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महाराष्ट्र के इतिहास में 23 नवंबर 2019 को एक नई राजनीतिक कहानी गढ़ी गई थी जिसके प्रमुख पात्र थे पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और एनसीपी प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजित पवार। पटकथा लिखने से पहले रिहर्सल भी हुई थी। उसके बाद तड़के राजभवन में फडणवीस और पवार ने बतौर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की थी। अब एक साल के बाद उसकी इनसाइड स्टोरी सामने आई है। जिसमें फडणवीस कहते हैं कि दादा (अजित पवार) बड़ा जोखिम ले रहे हैं। दादा जवाब देते हें, मेरे साथ 28 विधायक हैं।
एक साल पहले राजभवन में तड़के देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के शपथ समारोह के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मच गई थी। इसको लेकर प्रियम गांधी वर्मा ने ट्रेडिंग पॉवर नामक पुस्तक लिखी है जिसमें इस घटनाक्रम की इनसाइड स्टोरी का विस्तृत ब्योरा दिया गया है। पुस्तक के हवाले से प्रियम ने मीडिया से बात की जिसमें उन्होंने कई दावे किये हैं।
पुस्तक में सत्ता समीकरण साधने के लिए देवेंद्र फडणवीस के सवाल और अजित पवार के जवाब को जस का तस छापा गया है। दरअसल, उस समय भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा पर काफी दबाव बनया था। लेकिन भाजपा इस मुद्दे पर झुकने को तैयार नहीं थी। लिहाजा, सूबे में नई सरकार के गठन को लेकर असमंजस की स्थिति बन गई थी। वहीं, शरद पवार किंगमेकर की भूमिका में थे।
पुस्तक में दावा किया गया है कि बीते साल नवंबर के पहले सप्ताह में शरद पवार का संदेश लेकर दो बड़े नेता तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सरकारी आवास वर्षा बंगले पर गए थे। एनसीपी के नेताओं ने फडणवीस को बताया कि भाजपा को समर्थन देने से पवार को परहेज नहीं हैं। इसके बाद फडणवीस ने गृह मंत्री अमित शाह से बात की और दूसरे दिन महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए दिल्ली में शाह के घर पर बैठक हुई। इस बैठक में शरद पवार, देवेंद्र फडणवीस, प्रफुल्ल पटेल और अजित पवार शामिल थे। बातचीत में सरकार बनाने की पूरी चर्चा हुई। यहां तक कि किसके कितने मंत्री बनेंगे यह भी तय हो गया था।
राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की बनी थी रणनीति
अमित शाह के साथ शरद पवार की बैठक में महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने पर भी सहमति बनी थी। दरअसल, राष्ट्रपति शासन अहम रणनीति का हिस्सा था। यह तय हुआ था कि राष्ट्रपति शासन लगने के कुछ दिन बाद शरद पवार मीडिया के आकर कहेंगे कि राज्य की मौजूदा परिस्थिति को देखते हुए वह भाजपा को समर्थन देने के लिए तैयार हैं। इसके बाद फडणवीस का दूसरी बार मुख्यमंत्री बनना तय था।
लेकिन अचानक बदल गई पवार की भूमिका
अमित शाह के साथ बैठक में सारी चीजें तय हो गई। राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद एनसीपी का एक बड़ा नेता फडणवीस के कार्यालय पहुंचा और उनसे कहा कि पवार की भूमिका बदल गई है। उम्र के इस पड़ाव पर वह अपनी राजनीतिक प्रतिष्ठा कायम रखना चाहते हैं। उन्होंने चुनाव पूर्व साथी राजनीतिक दल से वादा किया था, उसके साथ ही सरकार बनाना चाहते हैं। अगर शिवसेना के नेतृत्व में सरकार बनती है तो कांग्रेस भी समर्थन देने के लिए तैयार है।
शरद पवार की भूमिका बदलने के बाद इस राजनीतिक खेल में उनके भतीजे और एनसीपी नेता अजित पवार की एंट्री होती है। दोपहर के वक्त फडणवीस ने अजित को फोन किया। दादा, भाजपा-एनसीपी गठबंधन की सरकार को पवार का समर्थन संभवतः नहीं मिल पाएगा। आखिरकार क्या चल रहा है। आपकी क्या भूमिका है। पवार ने जवाब दिया, अभी तक हम आपके साथ हैं। क्या संख्याबल जुटा सकेंगे, फडणवीस ने पूछा। अजित ने कहा, इस समय हमारे साथ 28 विधायक हैं। उन्हें मैं जो कहूंगा वही करेंगे। बाकी निर्दलीय विधायकों के समर्थन से बहुमत जुटाया जा सकता है। फडणवीस पूछते हैं कि कौन-कौन हैं विधायक। अजित पवार करीब एक दर्जन नाम गिना देते हैं जिसमें धनंजय मुंडे से लेकर कई विधायकों का नाम था।
पुस्तक के जरिए गढ़ी जा रही है फडणवीस की छवि: मलिक
एनसीपी प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि देवेंद्र फडणवीस की करतूत उजागर हो चुकी है कि वह सत्ता के लिए कुछ भी कर सकते हैं। उनकी प्रतिमा मलीन हो चुकी है। इसलिए पुस्तक के जरिए नई छवि गढ़ने का प्रयास किया जा रहा है।
पुस्तक नहीं पढ़ी क्या लिखा है: फडणवीस
विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने ट्रेडिंग पावर पुस्तक पर अपनी प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि मैने पुस्तक नहीं पढ़ी है। इसलिए इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे सकता।
