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India will now have a separate laboratory to develop testing techniques for each disease
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Disease Detection: हर बीमारी की जांच तकनीक विकसित करने को अलग प्रयोगशाला, 22 बीमारियों के लिए लैब की सूची जारी
परीक्षित निर्भय, नई दिल्ली।
Published by: देव कश्यप
Updated Mon, 29 May 2023 07:30 AM IST
सीडीएससीओ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन विट्रो डायग्नोस्टिक यानी आईवीडी तकनीक को लेकर जिम्मेदारियां बांटी गई हैं। सूची में जिन प्रयोगशालाओं को शामिल किया है वहां अलग अलग बीमारी के हिसाब से इन विट्रो डायग्नोस्टिक की गुणवत्ता जांच होगी।
देश में अब हर बीमारी की जांच तकनीक विकसित करने के लिए एक अलग प्रयोगशाला होगी। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने 22 बीमारियों को लेकर प्रयोगशालाओं की सूची जारी की है जहां डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, एचआईवी सहित सभी संक्रामक रोगों पर एक साथ काम होगा। उदाहरण के लिए एचआईवी इन विट्रो डायग्नोस्टिक को लेकर आठ राज्य की 13 प्रयोगशालाओं को जिम्मेदारी दी है। उत्तर प्रदेश के नोएडा स्थित राष्ट्रीय जैविक संस्थान और रायबरेली एम्स की प्रयोगशाला इसमें शामिल हैं। इसी तरह कैंसर को लेकर सात राज्यों की नौ प्रयोगशालाओं को यह जिम्मेदारी दी है।
डायग्नोस्टिक की गुणवत्ता की होगी जांच
सीडीएससीओ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन विट्रो डायग्नोस्टिक यानी आईवीडी तकनीक को लेकर जिम्मेदारियां बांटी गई हैं। सूची में जिन प्रयोगशालाओं को शामिल किया है वहां अलग अलग बीमारी के हिसाब से इन विट्रो डायग्नोस्टिक की गुणवत्ता जांच होगी। बाजार में आने से पहले इन चिकित्सा उपकरणों की गुणवत्ता का पता लगाना बहुत जरूरी है।
कुछ समय पहले इन-विट्रो डायग्नोस्टिक चिकित्सा उपकरणों को लेकर दिशा निर्देश भी जारी किए गए।
संक्रमणों का आसानी से लग सकेगा पता
जानकारी के अनुसार, इन विट्रो डायग्नोस्टिक ऐसे परीक्षण होते हैं जो बीमारी, स्थितियों और संक्रमणों का पता लगा सकते हैं। इन विट्रो का सीधा अर्थ है ‘ग्लास में’, जिसका अर्थ है कि ये परीक्षण आमतौर पर टेस्ट ट्यूब और इसी तरह के उपकरणों में किए जाते हैं। इन विट्रो परीक्षण प्रयोगशालाओं, स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं या यहां तक कि किसी एक घर में भी किए जा सकते हैं। इन तकनीक का इस्तेमाल, कीमत और गुणवत्ता काफी बेहतर मानी जाती है।
विषाणुओं को किया जाएगा आइसोलेट
अधिकारियों के अनुसार, यह सभी प्रयोगशालाएं अत्याधुनिक तकनीक से लैस हैं। हालांकि यहां अतिरिक्त सावधानी की आवश्यकता भी रहेगी क्योंकि विषाणुओं को आइसोलेट करने के साथ ही यहां अध्ययन किया जाएगा। एक तरह से समझें तो यहां मौजूद वैज्ञानिक वायरस से सीधा सामना करेंगे। बीमारियों की जांच के लिए उनके री एजेंट यानी रासायनिक, जैव-रासायनिक और प्रतिरक्षा-रासायनिक पर काम किया जाएगा।
ये बीमारियां भी सूची में
सीडीएससीओ की सूची में एचआईवी के अलावा हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, कैंसर, टीबी, मलेरिया, सिफलिस, टाइफाइड, इन्फ्लूएंजा, निमोनिया, जन्मजात रोग और ऑटो इम्यून बीमारियों की जांच तकनीक भी शामिल है।
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