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Indicate readiness to check illegal coal mining transportation in Meghalaya HC to CISF
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मेघालय हाईकोर्ट का निर्देश: अवैध कोयला खनन रोकने की प्लानिंग बताए CISF, प्रक्रिया में सहयोग करे राज्य सरकार
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, शिलॉन्ग
Published by: निर्मल कांत
Updated Tue, 21 Mar 2023 04:05 PM IST
सार
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कोर्ट ने कहा, कर्मियों के चयन, उनके लिए अस्थायी आवास की व्यवस्था और इसी तरह के अन्य कार्यों में कुछ समय लग सकता है, इसलिए उम्मीद है कि सीआईएसएफ एक पखवाड़े के भीतर यह बताएगा कि सोमवार से चार सप्ताह के भीतर जमीन पर तैनाती कैसे सुनिश्चित की जा सकती है।
मेघालय हाईकोर्ट ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) से पूर्वोत्तर राज्य में कोयले के अवैध खनन और परिवहन को रोकने के लिए अपनी तैयारी के बारे में बताने को कहा है। चीफ जस्टिस संजीव बनर्जी की अध्यक्षता वाली बेंच ने सोमवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया। हाईकोर्ट ने इस मामले में तीन सप्ताह का समय दिया है ताकि सीआईएसएफ अपनी तैयारियों के बारे में बता सके। डिप्टी सॉलिसिटर जनरल एन मोजिका ने 13 मार्च को कोर्ट को बताया था कि अवैध खनन को रोकने के लिए सीआईएसएफ की 10 कंपनियों की तैनाती के लिए रसद तैयार करने में कम से कम चार सप्ताह लगेंगे।
उन्होंने यह भी कहा था कि केंद्रीय बल के इस आधार पर आगे बढ़ेगा कि इससे पहले कि राज्य काम संभालने के लिए अपने मानव संसाधन बढ़ाए, तैनाती के लिए कम से कम दो से तीन हफ्तों की आवश्यक होगी। कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि कर्मियों के चयन, उनके लिए अस्थायी आवास की व्यवस्था और इसी तरह के अन्य कार्यों में कुछ समय लग सकता है, इसलिए उम्मीद है कि सीआईएसएफ एक पखवाड़े (पंद्रह दिन) के भीतर यह बताएगा कि सोमवार से चार सप्ताह के भीतर जमीन पर तैनाती कैसे सुनिश्चित की जा सकती है। बेंच ने कहा कि राज्य ने सीआईएसएफ कर्मियों के लिए आवास बनाने या विकल्प प्रदान करने की योजना का संकेत दिया था, उसे इस प्रक्रिया में सहयोग करना चाहिए और कंपनियों के कमांडेंट सहित सीआईएसएफ कर्मियों को बुनियादी आवास प्रदान करना चाहिए।
कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि सीआईएसएफ को रोटेशन के आधार पर एक या एक से अधिक व्यक्तियों को प्रभारी नियुक्त करना चाहिए। बेंच ने कहा कि कर्मियों को जस्टिस कटके से मिलने का समय लेना चाहिए और राज्य के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में दस कंपनियों की तैनाती के लिए स्थानों और तौर-तरीकों पर काम करना चाहिए। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि 23 प्रस्तावित वजनी पुलों को स्थान पर रखा जाए। सीआईएसएफ कर्मियों के परामर्श और जस्टिस कटके के मार्गदर्शन में रणनीतिक बिंदुओं पर बड़ी संख्या में उन्हें स्थापित करने के लिए तत्काल अतिरिक्त प्रयास किए जाएं। मामले की अगली सुनवाई 12 अप्रैल को होगी।
चंपर एम संगमा ने अपनी जनहित याचिका (पीआईएल) में कहा था कि पीआईएल का उद्देश्य यह स्थापित करना है कि किस तरह से कुछ लोग राज्य की मौन स्वीकृति से कोयले के अवैध खनन और अवैध परिवहन में संलिप्त हैं। इस आधार पर स्थगन की मांग की थी। जनहित याचिका में उन्होंने एक पत्र का जिक्र किया जिसमें प्रतिवादियों में से एक ने पिछले साल दक्षिण गारो हिल्स के उपायुक्त से गैसुआपाड़ा में उपलब्ध खनिज को बांग्लादेश को निर्यात करने की अनुमति मांगी थी। प्रतिवादी ने संकेत दिया था कि गैसुआपाड़ा में लगभग 52,600 मीट्रिक टन कोयला उपलब्ध था और उस स्थान से निर्यात पूरा करने के लिए वाहनों द्वारा लगभग 5060 यात्राओं की आवश्यकता होगी।
याचिकाकर्ता ने कहा कि इससे संदेह पैदा होता है कि व्यक्ति के पास इतनी बड़ी मात्रा में कोयला उपलब्ध है। इसका स्रोत मेघालय में नहीं हो सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि राष्ट्रीय हरित अधिकरण और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेशों के अनुसार मेघालय में कोयला खनन पर लगभग सात वर्षों से पूर्ण प्रतिबंध है। अब तक खनिज के वैज्ञानिक खनन के लिए कोई लाइसेंस जारी नहीं किया गया है।
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