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Hindi News ›   India News ›   ISRO's first launch mission of 2022: Countdown start for orbit earth observation satellite EOS-04 onboard PSLV-C52

इसरो का मिशन 2022: उल्टी गिनती शुरू, कल सुबह ठीक 5 बजकर 59 मिनट पर इओएस-04 के साथ उड़ान भरेगा PSLV-C52

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: प्रांजुल श्रीवास्तव Updated Sun, 13 Feb 2022 10:21 AM IST
सार

इसरो का यह साल 2022 का पहला मिशन है। वहीं PSLV की यह 54वीं उड़ान होगी।  इसके अलावा 6 पीएसओएम-एक्सएल (स्ट्रैप-ऑन मोटर्स) के साथ पीएसएलवी-एक्सएल कॉन्फ़िगरेशन का उपयोग करते हुए यह 23वां मिशन होगा।

इसरो के 2022 के पहले मिशन की उल्टी गिनती शुरू
इसरो के 2022 के पहले मिशन की उल्टी गिनती शुरू - फोटो : PTI

विस्तार

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(ISRO) के 2022 के पहले मिशन की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। 14 फरवरी को सुबह 5:59 बजे मिशन पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV-C52) का सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपण होगा। इसके जरिए धरती का पर्यवेक्षण उपग्रह (ईओएस)- 04 अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इसरो ने एक ट्वीट में बताया कि पीएसएलवी-सी52, ईओएस-04 मिशन के प्रक्षेपण के लिए 25 घंटे 30 मिनट की उलटी गिनती आज सुबह 04:29 बजे से शुरू हो गई है। पीएसएलवी-सी52 के जरिए 1,710 वजनी ईओएस-04 को 529 किमी ऊंचे परिक्रमा पथ में स्थापित किया जाएगा। 



क्या है इओएस-04
इसरो ने बताया कि ईओएस-04 रडार इमेजिंग उपग्रह है। इसका उपयोग पृथ्वी की उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें लेने में होगा। इनसे कृषि, वन, पौधरोपण, मिट्टी में नमी, पानी उपलब्धता और बाढ़ ग्रस्त इलाकों के नक्शे को तैयार करने में मदद मिलेगी।


यह दो उपग्रह भी साथ जाएंगे

  • इंस्पायर सेट-1: यह उपग्रह भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान तकनीक संस्थान ने कोलोराडो विश्विद्यालय के अंतरिक्ष भौतिक शास्त्र व वायुमंडलीय प्रयोगशाला के साथ तैयार किया है।


इनसेट-4बी बना देश का 21वां डी-कमीशन होने वाला उपग्रह
इस बीच इसरो ने बताया कि इनसेट-4बी को 24 जनवरी को डी-कमीशन कर पोस्ट मिशन डिस्पोजल (पीएमडी) पर भेजा गया है। पीएमडी भेजने मतलब है कि उपग्रह ने अपना समय पूरा कर लिया है और अब इसे डिस्पोज किया जा रहा है। यह 21वां उपग्रह जिसे इसरो पीएमडी कर रहा है। 11 मार्च 2007 को यह 1,335 किलो वजनी इनसेट-4बी अंतरिक्ष में 12 साल काम करने के लिए भेजा गया था। संयुक्त राष्ट्र की अंतरिक्ष मलबा नियंत्रण गाइडलाइन के तहत इसे डिस्पोज करने के लिए 340 किमी ऊंचाई के परिक्रमा पथ 'ग्रेवयार्ड-आर्बिट' में भेजा गया है। 

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