न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Mon, 02 Jul 2018 04:44 AM IST
भारत और अमेरिका के रक्षा और विदेश मंत्रियों के बीच टू प्लस टू वार्ता टलने की वजह रक्षा क्षेत्र में भारत और रूस की बढ़ती नजदीकी मानी जा रही है। अमेरिका नहीं चाहता कि भारत रूस से एस-400 ट्रम्फ एयर डिफेंस सिस्टम हासिल करे।
लेकिन भारत ने अमेरिकी दबाव और विरोध को दरकिनार करते हुए इस सिस्टम को हासिल करने को अपने कदम बढ़ा दिए है। अमेरिका ने जुलाई में प्रस्तावित टू प्लस टू वार्ता बिना कारण बताए अचानक रद्द कर दी थी।
सूत्रों के मुताबिक एयर डिफेंस सिस्टम हासिल करने के लिए भारत-रूस में लंबे समय से बातचीत चल रही है, लेकिन इस दिशा में दोनों देश सैद्धांतिक तौर पर तब मजबूती से आगे बढ़े, जब मई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के साथ अनौपचारिक बैठक हुई।
इसके बाद कुछ अड़चनों को दूर करते हुए रक्षा अधिग्रहण परिषद ने इस सौदे को मंजूरी दे दी। अब इस संबंध में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की समिति अंतिम मुहर लगाएगी।
एस-400 सिस्टम भारत की जरूरत
भारत एस-400 ट्रम्फ एयर डिफेंस सिस्टम को बाह्य शक्तियों से रक्षा के लिए बेहद जरूरी मानता है। यही कारण है कि 40000 करोड़ रुपये के इस सौदे को लेकर भारत ने किसी दबाव में न आने का साफ संदेश दिया है। इसके महत्व को ऐसे भी समझा जा सकता है कि रक्षा अधिग्रहण परिषद ने तब इस सौदे को मंजूरी दी, जब अमेरिका ने टू प्लस टू वार्ता को अचानक टालने की घोषणा की।
क्या है एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम
इसकी मदद से भारत आसमान से होने वाले किसी भी हमले को टालने में सफल होगा। यह सिस्टम आधुनिकतम मिसाइलों सहित पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को अपने 400 किलोमीटर के दायरे में आते ही हवा में ही मार गिराने में सक्षम है। जाहिर तौर पर इस सौदे से चीन भी अमेरिका की तरह ही चिंतित है।
भारत और अमेरिका के रक्षा और विदेश मंत्रियों के बीच टू प्लस टू वार्ता टलने की वजह रक्षा क्षेत्र में भारत और रूस की बढ़ती नजदीकी मानी जा रही है। अमेरिका नहीं चाहता कि भारत रूस से एस-400 ट्रम्फ एयर डिफेंस सिस्टम हासिल करे।
लेकिन भारत ने अमेरिकी दबाव और विरोध को दरकिनार करते हुए इस सिस्टम को हासिल करने को अपने कदम बढ़ा दिए है। अमेरिका ने जुलाई में प्रस्तावित टू प्लस टू वार्ता बिना कारण बताए अचानक रद्द कर दी थी।
सूत्रों के मुताबिक एयर डिफेंस सिस्टम हासिल करने के लिए भारत-रूस में लंबे समय से बातचीत चल रही है, लेकिन इस दिशा में दोनों देश सैद्धांतिक तौर पर तब मजबूती से आगे बढ़े, जब मई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के साथ अनौपचारिक बैठक हुई।
इसके बाद कुछ अड़चनों को दूर करते हुए रक्षा अधिग्रहण परिषद ने इस सौदे को मंजूरी दे दी। अब इस संबंध में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की समिति अंतिम मुहर लगाएगी।