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Kaali Poster Row: काली फिल्म पर बंगाल में उबाल, इन 60 लाख वोटों में छिपा है भाजपा के विरोध का राज

Amit Sharma Digital अमित शर्मा
Updated Fri, 08 Jul 2022 12:48 PM IST
सार

भाजपा के इस तेवर को चुनावी फायदे के लिए एक बेहतर मौके के तौर पर देखा जा रहा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को पश्चिम बंगाल में 17.02 फीसदी वोट मिले। उसे कुल 42 सीटों में केवल दो सीटों पर सफलता मिली थी। जबकि ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी को 39.05 फीसदी वोटों के साथ 34 सीटों पर सफलता मिली थी...

Kaali Poster Row: BJP aggressive on poster controversy, party leader Subhendu Adhikari, organized protests at various places in the state
काली पोस्टर पर विवाद - फोटो : Amar Ujala

विस्तार

काली फिल्म के पोस्टर पर बढ़ते विवाद के बीच भाजपा ने पश्चिम बंगाल में बेहद आक्रामक तेवर अपना रखा है। पार्टी नेता शुभेंदु अधिकारी के नेतृत्व में पार्टी ने प्रदेश में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया है तो गुरुवार को कोलकाता में एक बैठक कर इस प्रदर्शन को और तेज करने की रणनीति बनाई गई है। काली पोस्टर विवाद में जल्द ही राज्य में और बड़े प्रदर्शन हो सकते हैं। विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी के सामने चारों खाने चित्त हुई भाजपा को लग रहा है कि इस विवाद पर उसे जनता का साथ मिल सकता है। पश्चिम बंगाल की सांस्कृतिक पहचान रहीं काली के नाम पर वह हिंदू मतदाताओं को और ज्यादा एकजुट कर सकती है।

हिंदू हितों पर शांत नहीं बैठ सकते- भाजपा

पश्चिम बंगाल भाजपा नेता भास्कर घोष ने अमर उजाला को बताया कि मां काली उनके प्रदेश की आत्मा हैं। वे यहां के कला, साहित्य, समाज और संस्कृति के हर स्वरूप में दिखाई पड़ती हैं। पश्चिम बंगाल से लेकर असम तक की जनता उनके 108 रूपों को किसी न किसी रूप में पूजा करती है और स्वयं को उनकी छाया में प्राणवान महसूस करती है। इसलिए भाजपा हिंदुओं के इस मुद्दे पर शांत नहीं रह सकती, जो यहां के जन-जन की आत्मा में बसा हुआ है। उन्होंने कहा कि मां काली का अपमान कर महुआ मोइत्रा ने पश्चिम बंगाल की संस्कृति पर हमला किया है। इसे कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता।



भाजपा नेता ने बताया कि पार्टी के शीर्ष नेता इस पर मंथन कर रहे हैं। यदि महुआ मोइत्रा और तृणमूल कांग्रेस सामने आकर इस प्रकरण पर पूरे राज्य की जनता से माफी नहीं मांगती, और महुआ पर उपयुक्त धाराओं में केस दर्ज नहीं किया जाता, तो यह विरोध तेज होगा जिसे संभालना ममता बनर्जी के लिए मुश्किल होगा।

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