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9 दिसंबर 2021
दिल्ली की सीमाओं पर करीब एक साल से डेरा डाले बैठे किसान अपने आंदोलन को खत्म करने के लिए सहमत हो गए। दिल्ली सीमाओं पर शुरू हुए आंदोलन के 378वें दिन जाब की 32 जत्थेबंदियों ने बैठक के बाद कहा कि 11 तारीख को उनकी आंदोलन से वापसी हो जाएगी।
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27 नवंबर 2021
सरकार के एलान के बाद किसानों ने 29 नवंबर का संसद मार्च का कार्यक्रम स्थगित कर दिया। किसानों ने कहा कि हम इस पर 4 दिसंबर को फैसला लेंगे। प्रधानमंत्री जी को हमने चिट्ठी सौंपी है। अगर 4 दिसंबर तक उस चिट्ठी पर सार्थक जवाब नहीं आया तो आगे का रुख तय करेंगे। सरकार को संयुक्त किसान मोर्चे के साथ बातचीत की मेज पर लौटना होगा। सरकार की आज की घोषणा से हम सहमत नहीं हैं। आकाशवाणी से हम सहमत नहीं होंगे। आमने-सामने बैठकर बात करें।
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27 नवंबर 2021
किसानों की मांगों के सामने केंद्र सरकार ने एक और कदम पीछे खींच लिया। केंद्रीय कृषि मंत्री ने एलान किया कि अब पराली जलाना अपराध की श्रेणी में नहीं रहेगा। इसके अलावा उन्होंने एमएसपी पर समिति बनाने की भी घोषणा की।
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19 नवंबर, 2021
गुरु नानक जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानून वापस लेने का एलान किया।
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15 सितंबर, 2021
किसान आंदोलन के कारण बंद पड़े सिंघु बॉर्डर पर रास्ता खुलवाने के लिए सरकार ने एक प्रदेश स्तरीय समिति का गठन किया।
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7 सितंबर-9 सितंबर, 2021
किसान बड़ी संख्या में करनाल पहुंचे और मिनी सचिवालय का घेराव किया।
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जुलाई 2021
लगभग 200 किसानों ने तीन कृषि कानूनों की निंदा करते हुए संसद भवन के पास किसान संसद के समानांतर 'मॉनसून सत्र' शुरू किया।
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06 मार्च 2021
दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के प्रदर्शन को 100 दिन पूरे हुए।
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06 फरवरी 2021
विरोध करने वाले किसानों ने दोपहर 12 बजे से दोपहर 3 बजे तक तीन घंटे के लिए देशव्यापी 'चक्का जाम' किया।
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26 जनवरी 2021
दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकाली। इस दौरान आंदोलनकारियों और पुलिस में झड़प हुई।
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22 जनवरी 2021
11वें दौर की वार्ता में किसान अपनी मांग से पीछे हटने को तैयार नहीं हुए। सरकार ने सख्त रुख दिखाया।
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21 जनवरी 2021
10वें दौर की वार्ता में सरकार ने डेढ़ साल तक तीनों कानूनों को स्थगित करने का प्रस्ताव रखा। साथ ही, एक संयुक्त समिति बनाने की बात कही, लेकिन यह वार्ता भी बेनतीजा रही।
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15 जनवरी 2021
नौवें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही। प्रदर्शनकारी किसान कानूनों को पूरी तरह से रद्द करने की अपनी मुख्य मांग पर अड़े रहे। सरकार ने आवश्यक संशोधनों की बात कही।
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12 जनवरी 2021
सुप्रीम कोर्ट ने तीन कृषि कानूनों पर रोक लगाई और एक कमेटी का गठन किया। कोर्ट ने कमेटी से दो महीने में रिपोर्ट देने को कहा।
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8 जनवरी 2021
आठवें दौर की बैठक में किसानों ने साफ कहा कि 'घर वापसी' तभी होगी, जब तीन कृषि कानून वापस ले लिए जाएं।
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4 जनवरी 2021
सातवें दौर की वार्ता भी विफल रही। किसान नेता तीन कृषि कानूनों को रद्द करने पर अड़े रहे। सरकार ने इससे साफ इनकार किया।
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30 दिसंबर 2020
सरकार और किसान नेताओं के बीच छठे दौर की बातचीत हुई। इसमें केंद्र ने पराली जलाने से संबंधित अध्यादेश में किसानों के खिलाफ एक्शन न लेने और प्रस्तावित बिजली संशोधन कानून को लागू न करने पर सहमति जताई।
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21 दिसंबर 2020
किसानों ने सभी विरोध स्थलों पर एक दिवसीय भूख हड़ताल की। इसके अलावा 25 से 27 दिसंबर तक हरियाणा में राजमार्गों पर टोल वसूली रोकने का एलान किया।
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16 दिसंबर 2020
बॉर्डर बंद होने की वजह से यात्रियों को होने वाली परेशानी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका पर सुनवाई हुई। मसले को सुलझाने के लिए एक कमेटी गठित करने का सुझाव दिया गया। अदालत ने किसानों के अहिंसक विरोध प्रदर्शन के अधिकार को स्वीकार किया।
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8 दिसंबर 2020
प्रदर्शनकारी किसानों ने भारत बंद का आह्वान किया। इसका सबसे ज्यादा असर पंजाब और हरियाणा में दिखा। किसानों के भारत बंद को अधिकतर विपक्षी दलों ने समर्थन दिया। उस शाम भी एक बैठक हुई, जो सफल नहीं रही।
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5 दिसंबर 2020
किसानों और सरकार के बीच पांचवें दौर की बातचीत हुई। इस बैठक में किसान नेताओं ने मौन व्रत रखा और सरकार से हां या न में जवाब मांगा।
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3 दिसंबर 2020
आठ घंटे की मैराथन बैठक चली, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। केंद्रीय नेताओं ने कानूनों में खामियों को दूर करने की बात कही। साथ ही, एमएसपी और खरीद सिस्टम को लेकर कई प्रस्ताव रखे, लेकिन कोई हल नहीं निकला।
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1 दिसंबर 2020
कृषि कानूनों पर चर्चा के लिए केंद्र सरकार ने एक कमेटी बनाने का प्रस्ताव दिया, लेकिन 35 किसान संगठनों ने इसे स्वीकार नहीं किया। किसान संगठनों और कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के बीच यह वार्ता बेनतीजा रही।
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26 नवंबर, 2020
किसानों ने 3 नवंबर को देशव्यापी सड़क नाकेबंदी का एलान किया। 26 नवंबर तक किसानों के गुट दिल्ली की ओर बढ़े तो हरियाणा के अंबाला में उन्हें तितर-बितर करने की कोशिश की गई। इसके बाद पुलिस ने उत्तर-पश्चिम दिल्ली के निरंकारी मैदान में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के लिए दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति दे दी।
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14 सितंबर, 2020
कृषि कानून बिल लोकसभा में पेश किया गया, जो 17 सितंबर, 2020 को पास हुआ। इसके बाद देशभर में किसानों के विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए।