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Khabron Ke Khiladi Will vote bank of regional parties slip due Rahul Gandhis statement regarding Muslim League
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Khabron Ke Khiladi: क्या मुस्लिम लीग को लेकर राहुल गांधी के बयान से क्षेत्रीय पार्टियों का वोटबैंक खिसकेगा?
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: निर्मल कांत
Updated Sat, 03 Jun 2023 11:39 PM IST
राहुल गांधी का विदेश दौरा फिर से चर्चा में है। ब्रिटेन में राहुल गांधी के बयानों पर खूब राजनीति हुई, वैसा ही कुछ उनके अमेरिका दौरे पर देखने को मिल रहा है। मुस्लिम लीग को लेकर दिए उनके बयान को क्षेत्रीय पार्टियों के लिए खतरे की घंटी माना जा रहा है। जानिए विश्लेषकों की राय...
राहुल गांधी विदेश दौरे पर हैं और फिर उनके बयान चर्चा में हैं। भाजपा राहुल गांधी के बयानों को लेकर हमलावर है। राहुल गांधी ने केरल में अपनी सहयोगी पार्टी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग को सेक्युलर पार्टी बता दिया, जिसे लेकर खूब बयानबाजी हो रही है। राहुल गांधी के बयानों के क्या राजनीतिक नफा-नुकसान हैं और ये कैसे विपक्षी एकता को प्रभावित कर सकते हैं, इस मुद्दे पर चर्चा के लिए इस बार हमारे साथ रामकृपाल सिंह, विनोद अग्निहोत्री, सुमित अवस्थी, पूर्णिमा त्रिपाठी, शुभ्रास्था शिखा और शिवम त्यागी जैसे विश्लेषक मौजूद रहे। पढ़िए चर्चा के कुछ अंश...
सुमित अवस्थी
'राहुल गांधी विदेश में जाकर बोलते हैं कि न्यायपालिका काम नहीं कर रही है, लोकतंत्र खतरे में है तो क्या राहुल गांधी को विदेश जाकर देश को नीचा दिखाने में मजा आता है? राहुल गांधी ने अमेरिका में व्यंग्य करते हुए कहा कि मोदी जी अगर भगवान के साथ बैठेंगे तो उन्हें भी समझाने लग जाएंगे। विदेश में इस तरह के बयानों का कांग्रेस को क्या फायदा मिल सकता है, इस पर विचार किया जाना चाहिए। ऐसा तो नहीं है कि भाजपा इस मुद्दे पर ज्यादा प्रतिक्रिया दे रही है। पीएम मोदी पर सीधा हमला करना क्या कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा है, ये देखने वाली बात होगी। ऐसा कहा जा रहा है कि राहुल गांधी के बयानों से विपक्षी एकता में सेंध लग रही है, मुसलमानों को साधने के चक्कर में विपक्षी एकता का नुकसान तो नहीं कर रहे राहुल गांधी! इसे लेकर भी चर्चा हो रही है।'
शुभ्रास्था शिखा
'हमारे देश में सेक्युलर शब्द काफी बाद में संविधान में जोड़ा गया। मुस्लिम लीग को लेकर जो विवाद है, उसे लेकर मेरा मानना है कि संवैधानिक रूप से हम सेक्युलर देश हैं, लेकिन राजनीतिक पार्टियां अपने नाम में मुस्लिम लगा रही हैं, लेकिन अगर कोई पार्टी अपने नाम में हिंदू जोड़ लेती है तो उसे सांप्रदायिक करार दे दिया जाता है। विश्व हिंदू परिषद राजनीतिक पार्टी नहीं है। योगी आदित्यनाथ ने जब चुनाव लड़ा तो उन्होंने भाजपा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा ना कि महंत होने के नाते। मुस्लिम लीग की वजह से देश का विभाजन हो गया तो उसे अगर आप सेक्युलर कहेंगे तो सवाल तो उठेंगे ही। राहुल गांधी को शायद यह किसी ने समझा दिया है कि उनका और पीएम मोदी का राजनीतिक कद एक है, लेकिन मेरा मानना है कि इस मुकाबले में राहुल गांधी कहीं नहीं ठहरते। राहुल गांधी जब अमेठी से हारे तो पलटकर अमेठी नहीं गए। लोकसभा में भी उन्होंने वायनाड को लेकर कोई मुद्दा नहीं उठाया। इससे उनकी विश्वसनीयता में कमी आई है।'
विनोद अग्निहोत्री
'राहुल गांधी जब विदेश जाएंगे तो वह सरकार के खिलाफ ही बोलेंगे, विपक्षी होते हुए वह सरकार की तारीफ तो करेंगे नहीं। अरुण जेटली ने एक बार कहा था कि आज तकनीक का युग है और कोई कहीं भी बोले वह कुछ ही मिनटों में सब जगह पहुंच जाता है। राहुल गांधी एक निजी यात्रा पर गए हैं तो कुछ तो बोलेंगे ही और उस पर भाजपा प्रतिक्रिया देगी। यह स्वाभाविक है। भाजपा कोई देश नहीं है। सरकार के खिलाफ बोलना देश के खिलाफ बोलना नहीं है। जब मोदी जी कहते हैं कि 2014 से पहले यहां पैदा होने पर शर्म आती थी तो वो भी गलत था। राहुल गांधी और पीएम मोदी की कोई तुलना नहीं है, लेकिन खुद भाजपा ही राहुल गांधी को अपने सामने खड़ा कर रही है।'
