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Internet Ban: Internet ban continues in Punjab, what is shutdown and how it is imposed, know rules
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Internet Ban: पंजाब में इंटरनेट बैन जारी; क्या होता है शटडाउन और कैसे लगाया जाता है? जानें नियम
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शिवेंद्र तिवारी
Updated Wed, 22 Mar 2023 08:50 AM IST
सार
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पहले क्षेत्र के डीएम इंटरनेट बंद करने के आदेश देते थे। लेकिन, केंद्र सरकार ने इंडियन टेलीग्राफ एक्ट 1885 के तहत टेम्प्ररी सस्पेंशन ऑफ टेलीकॉम सर्विसेज नियम में बदलाव किया था, जिसके बाद अब केंद्र या राज्य के गृह सचिव इंटरनेट बैन का आदेश दे सकते हैं।
खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह की तलाश चौथे दिन भी जारी रही। इसी बीच पंजाब सरकार ने कुछ संवेदनशील क्षेत्रों को छोड़कर ज्यादातर इलाकों से इंटरनेट प्रतिबंध हटा दिया है। हालांकि, अमृतसर में तरनतारन, फिरोजपुर, मोगा, संगरूर, सब-डिवीजन आइनाला में ये सेवाएं 23 मार्च तक निलंबित रहेंगी। अमृतपाल की गिरफ्तारी अभियान चलाने के लिए पंजाब में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं शनिवार को निलंबित कर दी गई थीं। पहले इसे रविवार फिर इसे सोमवार और मंगलवार को अगले 24 घंटों के लिए लिए बढ़ा दिया गया।
सरकारें इंटरनेट पर बैन करने के लिए किस प्रक्रिया को अपनाती हैं? देश के किस राज्य में कितनी बार इंटरनेट पर बैन लगा है? भारत में इंटरनेट कैसे बंद किया जाता है? आइये जानते हैं...
Mobile user
- फोटो : SOCIAL MEDIA
सरकारें इंटरनेट पर बैन करने के लिए किस प्रक्रिया को अपनाती हैं?
वर्तमान में इंटरनेट शटडाउन के आदेश दूरसंचार सेवाओं के अस्थायी निलंबन (सार्वजनिक आपातकाल या सार्वजनिक सुरक्षा) नियम, 2017 के तहत दिए जाते हैं। DoT द्वारा बनाए गए नियम कहते हैं कि अस्थायी निलंबन 'सार्वजनिक आपातकाल या सार्वजनिक सुरक्षा के कारण' हो सकता है। इंटरनेट शटडाउन का अधिकार केंद्रीय और राज्य स्तर पर राज्य गृह मंत्रालय के पास है।
इस प्रकिया से होता है बैन
- केंद्र या राज्य के गृह सचिव इंटरनेट बैन करने का ऑर्डर देते हैं।
- इंटरनेट बैन के ऑर्डर को एसपी या उससे ऊपर के रैंक वाले अधिकारी के जरिए भेजा जाता है। इसके बाद अधिकारी टेलीकॉम कंपनी को उस राज्य में इंटरनेट बैन करने के लिए कहता है।
- ऑर्डर को सरकार के रिव्यू पैनल के पास भेजा जाता है। यहां पैनल ऑर्डर का रिव्यू करता है। इस रिव्यू पैनल में कैबिनेट सेक्रेटरी, लॉ सेक्रेटरी और टेलीकम्युनिकेशन्स सेक्रेटरी शामिल होते हैं। दूसरी तरफ राज्य सरकार की तरफ से दिए गए ऑर्डर के रिव्यू में चीफ सेक्रेटरी और लॉ सेक्रेटरी शामिल होते हैं। मंजूरी मिलने के बाद इंटरनेट पर बैन लगा दिया जाता है।
मुक्तसर में धारा 144 लागू होने उपरांत शहर में तैनात पुलिस दल।
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
जॉइंट सेक्रेटरी धारा 144 के दौरान इंटरनेट पर लगा सकते हैं बैन
केंद्र और राज्य के गृह सचिव की तरफ से चुने गए जॉइंट सेक्रेटरी धारा 144 के दौरान इंटरनेट पर बैन लगाने का आदेश दे सकते हैं। लेकिन इस फैसले के लिए जॉइंट सेक्रेटरी को 24 घंटे के अंदर गृह सचिव से मंजूरी लेनी होती है।
इंटरनेट बैन के नियमों में हुआ बदलाव
