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India becomes 68th country to join Interpol child sexual exploitation database
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Interpol database: इंटरपोल के आईसीएसई डाटाबेस में शामिल होने वाला 68वां देश बना भारत, बाल यौन शोषण पर लगेगी लगाम
पीटीआई, नई दिल्ली।
Published by: देव कश्यप
Updated Sat, 09 Jul 2022 01:17 AM IST
सार
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इंटरपोल के एक बयान के अनुसार, सीबीआई, जो इंटरपोल मामलों के लिए भारत की नोडल एजेंसी है, डाटाबेस में शामिल हो गई है।इंटरपोल अब भारत को ऑडियो-विजुअल डाटा का उपयोग करके पीड़ितों, दुर्व्यवहार करने वालों और अपराध स्थल के बीच संबंधों की जांच की अनुमति देगा।
भारत इंटरपोल के अंतरराष्ट्रीय बाल यौन शोषण (आईसीएसई) डाटाबेस में शुक्रवार को शामिल हो गया। इससे भारत में बाल यौन शोषण के खिलाफ कार्रवाई करने में मदद मिलेगी। इंटरपोल अब भारत को ऑडियो-विजुअल डाटा का उपयोग करके पीड़ितों, दुर्व्यवहार करने वालों और अपराध स्थल के बीच संबंधों की जांच की अनुमति देगा।
इंटरपोल के एक बयान के अनुसार, सीबीआई, जो इंटरपोल मामलों के लिए भारत की नोडल एजेंसी है, डाटाबेस में शामिल हो गई है। इसी के साथ भारत इससे जुड़ने वाला 68वां देश बन गया है।
बयान में कहा गया है, "आईसीएसई डाटाबेस बाल यौन शोषण सामग्री का विश्लेषण करने और पीड़ितों, दुर्व्यवहार करने वालों और स्थानों के बीच संबंध की जांच के लिए वीडियो और इमेज की तुलना का उपयोग करता है।" इसके तहत एक खुफिया और जांच उपकरण, डाटाबेस विशेष जांचकर्ताओं को बाल यौन शोषण के मामलों पर जानकारी साझा करने की अनुमति देता है।
जांचकर्ता इमेज (छवि) और वीडियो की तुलना सॉफ्टवेयर के माध्यम से करके पीड़ितों और अपराध के स्थानों की पहचान करके अपराधियों को पकड़ सकते हैं। इंटरपोल के अनुसार, "डाटाबेस प्रयासों के दोहराव से बचता है और जांचकर्ताओं को यह बताकर कीमती समय बचाता है कि क्या छवियों की एक श्रृंखला पहले ही किसी अन्य देश में खोजी या पहचानी जा चुकी है, या क्या इसमें अन्य छवियों के समान विशेषताएं हैं।"
इंटरपोल से जुड़े सभी 68 देशों में जासूस दुनिया भर में अपने सहयोगियों के साथ सूचनाओं और नोटों का आदान-प्रदान कर सकते हैं।इंटरपोल वेबसाइट पर कहा गया है, "तस्वीरों और वीडियो की डिजिटल, विजुअल और ऑडियो सामग्री का विश्लेषण करके विशेषज्ञ पीड़ित की पहचान, उससे संबंधित सुराग प्राप्त कर सकते हैं और मामलों में किसी भी ओवरलैप की पहचान कर सकते हैं और बाल यौन शोषण के पीड़ितों का पता लगाने के अपने प्रयासों को सरल बना सकते हैं।"
इंटरपोल के अनुसार, ऑनलाइन माध्यमों से बच्चों से इन अपराधों का खतरा कितना बढ़ चुका है, इसे ऐसे समझें कि भारत में 2017 से 2020 के बीच तीन साल में 24 लाख अपराध हुए थे। इनमें 80 प्रतिशत पीड़ित लड़कियां थीं, जिनकी उम्र 14 साल से भी कम थी। इस डाटाबेस से अब तक 30 हजार पीड़ित और 13 हजार अपराधी पहचाने गए हैं। आईसीएसई डाटाबेस में पहुंचे वीडियो और तस्वीरों की मदद से चाइल्ड सेक्सुअल एक्सप्लॉइटेशन मैटीरियल की पहचान होती है। इसके तहत सदस्य देश एक-दूसरे से जानकारियां शेयर करते हैं।
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सीबीआई ने इन अपराध के लिए विशेष यूनिट बनाई है। यह सोशल मीडिया व इंटरनेट पर बच्चों के यौन शोषण से जुड़ी सामग्री की पहचान करती है। इसी ने पिछले साल कई वेबसाइट्स की पहचान कर 14 राज्यों में 77 जगहों पर छापे मारकर सात लोगों को गिरफ्तार किया था। इनसे मिली जानकारियों से अन्य जगहों पर छापेमारी में 83 आरोपी पकड़े गए और बड़ी मात्रा में बाल यौन शोषण से जुड़ा डाटा, सामग्री, गैजेट्स व रुपयों के लेनदेन के साक्ष्य मिले।
लगातार बढ़ रहे बाल यौन शोषण के अपराधी
सीएसईएम को रोजाना 1.16 लाख बार इंटरनेट पर सर्च किया जा रहा है। देश में हुई छापेमारी में 50 सोशल मीडिया ग्रुप सामने आए। इनमें पांच हजार बाल यौन शोषण अपराधी थे। वे यहां बच्चों से जुड़ी गैर-कानूनी सामग्री शेयर कर रहे थे। अधिकतर अपराधी पाकिस्तान, बांग्लादेश, कनाडा, श्रीलंका, अमेरिका, सऊदी अरब, ब्रिटेन आदि देशों के थे।
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