जम्मू कश्मीर में जैसे-जैसे चुनावों की आहट सुनाई पड़ती जा रही है, उसी के साथ साथ घाटी में सियासत भी करवट बदलती जा रही है। अब घाटी के नेताओं ने आतंकी यासीन मलिक को सियासी तौर पर कैश कराने के लिए माहौल बनाना शुरू कर दिया है। कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती समेत कई नेताओं ने उम्र कैद की सजा काट रहे यासीन मलिक को एनआईए की ओर से फांसी दिए जाने की अपील पर एतराज जताते हुए घाटी में सियासत को एक नया रंग दे दिया है। जानकारी के मुताबिक पीडीपी और जम्मू कश्मीर पीपुल्स कांफ्रेंस समेत हुर्रियत कॉन्फ्रेंस जैसी कई पार्टियों ने अगले कुछ दिनों में इसी मामले में लोगों के बीच जाकर आतंकी यासीन मलिक के लिए रहम की मांग करने की योजना बनाई है। जम्मू कश्मीर मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि चुनावी आहट पर स्थानीय राजनीतिक दल यासीन मलिक को मुद्दा बनाकर सियासी मैदान में कूदने की योजना बना रहे हैं। वहीं कश्मीर में हुर्रियत कांफ्रेंस ने भी इस मामले में विरोध दर्ज किया है और आतंकियों के स्लीपर सेल भी सक्रिय हो गए हैं।
यह भी पढ़ें: Delhi: एसजी ने हाईकोर्ट में यासीन के लिए फांसी की सजा की मांग की, तिहाड़ जेल में बंद है मलिक
जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है बदलता जा रहा सियासी रंग
सियासी गलियारों में चर्चा इसी बात की हो रही है कि इस साल के अंत में जम्मू कश्मीर के भीतर विधानसभा के चुनाव कराए जा सकते हैं। घाटी में सक्रिय स्थानीय राजनीतिक दलों ने चुनावी माहौल को भांपते हुए राजनैतिक चौसर पर बिसात बिछानी शुरू कर दी है। इस बिसात में एक बड़े मोहरे के तौर पर घाटी के कुछ राजनीतिक दलों ने आतंकी यासीन मलिक को मोहरा बनाकर नई चाल चलनी शुरू कर दी है। यासीन मलिक इस वक्त दिल्ली की तिहाड़ जेल में टेरर फंडिंग के मामले में उम्र कैद की सजा भुगत रहा है। इसी दौरान एनआईए ने कोर्ट में एयरफोर्स के चार अधिकारियों को मौत के घाट उतारने और पूर्व गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण के आरोपी यासीन मलिक के मामले में मौत की सजा की अपील की। यासीन मलिक को लेकर घाटी में शुरुआती दौर से ही स्थानीय राजनीतिक दल और हुरिर्यत कॉन्फ्रेंस से जुड़े हुए नेता सॉफ्ट कॉर्नर रखते रहे हैं। एनआईए की इस अपील के बाद घाटी में ऐसे राजनीतिक दलों ने यासीन मलिक के नाम पर सियासी माहौल बनाना भी शुरू कर दिया है।
सेंकनी शुरू हो गईं राजनैतिक रोटियां
हालांकि राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यासीन मलिक के नाम पर बनाए जा रहे सियासी माहौल से स्थानीय पार्टी को न कोई फायदा होने वाला है और न ही कोई दया के तौर पर घाटी में चलाए जाने वाले अभियान का असर पड़ने वाला है। सूत्रों के मुताबिक पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती और जम्मू कश्मीर पीपुल्स कांफ्रेंस के सज्जाद लोन समेत हुरिर्यत कॉन्फ्रेंस से जुड़े अलगाववादी नेताओं ने इस मामले में घाटी में अलग राग अलापना शुरू कर दिया है। महबूबा मुफ्ती ने तो यह तक कह दिया कि जब देश के प्रधानमंत्री की हत्या में शामिल हत्यारों को माफ किया जा सकता है, तो यासीन मलिक के मामले में भी ऐसा रवैया अपनाया जाना चाहिए। उन्होंने तो इस पूरे मामले की दोबारा समीक्षा और पुनर्विचार तक की मांग कर डाली। राजनीतिक जानकार हितेंद्र रैना कहते हैं कि यह वही महबूबा मुफ्ती हैं, जिनकी बहन रुबैया सईद को यासीन मलिक ने अगवा किया था। लेकिन सियासत के लिए महबूबा मुफ्ती ने अपनी बहन को अगवा करने वालों के सामने सरेंडर करते हुए राजनीति करनी शुरू कर दी।
महबूबा मुफ्ती ने चला सियासी दांव
