चीन के साथ लगती सीमा के किसी भी हिस्से पर तैनात भारतीय सैनिक या आईटीबीपी के जवान अब खाली हाथ नहीं जाएंगे। सूत्रों के अनुसार, वे घातक हथियारों से लैस रहेंगे। आत्मरक्षा में उनका इस्तेमाल होगा, लेकिन ऐसी कोई भी पहल भारत की ओर से नहीं की जाएगी।
सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार की ओर से ये आदेश जारी कर दिए गए हैं। कारगिल की लड़ाई में थल सेना की कमान संभालने वाले जनरल वीपी मलिक कहते हैं कि अब चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
जब एक प्वाइंट पर दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने हैं और वे गुस्से में हैं तो ऐसी स्थिति में जवान को हथियार से लैस होना चाहिए।
आईटीबीपी के पूर्व डीआईजी जेवीएस चौधरी के मुताबिक, इतिहास गवाह है कि चीन ने कभी किसी समझौते या अंतरराष्ट्रीय नियम को नहीं माना। जब हमें ये बात मालूम है तो फिर अपने जवानों को उनके सामने निहत्थे नहीं भेजना चाहिए।
जेवीएस चौधरी बताते हैं कि जब चीनी सेना का इतिहास धोखे और फरेब से भरा हुआ है, तो हमें अपने जवानों को हथियारों से लैस कर वहां भेजना चाहिए था। हमारा देश बॉर्डर से संबंधित तमाम द्विपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय संधियों व समझौतों को सदैव मानता आया है।
कभी किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया। दूसरी ओर चीन एक ऐसा देश है जो कभी किसी नियम तो नहीं मानता। उसे जब लगता है, साजिश रच देता है। सभी नियमों को तोड़कर आगे चला आता है।
चीन ने अपनी सीमा में सड़कों का जाल बिछा रखा है। लद्दाख में भारत का इंफ्रास्ट्रक्चर अभी उतना विकसित नहीं है, जबकि चीन ने उसे काफी आगे बढ़ा लिया है। गलवां घाटी तक या अन्य कोई प्वाइंट, चीन ने वहां तक पहुंचने के लिए कंक्रीट की सड़क बना रखी है।
इस रोड पर उनकी गाड़ियां पचास-साठ किलोमीटर प्रति घंटे की गति से दौड़ सकती हैं। भारत को अपनी सीमा में तेजी से सड़क बनाने के काम को रफ्तार देनी होगी। हथियारों लेकर चौधरी ने कहा, शुरू से हमारी यह नीति रही है कि हम अपनी तरफ से पहल नहीं करते।
चूंकि हमारा देश सदैव अंतरराष्ट्रीय समझौतों का पालन करता आया है और आगे भी करता रहेगा, लेकिन इस बीच जवानों को बिना हथियार के बॉर्डर पर भेजना किसी भी सूरत में ठीक नहीं है। जवानों के पास अपनी रक्षा के लिए हर तरह का छोटा बड़ा हथियार होना चाहिए।
कांग्रेस पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी लद्दाख में हुई झड़प के दौरान भारतीय सैनिकों के निहत्थे होने पर सवाल उठाया है। अपने ट्विट में राहुल ने लिखा है कि सरकार ने बिना हथियारों के जवानों को शहीद होने के लिए क्यों भेज दिया। चीन की इतनी हिम्मत कैसे हो गई कि वो हमारे जवानों की हत्या कर सके।
विस्तार
चीन के साथ लगती सीमा के किसी भी हिस्से पर तैनात भारतीय सैनिक या आईटीबीपी के जवान अब खाली हाथ नहीं जाएंगे। सूत्रों के अनुसार, वे घातक हथियारों से लैस रहेंगे। आत्मरक्षा में उनका इस्तेमाल होगा, लेकिन ऐसी कोई भी पहल भारत की ओर से नहीं की जाएगी।
सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार की ओर से ये आदेश जारी कर दिए गए हैं। कारगिल की लड़ाई में थल सेना की कमान संभालने वाले जनरल वीपी मलिक कहते हैं कि अब चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
जब एक प्वाइंट पर दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने हैं और वे गुस्से में हैं तो ऐसी स्थिति में जवान को हथियार से लैस होना चाहिए।
आईटीबीपी के पूर्व डीआईजी जेवीएस चौधरी के मुताबिक, इतिहास गवाह है कि चीन ने कभी किसी समझौते या अंतरराष्ट्रीय नियम को नहीं माना। जब हमें ये बात मालूम है तो फिर अपने जवानों को उनके सामने निहत्थे नहीं भेजना चाहिए।
जेवीएस चौधरी बताते हैं कि जब चीनी सेना का इतिहास धोखे और फरेब से भरा हुआ है, तो हमें अपने जवानों को हथियारों से लैस कर वहां भेजना चाहिए था। हमारा देश बॉर्डर से संबंधित तमाम द्विपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय संधियों व समझौतों को सदैव मानता आया है।
कभी किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया। दूसरी ओर चीन एक ऐसा देश है जो कभी किसी नियम तो नहीं मानता। उसे जब लगता है, साजिश रच देता है। सभी नियमों को तोड़कर आगे चला आता है।
चीन ने अपनी सीमा में सड़कों का जाल बिछा रखा है। लद्दाख में भारत का इंफ्रास्ट्रक्चर अभी उतना विकसित नहीं है, जबकि चीन ने उसे काफी आगे बढ़ा लिया है। गलवां घाटी तक या अन्य कोई प्वाइंट, चीन ने वहां तक पहुंचने के लिए कंक्रीट की सड़क बना रखी है।
इस रोड पर उनकी गाड़ियां पचास-साठ किलोमीटर प्रति घंटे की गति से दौड़ सकती हैं। भारत को अपनी सीमा में तेजी से सड़क बनाने के काम को रफ्तार देनी होगी। हथियारों लेकर चौधरी ने कहा, शुरू से हमारी यह नीति रही है कि हम अपनी तरफ से पहल नहीं करते।
चूंकि हमारा देश सदैव अंतरराष्ट्रीय समझौतों का पालन करता आया है और आगे भी करता रहेगा, लेकिन इस बीच जवानों को बिना हथियार के बॉर्डर पर भेजना किसी भी सूरत में ठीक नहीं है। जवानों के पास अपनी रक्षा के लिए हर तरह का छोटा बड़ा हथियार होना चाहिए।
कांग्रेस पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी लद्दाख में हुई झड़प के दौरान भारतीय सैनिकों के निहत्थे होने पर सवाल उठाया है। अपने ट्विट में राहुल ने लिखा है कि सरकार ने बिना हथियारों के जवानों को शहीद होने के लिए क्यों भेज दिया। चीन की इतनी हिम्मत कैसे हो गई कि वो हमारे जवानों की हत्या कर सके।