी, मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह सहित राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। इससे पहले उन्होंने मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके से मुलाकात की थी। 'कोआर्डिनेटिंग कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी' ने शाह के दौरे को एक सकारात्मक कदम बताया था। मंगलवार को शाह ने राजधानी इंफाल में महिलाओं के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ मुलाकात की है। वे विभिन्न जातीय समुदायों के प्रतिनिधियों से भी बातचीत करेंगे। सूत्रों का कहना है कि शाह को मानचित्र के जरिए मणिपुर के हिंसाग्रस्त क्षेत्रों की जानकारी दी जाएगी। केंद्रीय गृह मंत्री सुरक्षा एजेंसियों के साथ भी एक बैठक करेंगे। इसमें सेना, असम राइफल, आईबी, सीआरपीएफ व राज्य पुलिस के अधिकारी मौजूद रहेंगे। 'कोआर्डिनेटिंग कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी' के पदाधिकारियों के साथ भी गृह मंत्री की बैठक तय की गई है।
सुरक्षा बलों का सीक्रेट प्लान शुरू
केंद्र और मणिपुर सरकार ने जातीय हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा देने का फैसला किया है। साथ ही मृतकों के परिवार में किसी एक सदस्य को नौकरी देने की भी बात कही गई है। ऐसी संभावना भी है कि शाह, मैतेई और कुकी समुदाय के लोगों से भी बात करेंगे। हालांकि कुकी समुदाय के कुछ प्रतिनिधि शाह के दौरे से खुश नहीं हैं। संभव है कि वे बातचीत में शामिल न हों। जिन उग्रवादी संगठनों ने सरकार के साथ समझौता कर सरेंडर किया था, वे भी गृह मंत्री से मिल सकते हैं। केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा हिंसाग्रस्त इलाकों का दौरा करने की भी संभावना है। सुरक्षा बलों द्वारा अब जो सीक्रेट प्लान शुरू किया गया है, उसके तहत उपद्रवियों को गिरफ्तार किया जाएगा। ये अभियान इंफाल और पहाड़ी इलाकों में एक साथ आरंभ हुआ है। इसमें मणिपुर कमांडो पुलिस, सीआरपीएफ व असम राइफल के जवान शामिल हैं। पहाड़ी क्षेत्र, जहां पर कुकी और नगा समुदाय का बाहुल्य है, वहां पर सेना के जवान लगाए गए हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, तीन मई से लेकर अब तक कुल दो हजार हथियार लूटे गए हैं। इनमें से करीब सात सौ हथियार वापस जमा हुए हैं।
सभी हथियार जब तक जमा नहीं होते, सुरक्षा बलों का सीक्रेट मिशन जारी रहेगा। इस मिशन के लिए अलग-अलग टीमें गठित की गई हैं। सर्च अभियान में आईबी के अलावा लोकल इंटेलिजेंस इकाई को भी शामिल किया गया है। सूत्रों के मुताबिक, ज्यादातर हथियार उन युवाओं ने लूटे हैं, जो अभी कट्टरपंथ की तरफ चलना शुरू हुए हैं। केंद्रीय गृह मंत्री, जब मैतेई, कुकी और नगा समुदाय के लोगों से बातचीत करेंगे, तो उनसे लूटे गए हथियारों को जमा कराने में मदद करने का आग्रह किया जाएगा। इस बातचीत में उन लोगों को भी शामिल किया जा सकता है, जो पूर्व में किसी उग्रवादी समूह के सदस्य रहे थे, लेकिन बाद में वे एक समझौते के तहत मुख्य धारा में शामिल हो गए। मणिपुर में इस तरह की हिंसा का दोहराव न हो, इसके लिए कुछ खास अफसरों को वहां पर लगाया जाएगा। इस कड़ी में सीआरपीएफ में प्रतिनियुक्ति पर काम कर रहे आईजी राजीव सिंह आईपीएस (टीआर:93) को त्रिपुरा से मणिपुर कैडर में तीन वर्ष के लिए भेजा गया है। एसीसी ने स्पेशल केस में और जनहित में यह मंजूरी दी है।
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