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Political Gossips: Is there any competition between Assam CM himanta biswa sarma and UP CM yogi adityanath
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कानों देखी: क्या असम और उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्रियों में कोई 'कंपटीशन' चल रहा है?
कानों देखी: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के राहुल गांधी पर हमले के बाद उनकी टीआरपी काफी बढ़ गई थी। कहा जा रहा है कि सरमा अमित शाह की पसंद हैं। पीएम मोदी के बाद गुजरात में दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा मांग वाले नेता योगी आदित्यनाथ हैं...
गुजरात विधानसभा चुनाव चल रहे हैं। राज्य में 27 साल के शासन और देश को सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री देने के बाद भी प्रचार में भाजपा के नेताओं में हिंदुत्व के मुद्दे पर मानो प्रतियोगिता चल रही है। बची खुची कसर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी पूरी कर दी। उन्होंने एक बार फिर कट्टरता को बड़ा खतरा बताया। इससे पहले असम के मुख्यमंत्री ने राहुल गांधी की दाढ़ी की तुलना इराक के दिवंगत राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन से करके खूब चर्चा बटोरी थी। बताते हैं असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के राहुल गांधी पर हमले के बाद उनकी टीआरपी काफी बढ़ गई थी। कहा जा रहा है कि सरमा अमित शाह की पसंद हैं। पीएम मोदी के बाद गुजरात में दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा मांग वाले नेता योगी आदित्यनाथ हैं। सरमा के बाद योगी ने भी अपनी प्रतिभा दिखाई। उन्होंने गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में हुई आगजनी से लेकर अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर की चर्चा छेड़ दी। हालांकि दूसरे राज्यों के सीएम प्रचार में भले सक्रिय हों, लेकिन प्रचार के सीन से राज्य के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल करीब करीब नदारद हैं।
हिमाचल विधानसभा चुनाव के नतीजे और नड्डा जी
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को गृह राज्य हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे काफी सशंकित कर रहे हैं। नड्डा चुनाव में जीतने का दावा भले करें, लेकिन भाजपा नेताओं की एक बड़ी टीम उनके ऊपर ठीकरा फोड़ने की तैयारी में जुट गई है। नड्डा के एक करीबी नेता ने भी न केवल बगावत की, बल्कि उसने अपनी शिकायत को भी प्रधानमंत्री और गृहमंत्री तक पहुंचा दिया है। नड्डा की परेशानी का एक कारण और है। जनवरी 2023 में बतौर अध्यक्ष उनका कार्यकाल पूरा हो रहा है। हालांकि नड्डा प्रधानमंत्री मोदी की गुडबुक वाले नेता हैं। प्रधानमंत्री की इस गुडबुक को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह अपने हिसाब से पढ़ते हैं।
खरगे के राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष बने रहने की संभावना
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों चाहते हैं कि पार्टी के मौजूदा अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे राज्यसभा के नेता विपक्ष बनें रहें। हालांकि खरगे ने उदयपुर चिंतन शिविर में तय मानदंडों के आधार पर नैतिकता को शीर्ष पर रखते हुए नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है। लेकिन कांग्रेस के रणनीतिकार यह महसूस कर रहे हैं कि खरगे नेता प्रतिपक्ष के पद पर बने रहें। नेता प्रतिपक्ष के पद पर बने रहने पर वह राज्यसभा में वजनदार तरीके से अपनी बात रख पाएंगे। सरकार से जवाब मांग सकेंगे। समझा जा रहा है कि हिमाचल और गुजरात विधानसभा चुनाव का नतीजा आते-आते खरगे को नेता प्रतिपक्ष बनाए रखने की कसरत भी शुरू हो जाएगी।
क्या बसपा का दूसरे राज्यों का मिशन रुक गया?
बसपा के गिने-चुने पुराने नेता बचे हैं। उनमें पार्टी की मौजूदा नीतियों को लेकर काफी खलबली है। उत्तर प्रदेश चुनाव में बसपा के रुख ने कई नेताओं को चौंकाया। हिमाचल और गुजरात विधानसभा के भी चुनाव हुए, लेकिन बसपा ने एक अजीब सी खामोशी ओढ़ रखी है। 2007 के विधानसभा चुनाव में गुजरात में जी जान लगा देने वाले एक नेता काफी परेशान हैं। अब वह अपनी ही नेता को ऑफ द रिकार्ड भाजपा का एजेंट बताने लगे हैं। हालांकि उन नेता के बारे में कहा जा रहा है कि वह कांग्रेस के संपर्क में हैं। इसके बाद कई राज्यों के चुनाव में बसपा ने अपने तेवर दिखाए थे। अब तो जैसे पूरी पार्टी ही खामोश हुई जा रही है।
ज्ञानी कहते हैं कि जब पूरा जा रहा हो तो आधा ही बचा लो
आम आदमी पार्टी इस समय इसी फॉर्मूले पर लौट आयी है। अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया दोनों प्रमुख नेता गुजरात का रास्ता भूलकर दिल्ली में डट गए हैं। देर रात तक मीटिंग, मुलाकात, जनता के बीच में संपर्क का दौर चल रहा है। बताते हैं पूरा जाने (दिल्ली एमसीडी, गुजरात विधानसभा) के डर से आधा बचाने की मुहिम में हैं। जबकि राजनीति के जानकार चुनाव की इस टाइमिंग को एक पार्टी के लिए वरदान बता रहे हैं। वहीं भाजपा ने भी दिल्ली में केंद्रीय नेताओं से लेकर राज्य के मुख्यमंत्रियों की पूरी फौज उतार दी है।
गुजरात के गांव बढ़ा रहे हैं भाजपा के रणनीतिकारों की परेशानी
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दावा किया है कि गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा जीत के सारे रिकार्ड तोड़ेगी। शाह हिमाचल भी जीतने का दावा कर रहे हैं। हालांकि कांग्रेस की हिमाचल में उम्मीदें सातवें आसमान पर हैं। राजनीति में अमित शाह के दावे को थोड़ी अहमियत दे दी जाती है। हालांकि प्रधानमंत्री ने एतिहासिक और लंबा रोड शो किया है और हिमाचल को लेकर भाजपा ज्यादा नहीं बोल रही है। प्रधानमंत्री के रोड शो ने रायसीना हिल में कई राजनीतिक हवाओं को जन्म दे दिया है। एक हवा यह भी जोरदार बह रही है कि शहरों में लड़ रही भाजपा की गांवों में हालत जरा पतली चल रही है। वहीं मंहगाई और बेरोजगारी ने भी थोड़ा जायका बिगाड़ रखा है। कांग्रेस के नेता अहमद पटेल के निधन के बाद उनकी पुत्री राजनीति में काफी सक्रिय हैं। वह खुलकर कहती हैं कि जो दिखाया जा रहा है केवल वही हकीकत नहीं है। इन हवाओं पर भाजपा के नेता अरुण शुक्ला कहते हैं कि नाऊ ठाकुर कितने बाल, बस थोड़े ही दिनों की बात है।
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