घाटी में यासीन मलिक के नाम पर राजनीति महबूबा मुफ्ती ने ही नहीं बल्कि कश्मीर पीपुल्स कांफ्रेंस के नेता सज्जाद लोन ने भी सियासी माहौल बनाना शुरू कर दिया। सज्जाद लोन ने सोशल मीडिया पर माहौल बनाते हुए कहा कि यासीन मलिक को उसके हालातों में पहुंचाने वालों के बारे में भी सोचना चाहिए। सज्जाद लोन ने कहा कि यासीन मलिक को फांसी दिए जाने की एनआईए की याचिका बेहद खतरनाक है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि स्थानीय राजनीतिक दलों को अभी भी यही लगता है कि कभी घाटी में आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले आतंकी यासीन मलिक के नाम पर स्थानीय लोगों का समर्थन उनको मिलेगा। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक जानकार सरताज सिंह भाटी कहते हैं कि घाटी में इस तरीके की सोच रखने वाले राजनैतिक दल सिस्टम से पहले ही बाहर हो चुके हैं। उनका मानना है जो भी दल अभी भी यासीन मलिक के नाम पर घाटी में वोट लेने की मंशा से काम करने की तैयारी कर रहा है उसकी सोच भी आतंकी सोच के साथ ही जुड़ी हुई है।
हुर्रियत हमेशा रहती है माहौल बिगाड़ने की तलाश
यासीन मलिक के मामले पर हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नेताओं ने सियासी रोटियां सेंकनी शुरू कर दी हैं। हालांकि यह बात अलग है और यह कॉन्फ्रेंस में जम्मू कश्मीर के विधानसभा चुनावों में शिरकत करने से इंकार जरूर कर दिया है, लेकिन माहौल बिगाड़ने के लिए हुर्रियत कांफ्रेंस के प्यादे अलग-अलग स्थानीय राजनीतिक संगठनों और पाक समर्थित आतंकी संगठनों को समर्थन देते ही रहते हैं। सूत्रों के मुताबिक यासीन मलिक के नाम पर घाटी में एक बार फिर से माहौल बिगाड़ने और सियासी दांव पेंच के माध्यम से घाटी के युवाओं को भड़काने के लिए जमीन तलाशनी शुरू कर दी है। कश्मीर में सुरक्षा मामलों के जानकारों का मानना है कि घाटी में हुरिर्यत कॉन्फ्रेंस किसी ऐसे मुद्दे की तलाश में जरूर रहती है, जिससे माहौल बिगड़ सके। लेकिन यासीन मलिक के मामले में वह खुलकर कोई बड़ा अभियान चलाने से हमेशा बचेगी। लेकिन चुपके से वह स्थानीय राजनीतिक दलों को समर्थन देकर इस मामले में तूल देने की पूरी कोशिश करेगी।
यासीन मलिक की फांसी की मांग को सही ठहराया बुखारी ने
यासीन मलिक को लेकर कश्मीर में सियासत सिर्फ यही नहीं रुक रही है। घाटी में यासीन मलिक की फांसी वाली याचिका का समर्थन करने वाले भी कई राजनैतिक दल अब खुलकर सामने आ गए हैं। कश्मीर के पूर्व मंत्री और जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के मुखिया अल्ताफ बुखारी कहते हैं कि देश की सुरक्षा को खतरे में डालने वाले और जघन्य अपराध करने वालों के लिए कानून के तहत सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। बुखारी कहते हैं कि एनआईए ने जो मांग यासीन मलिक के लिए की है उसे पता चलता है कि कितना जघन्य अपराध हुआ। हालांकि बुखारी पर उनकी ही पार्टी की कभी नेता रही महबूबा मुफ्ती ने हमला भी बोला।
यह भी पढ़ें: जम्मू कश्मीर: महबूबा मुफ्ती ने कहा- यासीन मलिक मामले में होना चाहिए पुनर्विचार, जानें क्या बोले बुखाीर और लोन
सक्रिय हो गए घाटी में आतंकी स्लीपर सेल
एनआईए की याचिका के बाद घाटी में खुफिया तंत्र भी सक्रिय हो गया है। क्योंकि फांसी की याचिका की मांग करने वाली अपील के बाद जिस तरीके से राजनीतिक माहौल बनना शुरू हुआ, उससे सुरक्षा एजेंसियों और खुफिया एजेंसियों ने चौकसी बढ़ा दी है। घाटी में खुफिया एजेंसी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि वह चुनाव के मद्देनजर नहीं, लेकिन जो सियासी बयानबाजी हुई और उसके बाद जिस तरीके से अलग-अलग राजनीतिक दलों ने यासीन मलिक को लेकर बयान दिए वह माहौल को तनावपूर्ण बना सकता है। सूत्रों के मुताबिक इस पूरे मामले में हुर्रियत कांफ्रेंस से जुड़े हुए अलगाववादी नेता अंदर-अंदर ही मामले को तूल देने की कोशिश कर रहे हैं। इनमें से कई लोग तो घाटी में पीओके के अलग-अलग आतंकी संगठनों के स्लीपर सेल से जुड़े हुए लोग भी शामिल हैं। यही वजह है कि जब दिल्ली में एनआईए की ओर से यासीन मलिक पर मौत की याचिका दाखिल हुई, तो घाटी में स्लीपर सेल के लोग भी सक्रिय होने शुरू हो गए। फिलहाल इस पूरे मामले पर केंद्र सरकार की भी करीब से नजर बनी हुई है।