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Jaishankar said No other PM would have made me minister Lord Krishna Hanuman were the best diplomats Updates
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'कोई और PM मुझे मंत्री न बनाता': जयशंकर बोले- भगवान कृष्ण, हनुमान दुनिया के सबसे बेहतर राजनयिक थे
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अभिषेक दीक्षित
Updated Sun, 29 Jan 2023 03:50 PM IST
सार
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पुणे में अपनी किताब 'द इंडिया वे: स्ट्रैटजीज फॉर एन अनसर्टेन वर्ल्ड' के मराठी वर्जन 'भारत मार्ग' की लॉन्चिंग के एक कार्यक्रम के दौरान जयशंकर ने कहा कि मंत्री बनने से पहले तक विदेश सचिव बनना उनकी महत्वाकांक्षा की सीमा थी। उन्होंने कहा, "मेरे लिए विदेश सचिव बनना मेरी महत्वाकांक्षा की सीमा थी। मैंने कभी मंत्री बनने के बारे में सोचा तक नहीं।"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कैबिनेट में विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी मिलने को लेकर एस जयशंकर ने पहली बार खुलकर अपनी बात रखी है। उन्होंने कहा है कि वे इस बात को लेकर निश्चित नहीं हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा किसी और पीएम ने उन्हें मंत्री भी बनाया होता।
पुणे में अपनी किताब 'द इंडिया वे: स्ट्रैटजीज फॉर एन अनसर्टेन वर्ल्ड' के मराठी वर्जन 'भारत मार्ग' की लॉन्चिंग के एक कार्यक्रम के दौरान जयशंकर ने कहा कि मंत्री बनने से पहले तक विदेश सचिव बनना उनकी महत्वाकांक्षा की सीमा थी। उन्होंने कहा, "मेरे लिए विदेश सचिव बनना मेरी महत्वाकांक्षा की सीमा थी। मैंने कभी मंत्री बनने के बारे में सोचा तक नहीं।"
जयशंकर ने आगे विदेशी संबंधों पर बात करते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण और भगवान हनुमान दुनिया के सबसे बेहतरीन राजनयिक थे। उन्होंने कहा, "मैं यह बात गंभीरता से कह रहा हूं। अगर कोई उनके राजनयिकता के परिप्रेक्ष्य को देखेगा कि जिस स्थिति में वे थे, किस तरह के मिशन उन्हें सौंपे गए। कैसे उन्होंने स्थिति को संभाला। तो यह समझ में आएगा कि हनुमानजी अपने मिशन से भी आगे गए थे। उन्होंने माता सीता से संपर्क किया। लंका दहन किया। वे एक बहु-उद्देशीय राजनयिक थे।"
जयशंकर ने कहा कि आज अंतरराष्ट्रीय संबंधों में जो कुछ चल रहा है, उसके जैसी ही 10 अवधारणाएं वे महाभारत के जरिए दे सकते हैं। उन्होंने कहा, "अगर आज आप कहते हैं कि यह बहु-ध्रुवीय दुनिया है, तो महाभारत के वक्त भी ऐसा ही कुछ था। तब जो कुछ भी कुरुक्षेत्र में चल रहा था, वह बहुध्रुवीय भारत का उदाहरण है। जहां अलग-अलग राजशासन थे। उनकी तरफ से कहा जाता था कि आप हमारे साथ हैं, आप उनके साथ हैं। वहीं, बलराम और रुक्मा जैसे कुछ निष्पक्ष भी थे।"
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