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Hindi News ›   Chhattisgarh ›   Left Wing Extremism: President said, Naxalite violence limited to 191 police stations in 46 districts

Left Wing Extremism: 46 जिलों के 191 पुलिस थानों तक सिमटी नक्सली हिंसा, राष्ट्रपति ने अभिभाषण में किया जिक्र

Jitendra Bhardwaj जितेंद्र भारद्वाज
Updated Tue, 31 Jan 2023 08:48 PM IST
सार

Left Wing Extremism: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, पिछले कुछ दशकों से बड़ा खतरा बन चुका वामपंथी उग्रवाद अब कुछ जिलों तक सीमित होकर रह गया है। पिछले एक दशक के दौरान नक्सली हिंसा में लगभग 77 फीसदी की कमी दर्ज की गई है...

President Draupadi Murmu
President Draupadi Murmu - फोटो : Sansad TV

विस्तार

देश के विभिन्न राज्यों में वामपंथी उग्रवाद की घटनाएं अब तेजी से कम हो रही हैं। मंगलवार को संसद के संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण में इसका जिक्र हुआ है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, पिछले कुछ दशकों से बड़ा खतरा बन चुका वामपंथी उग्रवाद अब कुछ जिलों तक सीमित होकर रह गया है। पिछले एक दशक के दौरान नक्सली हिंसा में लगभग 77 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। वर्ष 2010 में 96 जिलों के 465 पुलिस थानों के शीर्ष स्तर की तुलना में वर्ष 2021 में 46 जिलों के 191 पुलिस थानों ने वामपंथी उग्रवाद से जुड़ी हिंसा की सूचना दी है।

वामपंथी उग्रवाद के खतरे से निपटने को बनी समग्र नीति

राष्ट्रपति ने केंद्र सरकार के बारे में कहा, भारत में मजबूत इच्छाशक्ति वाली सरकार है। वह बिना डरे काम कर रही है। उन्होंने अपने अभिभाषण में सर्जिकल स्ट्राइक, आतंकवाद पर सख्ती, अनुच्छेद 370 की समाप्ति और तीन तलाक जैसे कानून का हवाला दिया। केंद्र सरकार ने नॉर्थ ईस्ट को विकास की एक नई गति प्रदान की है। अब वाइब्रेंट विलेज के माध्यम से सीमावर्ती गांवों तक विकास पहुंच रहा है। वामपंथी उग्रवाद के खतरे से समग्र रूप से निपटने के लिए, भारत सरकार ने वर्ष 2015 में एक राष्ट्रीय नीति एवं कार्य योजना को मंजूरी दी थी। उक्त नीति के अंतर्गत एक बहुआयामी रणनीति की परिकल्पना की गई थी। इसमें सुरक्षा के उपाय, विकासपरक हस्तक्षेप तथा स्थानीय समुदायों के अधिकारों एवं हकदारियों की सुनिश्चित करना आदि शामिल था। इसके चलते हिंसा के भौगोलिक प्रसार में काफी कमी दर्ज की गई है।

वामपंथी उग्रवाद के मोर्चे पर 'जीरो टॉलरेंस'

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने वामपंथी उग्रवाद के मोर्चे पर 'जीरो टॉलरेंस' की नीति अपनाई है। सीआरपीएफ व अन्य सुरक्षा बलों ने नक्सलियों पर करारी चोट की, तो दशकों से खड़े माओवाद के किलों को जमींदोज होने में देर नहीं लगी। छत्तीसगढ़ और झारखंड के बॉर्डर पर बूढ़ा पहाड़ व बिहार के चक्रबंधा एवं भीमबांध के अति दुर्गम क्षेत्रों में सुरक्षा बलों ने माओवादियों को उनके गढ़ से खदेड़ कर वहां स्थायी कैंप स्थापित कर लिए हैं। 2019 में वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं में 52 सुरक्षा कर्मी मारे गए थे, जबकि इस साल नवंबर तक वह संख्या 15 है। इन क्षेत्रों में 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च कर वहां सड़कों का जाल बिछाया गया है। स्कूल, औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान और मोबाइल नेटवर्क, इन्होंने भी वामपंथी उग्रवाद को अंतिम सांस लेने की स्थिति तक पहुंचाने में बड़ी मदद की है।

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