महाराष्ट्र के इतिहास में 23 नवंबर 2019 को एक नई राजनीतिक कहानी गढ़ी गई थी जिसके प्रमुख पात्र थे पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और एनसीपी प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजित पवार। पटकथा लिखने से पहले रिहर्सल भी हुई थी। उसके बाद तड़के राजभवन में फडणवीस और पवार ने बतौर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की थी। अब एक साल के बाद उसकी इनसाइड स्टोरी सामने आई है। जिसमें फडणवीस कहते हैं कि दादा (अजित पवार) बड़ा जोखिम ले रहे हैं। दादा जवाब देते हें, मेरे साथ 28 विधायक हैं।
एक साल पहले राजभवन में तड़के देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के शपथ समारोह के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मच गई थी। इसको लेकर प्रियम गांधी वर्मा ने ट्रेडिंग पॉवर नामक पुस्तक लिखी है जिसमें इस घटनाक्रम की इनसाइड स्टोरी का विस्तृत ब्योरा दिया गया है। पुस्तक के हवाले से प्रियम ने मीडिया से बात की जिसमें उन्होंने कई दावे किये हैं।
पुस्तक में सत्ता समीकरण साधने के लिए देवेंद्र फडणवीस के सवाल और अजित पवार के जवाब को जस का तस छापा गया है। दरअसल, उस समय भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा पर काफी दबाव बनया था। लेकिन भाजपा इस मुद्दे पर झुकने को तैयार नहीं थी। लिहाजा, सूबे में नई सरकार के गठन को लेकर असमंजस की स्थिति बन गई थी। वहीं, शरद पवार किंगमेकर की भूमिका में थे।
शाह के साथ बैठक में शामिल थे शरद पवार
पुस्तक में दावा किया गया है कि बीते साल नवंबर के पहले सप्ताह में शरद पवार का संदेश लेकर दो बड़े नेता तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सरकारी आवास वर्षा बंगले पर गए थे। एनसीपी के नेताओं ने फडणवीस को बताया कि भाजपा को समर्थन देने से पवार को परहेज नहीं हैं। इसके बाद फडणवीस ने गृह मंत्री अमित शाह से बात की और दूसरे दिन महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए दिल्ली में शाह के घर पर बैठक हुई। इस बैठक में शरद पवार, देवेंद्र फडणवीस, प्रफुल्ल पटेल और अजित पवार शामिल थे। बातचीत में सरकार बनाने की पूरी चर्चा हुई। यहां तक कि किसके कितने मंत्री बनेंगे यह भी तय हो गया था।
राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की बनी थी रणनीति
अमित शाह के साथ शरद पवार की बैठक में महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने पर भी सहमति बनी थी। दरअसल, राष्ट्रपति शासन अहम रणनीति का हिस्सा था। यह तय हुआ था कि राष्ट्रपति शासन लगने के कुछ दिन बाद शरद पवार मीडिया के आकर कहेंगे कि राज्य की मौजूदा परिस्थिति को देखते हुए वह भाजपा को समर्थन देने के लिए तैयार हैं। इसके बाद फडणवीस का दूसरी बार मुख्यमंत्री बनना तय था।
लेकिन अचानक बदल गई पवार की भूमिका
अमित शाह के साथ बैठक में सारी चीजें तय हो गई। राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद एनसीपी का एक बड़ा नेता फडणवीस के कार्यालय पहुंचा और उनसे कहा कि पवार की भूमिका बदल गई है। उम्र के इस पड़ाव पर वह अपनी राजनीतिक प्रतिष्ठा कायम रखना चाहते हैं। उन्होंने चुनाव पूर्व साथी राजनीतिक दल से वादा किया था, उसके साथ ही सरकार बनाना चाहते हैं। अगर शिवसेना के नेतृत्व में सरकार बनती है तो कांग्रेस भी समर्थन देने के लिए तैयार है।
फिर इस राजनीतिक खेल में हुई अजित पवार की एंट्री
शरद पवार की भूमिका बदलने के बाद इस राजनीतिक खेल में उनके भतीजे और एनसीपी नेता अजित पवार की एंट्री होती है। दोपहर के वक्त फडणवीस ने अजित को फोन किया। दादा, भाजपा-एनसीपी गठबंधन की सरकार को पवार का समर्थन संभवतः नहीं मिल पाएगा। आखिरकार क्या चल रहा है। आपकी क्या भूमिका है। पवार ने जवाब दिया, अभी तक हम आपके साथ हैं। क्या संख्याबल जुटा सकेंगे, फडणवीस ने पूछा। अजित ने कहा, इस समय हमारे साथ 28 विधायक हैं। उन्हें मैं जो कहूंगा वही करेंगे। बाकी निर्दलीय विधायकों के समर्थन से बहुमत जुटाया जा सकता है। फडणवीस पूछते हैं कि कौन-कौन हैं विधायक। अजित पवार करीब एक दर्जन नाम गिना देते हैं जिसमें धनंजय मुंडे से लेकर कई विधायकों का नाम था।
पुस्तक के जरिए गढ़ी जा रही है फडणवीस की छवि: मलिक
एनसीपी प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि देवेंद्र फडणवीस की करतूत उजागर हो चुकी है कि वह सत्ता के लिए कुछ भी कर सकते हैं। उनकी प्रतिमा मलीन हो चुकी है। इसलिए पुस्तक के जरिए नई छवि गढ़ने का प्रयास किया जा रहा है।
पुस्तक नहीं पढ़ी क्या लिखा है: फडणवीस
विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने ट्रेडिंग पावर पुस्तक पर अपनी प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि मैने पुस्तक नहीं पढ़ी है। इसलिए इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे सकता।