वर्ष 2017 से पहले क्षेत्र के डीएम इंटरनेट बंद करने के आदेश देते थे। लेकिन, केंद्र सरकार ने इंडियन टेलीग्राफ एक्ट 1885 के तहत टेम्प्ररी सस्पेंशन ऑफ टेलीकॉम सर्विसेज (पब्लिक इमरजेंसी या पब्लिक सेफ्टी) नियम में बदलाव किया था, जिसके बाद अब केंद्र या राज्य के गृह सचिव इंटरनेट बैन का आदेश दे सकते हैं।
China internet Ban
- फोटो : iStock
भरत में इंटरनेट बैन की स्थिति
दुनियाभर में इंटरनेट बंद करने के मामले में भारत पहले पायदान पर है। इसकी जानकारी Access Now और KeepItOn coalition ने अपनी रिपोर्ट में दी है। भारत में इंटरनेट शटडाउन का सिलसिला 2016 से ही चल रहा है। प्रशासन की ओर से देश में 2022 में 84 बार इंटरनेट बंद किया गया है। इंटरनेट बंद के प्रमुख कारण प्रदर्शन, हिंसा, परीक्षा और चुनाव हैं। साल 2022 में केवल जम्मू-कश्मीर में 49 बार इंटरनेट बंद किया गया है जिसमें 16 बार लगातार इंटरनेट बंद किया गया है जो जनवरी से लेकर फरवरी 2022 के बीच हुआ है। जम्मू-कश्मीर के बाद राजस्थान दूसरे नंबर पर है जहां एक साल में 12 बार इंटरनेट बंद किया गया। तीसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल है जहां सात बार इंटरनेट शटडाउन हुआ है। साल 2016 के बाद से भारत में लगातार इंटरनेट शटडाउन किया जा रहा है। 2016 के बाद से ही ग्लोबली इंटरनेट शटडाउन में भारत की हिस्सेदारी 58 फीसदी है।
2021 में भारत में 1,157 घंटे बंद रहा इंटरनेट
साल 2021 में पूरी दुनिया में कुल 30,000 घंटे इंटरनेट बंद हुआ था जिससे 5.45 बिलियन डॉलर यानी करीब 40,300 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। जिन देशों को इस शटडाउन से सबसे अधिक नुकसान हुआ, उस लिस्ट में भारत तीसरे नंबर पर था। भारत में साल 2021 में 1,157 घंटे इंटरनेट बंद रहा, जिससे 582.8 मिलियन डॉलर यानी करीब 4,300 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। इंटरनेट बंद होने से 5.9 करोड़ लोग भी प्रभावित हुए थे। देश की राजधानी नई दिल्ली में भी किसान आंदोलन के दौरान लंबा इंटरनेट शटडाउन हुआ था।
केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन
- फोटो : अमर उजाला
केरल ने सबसे पहले घोषित किया था इंटरनेट को मूलभूत अधिकार
भारत का एक राज्य ऐसा है जिसने अब से करीब छह साल पहले ही इसे लोगों का मूलभूत अधिकार घोषित कर दिया था। वो है देश का सबसे शिक्षित राज्य केरल। मार्च 2017 में ही केरल ने हर नागरिक के लिए भोजन, पानी और शिक्षा की तरह इंटरनेट को भी मूलभूत अधिकार की श्रेणी में रख दिया था। अपने बजट में इस राज्य ने अपने 20 लाख गरीब परिवारों तक इंटरनेट की पहुंच देने के लिए योजना बनाई थी और फंड आवंटित किया था।
सुप्रीम कोर्ट
- फोटो : Social Media
सुप्रीम कोर्ट ने इंटरनेट पर सुनाया ऐतहासिक फैसला
जनवरी 2020 में अनुराधा भसीन बनाम भारत सरकार वाद में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इंटरनेट का उपयोग करने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत एक मौलिक अधिकार है। कोर्ट के मुताबिक, संपूर्ण शटडाउन कठोर कदम हैं, जिन पर केवल 'अति आवश्यक' होने पर विचार किया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि टेलीकॉम सर्विसेज (पब्लिक इमरजेंसी या पब्लिक सर्विस) नियम, 2017 के अस्थायी निलंबन के तहत इंटरनेट सेवाओं को अनिश्चित समय के लिए निलंबित नहीं किया जा सकता है। इसमें कहा गया था कि इंटरनेट को निलंबित करने का कोई भी आदेश न्यायिक समीक्षा के अधीन है।
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