'मेरा मानना है कि किसी राजनीतिक पार्टी में धर्म का नाम नहीं होना चाहिए। तो फिर किसी मठ के महंत को मुख्यमंत्री भी नहीं होना चाहिए। फिर अकाल तख्त के नाम पर बनी शिरोमणि अकाली दल पर भी सवाल उठने चाहिए। जिस मुस्लिम लीग को लेकर भाजपा राहुल गांधी को घेर रही है, नागपुर चुनाव में भाजपा ने इसी मुस्लिम लीग का समर्थन लेकर अपना मेयर बनाया था। अटल बिहारी सरकार में भी मुस्लिम लीग के नेताओं को अहम जिम्मेदारियां दी गईं।'
रामकृपाल सिंह
'राहुल गांधी में इतना तो फर्क आया है कि कर्नाटक चुनाव से पहले उन्होंने ब्रिटेन में कहा कि भारत में लोकतंत्र नहीं है, लेकिन अब अमेरिका में उन्होंने यह नहीं कहा। राहुल गांधी ने आईयूएमएल को सेक्यूलर बताकर बड़ा राजनीतिक संदेश दिया है। कर्नाटक में बाबरी विध्वंस के बाद पहली बार हुआ है कि अल्पसंख्यक वोट एकजुट होकर कांग्रेस को मिला है। जेडीएस का वोटबैंक भी कांग्रेस को शिफ्ट हो गया। यही वजह है कि राहुल गांधी के इस बयान ने क्षेत्रीय पार्टियों को जरूर परेशान कर दिया है। कांग्रेस भी इसे समझ रही है। साफ है राहुल गांधी सोची समझी रणनीति के तहत ही बयान दे रहे हैं। कांग्रेस का कोर वोटबैंक दलित, अल्पसंख्यक और सवर्णों का कुछ हिस्सा रहा है। कांग्रेस को अगर मजबूत होना है तो उसे अपने इस वोटबैंक को फिर से एकजुट करना होगा। ऐसे में विपक्षी एकता को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं और क्षेत्रीय पार्टियां इससे चिंतित हो सकती हैं।'
'आजाद हिंदुस्तान में बहुसंख्यक मुसलमान ने किसी मुसलमान को अपना नेता नहीं माना तो आम मुस्लिम को सांप्रदायिक कहना गलत है। गांवों में आज भी हिंदू मुस्लिम साथ रहते हैं। इस देश का आम आदमी सेक्युलेरिज्म को नहीं जानता बल्कि उसे जीता है। इस देश में हमेशा सांप्रदायिकता के आधार पर ही किसी पार्टी को जीत नहीं मिली है और इसमें कई फैक्टर होते हैं। ऐसे में चुनाव के समय राहुल गांधी के इन बयानों की बहुत अहमियत नहीं रह जाएगी।'
शिवम त्यागी
'राहुल गांधी कांग्रेस के अघोषित अध्यक्ष हैं। पार्टी के बड़े फैसलों में उनकी अहम भूमिका है। राहुल गांधी, पीएम मोदी को देश में आलोचना करते हैं, लेकिन अगर वह विदेश में जाकर कुछ बोलेंगे तो आलोचना तो होगी ही। पीएम मोदी के सेंगोल को दंडवत होकर प्रणाम करने पर राहुल गांधी ने मजाक उड़ाकर भारतीय संस्कृति का अपमान किया है। राहुल ने आईयूएमएल को सेक्युलर बताया, जबकि os खुलेआम शरिया लागू करने की बात करते हैं। वहीं, बाढ़ प्रभावितों की मदद करने वाले संगठन को राहुल गांधी सांप्रदायिक बता रहे हैं, तो सवाल तो उठेंगे ही।'
'मुस्लिम लीग को कांग्रेस भी सांप्रदायिक मानती आई है। जिस तरह 1925 में संघ था, फिर जनसंघ था और आज भाजपा है तो उसी तरह मुस्लिम लीग के कई सदस्य भी पुरानी मुस्लिम लीग के सदस्य रहे हैं। जो व्यक्ति चुनाव में जीतकर संसद पहुंचते हैं, उन्हें सम्मान मिलता है लेकिन मैं और इस देश के बहुसंख्यक समाज का बड़ा तबका ये मानता है कि मुस्लिम लीग सांप्रदायिक पार्टी है। भाजपा जहां-जहां क्षेत्रीय दलों के साथ टक्कर में रही है, वहां उसे मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। ऐसे में कांग्रेस का मजबूत होना कहीं ना कहीं भाजपा के हित में है। हमारे देश के प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने कहीं ज्यादा झेला है लेकिन उन्होंने कभी न्यायपालिका को लेकर कुछ नहीं बोला।'
पूर्णिमा त्रिपाठी
'राहुल गांधी से मुस्लिम लीग को लेकर सवाल किया गया था तो उन्होंने उसके जवाब में मुस्लिम लीग को सेक्युलर बताया, ऐसा नहीं है कि उन्होंने खुद इस मुद्दे पर बात की। हर पार्टी वोटबैंक साधना चाहती है। बयान से साफ है कि राहुल गांधी में राजनीतिक परिपक्वता आ रही है और वह राजनीतिक नफे नुकसान को ध्यान में रखकर ही बोल रहे हैं। राहुल गांधी के बयान से क्षेत्रीय पार्टियां जरूर चिंतित हो सकती हैं। राहुल गांधी जो विदेश में बोल रहे हैं, वो उनका अंदाज है।'
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