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J&K: पत्थर फेंकना छोड़ चुके युवाओं के हाथों में कौन थमा रहा बम, घाटी में पाक आतंकियों के गुर्गों की साजिश

जितेंद्र भारद्वाज, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: जितेंद्र भारद्वाज Updated Thu, 01 Jun 2023 05:38 PM IST
सार

पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन 'जैश-ए-मोहम्मद', 'लश्कर-ए-तैयबा', हिज्ब-उल-मुजाहिदीन, अल-बद्र और अल-कायदा जैसे संगठन, जम्मू-कश्मीर में अपने मुखौटे समूह तैयार कर रहे हैं। 

JK Who is handing over bomb to youths who have stopped throwing stones conspiracy of Pak operatives terrorists
आतंकवादी (सांकेतिक) - फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार
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जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों की नई साजिश सामने आई है। 'जैश-ए-मोहम्मद', 'लश्कर-ए-तैयबा', हिज्ब-उल-मुजाहिदीन, अल-बद्र और अल-कायदा जैसे संगठन, जम्मू-कश्मीर में अपने मुखौटे समूह तैयार कर रहे हैं। इतना ही नहीं, इन मुखौटे समूहों को भी 'अंडर ग्राउंड वर्कर' (यूजीडब्लू) व 'ओवर ग्राउंड वर्कर' (ओजीडब्लू) तैयार करने का टॉस्क दे दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक, यूजीडब्लू और ओजीडब्लू, खासकर घाटी में सोशल मीडिया नेटवर्क पर ऐसे युवाओं को तलाश रहे हैं, जो पूर्व में पत्थरबाज रह चुके हैं। यानी ऐसे युवा, जिन्होंने कई वर्षों तक सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंके हैं। इन युवाओं को विस्फोट तैयार करने, स्टिकी बम का इस्तेमाल और आईईडी लगाना सिखाया जाएगा।


 

घाटी में सक्रिय हैं इन आतंकी संगठनों की प्रॉक्सी विंग
बता दें कि पाकिस्तान के आतंकी संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ वर्षों के दौरान अपने कई मुखौटे समूह खड़े कर दिए हैं। जैसे 'लश्कर-ए-तैयबा' ने 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (टीआरएफ) को तैयार किया है तो वहीं 'जैश-ए-मोहम्मद' की सक्रिय प्रॉक्सी विंग को 'पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट' (पीएएफएफ) का नाम दिया गया है। इन दोनों समूहों ने कश्मीर में कई आतंकी वारदातों को अंजाम दिया है। उक्त संगठनों के अलावा यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट जम्मू कश्मीर (यूएलएफजेएंडके), मुजाहिद्दीन गजवत-उल-हिंद (एमजीएच), जम्मू-कश्मीर फ्रीडम फाइटर्स (जेकेएफएफ) और कश्मीर टाइगर्स भी सक्रिय हैं। इन सभी आतंकी समूहों का प्रयास है कि युवाओं का ब्रेनवॉश कर उन्हें अपने साथ लाया जाए। युवाओं को 'ए' या 'बी' श्रेणी के आतंकी बनाने की बजाए इन्हें यूजीडब्लू और ओजीडब्लू विंग में शामिल किया जाएगा। ओजीडब्लू, जो पब्लिक के बीच रहते हैं, ऐसे में पुलिस को उन पर शक नहीं होता है। ये लोग आतंकियों तक सामान पहुंचाने, उसे छिपाकर रखने और नए युवाओं को समूह में शामिल करने का काम करेंगे। 
 
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